Sunday, November 20, 2016

कैशलेस भारत की राह में अभी आएंगी दिक्कतें, जानिए पांच ख़ास वजहें

मोदी सरकार द्वारा बड़े नोट बंद करने के बाद देश कैशलेस पेमेंट के दौर की ओर बढ़ने लगा है। अब नकदी की बजाय ई बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, पेमेंट ऐप के माध्यम से पैसों की अदायगी होने लगी है। लेकिन अभी भी कुछ
दिक्कतें हैं जिनकी वजह से हमें बहुत जगहों पर नकद पेमेंट का सहारा लेना ही पड़ेगा। आइए जानते हैं कैशलेस होने में क्या हैं दिक्कतें: 
  1. कार्ड का इस्तेमाल कैसे बढ़ेगा: आरबीआई के मुताबिक अगस्त 2016 तक देश में 71.25 करोड़ डेबिट कार्ड हैं। क्रेडिट कार्ड 2.64 करोड़ है। इसमें भी कई लोगों के पास एक से ज्यादा कार्ड हैं। 85% से अधिक कार्ड का इस्तेमाल लोग सिर्फ पैसे निकालने में करते हैं। ऐसे में कार्ड से पेमेंट बढ़ाने के लिए सरकार के पास क्या योजना है?
  2. मशीनें कम, स्वैप कहां कराएं: अगस्त 2016 तक 14 लाख 62 हजार पॉइंट ऑफ सेल (स्वाइप मशीन) हैंं। इनमें अधिकांश शहरों और बड़े स्टोर्स पर ही उपलब्ध हैं। जबकि देश में 5 करोड़ से अधिक छोटे दुकानदार और कारोबारी हैं। गौरतलब है कि स्वाइप मशीन भी देश में आयात की जाती है। ये कैसे बढ़ेंगी? यही बड़ी चुनौती है। 
  3. जेब पर भार क्यों: अभी डेबिट कार्ड से पेट्रोल खरीदने पर 2.5%, टिकट बुक करने पर 1.85%, ऑनलाइन पैसे भेजने पर 1-1.25% अतिरिक्त खर्च ग्राहक पर पड़ता है। एप से बस बुक और फिल्म टिकट बुक करने पर भी अतिरिक्त चार्ज लगता है। ग्राहक कैश ही देना चाहेगा। 
  4. नगदी कैसे रोकेंगे: सरकार और आरबीआई लगातार कह रहे हैं कि कैश की कमी नहीं है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि जब कैश 16 लाख करोड़ रुपए ही बना रहेगा और 30 दिसंबर के बाद सबकुछ सामान्य हो जाएगा तो लोगों को कैश ट्रांजैक्शन से कैसे रोकेंगे। यह स्पष्ट नहीं है। 
  5. नेट बैंकिंग कैसे बढ़ेगी: कैशलेस पेमेंट का अाधार मोबाइल बताया जा रहा है। देश में स्मार्टफोन यूजर्स की संख्या करीब 28 करोड़ है। जबकि देश में अभी 12 करोड़ लोग ही मोबाइल बैंकिंग करते हैं। इंटरनेट यूजर भी 50 करोड़ के करीब हैं। सरकार किस तेजी से इंटरनेट बैंकिंग को बढ़ा पाएगी। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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