Thursday, November 3, 2016

अभी भी बहुत काम है बाकी, क्योंकि भारत में हर सात सेकंड में होता है एक बाल विवाह

भारत में अभी भी बेटियों को पढ़ाने और सपने साकार करने की छूट देने की बजाए जबरन शादी के बंधन में बांधा जा रहा है। बेटी-बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसे अभियान के शुरू होने के बावजूद हर सात सेकेंड में एक नाबालिग बेटी की अपने से दोगुने उम्र के व्यक्ति के साथ जबर्दस्ती शादी करा दी जा रही है। बच्चों के अधिकारों पर काम
करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था 'सेव चिल्ड्रन' ने अपने ताजा रिपोर्ट में खुलासा किया है कि भारत में बाल विवाह अभी भी एक बड़ी चुनौतियों में से एक बना हुआ है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हाल ही में जारी 'एवरी लास्ट गर्ल' नामक रिपोर्ट के अनुसार भारत में बाल विवाह में कमी जरूर आई है लेकिन आज भी देश में प्रति सात सेकेंड में 18 साल से कम उम्र की किशोरी की जबरन शादी हो जाती है। बाल विवाह सबसे ज्यादा संख्या के मामलों में अफगानिस्तान, यमन और सोमालिया के साथ भारत भी शामिल है। 2001 में हुई जनगणना के अनुसार देश में 18 वर्ष से कम आयु की 43.5 फीसदी किशोरियां शादीशुदा थीं। 
30.2%किशोरियां कर चुकी शादी : 2011में जारी जनगणना में सामने आया है कि फिलहाल लगभग 30.2 प्रतिशत किशोरियां शादी कर चुकी हैं। कुल मिलाकर भारत 18 साल के कम उम्र की लगभग 10.30 करोड़ किशोरियों के गले में मंगलसूत्र है। जबकि संयुक्त राष्ट्र की ओर से तैयार सस्टेनेबल डेवलेपमेंट गोल (एसडीजी) के अनुसार 2030 तक भारत समेत पूरे विश्व में बाल विवाह को खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है। 
'सेव चिल्ड्रन' में बाल अधिकार विशेषज्ञ प्रभात कुमार का कहना है कि भारत में बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई को खत्म करने में समस्याएं रही हैं। शोध में पता चला है कि 14 साल से कम उम्र की बच्चियों में बाल विवाह की दर कम है, लेकिन 15-18 साल तक की किशोरियों को शादी के बंधन में जबरन जोड़ दिया जाता है। इसी तरह देश में राजस्थान, पश्चिम बंगाल और आंध्र-प्रदेश में बाल विवाह की दर अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा है। प्रभात कुमार के अनुसार एसडीजी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भारत को अन्य देशों से ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है। एक बार बाल विवाह होने के बाद सबसे ज्यादा किशोरियों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। 

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साभार: भास्कर समाचार 
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