Monday, November 7, 2016

क्या कभी आपने गुमनाम रहकर अपना अच्छा काम बढ़ते देखा है?

एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
अपने पुश्तैनी गांव जाने वाली बस का चार घंटे से ज्यादा वक्त से धैर्यपूर्वक इंतजार हुए वह युवक केरल के कोच्चि बस स्टैंड के सामने खड़ा चाय की चुस्कियां ले रहा था। लंबे समय तक बैठे रहने से ऊबने के बाद वह उठकर थोड़ी दूर गया और बिजली के खंभे पर एक हाथ रखकर सड़क की दोनों ओर देखने लगा। हल्की हवा का
झोंका उसके चेहरे को छू रहा था और तभी उसने खंभे पर छोटा-सा कागज लगा देखा, जिस पर मलयालम में कुछ लिखा था। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। कागज किसी पिन से लगाया गया था और उसकी चुभन ने उसका ध्यान खींचा था। उस पर लिखा था, 'मेरे 50 रुपए गुम हो गए हैं। यदि आपको मिले तो कृपया इसे नीचे दिए पते पर मेरे घर भेज दीजिए। मेरी नज़र बहुत कमजोर है, इसलिए मैंने इसे खो दिया।' पत्र में कोई नाटकीयता नहीं थी। बिल्कुल सरल, स्पष्ट शब्दों में व्यथा लिखी थी। उसने सोचा कोई बहुत जरूरतमंद ही ऐसा कर सकता है अन्यथा नोट खोने के बाद कोई ऐसा पत्र नहीं लगाता है। उसे भीतर से लगा कि इसमें कोई बेईमानी नहीं है। किंतु जब वह पत्र पढ़ रहा था तो उसे लगा कि कोई उसे सड़क की उस पार से देख रहा है, लेकिन उसने इसकी अनदेखी कर दी। उसने वह पत्र लेकर एक राहगीर से पता पूछा। राहगीर ने उंगली के इशारे से बताया कि यहां से दो गली आगे यह मकान है। वह उस पते की खोज में निकल पड़ा। 
यह जर्जर झोपड़ी थी, जो हवा का तेज झोंका भी सहन नहीं कर सकती थी और वहां कमजोर नज़र वाली एक बूढ़ी महिला बैठी थी। वह अपने पैसे रखने के पर्स को बार-बार खोल और बंद कर रही थी, जो कमर पर साड़ी के साथ बंधी थी। बिना किसी परिचय के उस युवक ने कहा, 'अम्मा, मुझे सड़क पर आपके 50 रुपए मिले हैं और मैंने सोचा कि आपको लौटा दूं।' यह सुनकर महिला ने अपने माथे पर जोर से हाथ ठोंकते हुए कहा, 'हे ईश्वर, फिर वही हुआ। क्या आपको बिजली के खंभे पर मेरा पता मिला?' उन्होंने जवाब दिया, 'हां, लेकिन पिछले दो दिनों में 35 से ज्यादा लोग यहां आकर मुझे 50 रुपए दे चुके हैं कि उन्हें मेरा खोया पैसा मिला है। दो दिन पहले मेरे पैसे खो गए थे और मैंने पास खड़े लड़के से कहा था। उसने तुरंत खोया हुआ पचास का नोट ढूंढ़ लिया था। उसने नोट मुझे दिया और फिर कमजोर नज़र देखकर घर भी छोड़ गया था। उसके बाद से आप 35वें व्यक्ति हैं, जो यहां आकर मुझे 50 रुपए दे रहे हैं! मैं तो जरा भी पढ़ी-लिखी नहीं हूं।' यह कहकर उसने गहरी सांस भरी। उसने बहुत ही सरलता से यह कह दिया। उसमें कहीं भी यह भाव नहीं था कि वह कोई बहुत ईमानदारी दर्शा रही है। कोई दिखावा नहीं। बस जो हुआ वह बता दिया। 
युवक को फिर ऐसा लगा कि झोपड़ी के बाहर कोई छाया है। यह वैसा ही अहसास था जैसा पत्र पढ़ते हुए उसे किसी के द्वारा देखे जाने का हुआ था। वह तेजी से झोपड़ी के बाहर आया , लेकिन वहां कोई नहीं था। वह फिर अंदर आया और कहने लगा, 'कोई बात नहीं, आप रख लीजिए।' यह कहकर उसने नोट महिला के हाथों में ठूंस दिया। फिर महिला ने कुछ कोमल स्वर कहा, 'क्या आप मेरा एक काम करेंगे? कृपया खंभे पर लगा वह कागज फाड़ दीजिए।' अचानक उसे याद आया कि वह कागज तो उसके शर्ट की जेब में रखा है। युवक को अहसास हुआ कि इस बूढ़ी और गरीब महिला को तो हमेशा ही पैसे की जरूरत महसूस होती होगी, लेकिन इस मुफ्त की खैरात के प्रति उसके मन में कोई लालच नहीं था। 
उसने महिला से वादा किया कि वह कागज फाड़ देगा, लेकिन लौटकर उसने वह कागज फिर खंभे पर लगा दिया। दो घंटे इधर-उधर भटकने के बाद जब वह बस में सवार हो ही रहा था कि एक राहगीर ने वही पता पूछा और उसने चुपचाप उसे बताया, 'यहां से दो गलियों बाद, सर।' उसे राहगीर पीछे जाने का लोभ हुआ, लेकिन उसने अपनी इस इच्छा पर काबू पा लिया। वह पत्र वहां छह दिन तक लगा रहा, जब तक कि वह अपने आप नष्ट नहीं हो गया। इन छह दिनों में उस महिला को पर्याप्त मदद मिल गई होगी। यह शायद उसकी स्थायी मदद भले कर सके, लेकिन उसके बुढ़ापे का कुछ वक्त तो राहत से बीत ही गया होगा। 
यह सच्ची घटना पिछले साल की है और तब मीडिया में बहुत चर्चित हुई थी, लेकिन मैंने इसे केरल की हाल ही की यात्रा में सुना। सालभर हो गया है, लेकिन भले काम की चर्चा अब भी बनी हुई है। एक अच्छा काम मानव के सामूहिक अवचेतन में हमेशा ना रहता है। मेरी कामना है कि यह कहानी हर जगह बार-बार दोहराई जाए, क्योंकि जिस केंद्र से भलाई शुरू होती है, वहां पानी के किसी भंवर से निकली लहर की तरह छोटा वृत्त होता है, लेकिन फैलने के साथ वह वृत्त बड़ा-बड़ा होते हुए विशाल हो जाता है। 
फंडा यह है कि भद्‌दामजाक करके मजा लेने की बजाय भलाई के लिए किए शुरू किए गए अपने काम को अज्ञात रहकर आगे बढ़ते देखना अलग ही खुशी देता है। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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