Sunday, November 13, 2016

जाति-धर्म के नाम आरक्षण को अवैध ठहराने वाली याचिका हाई कोर्ट ने की खारिज

जाति और धर्म के नाम पर आरक्षण को अवैध ठहराए जाने की मांग संबंधी एक याचिका को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि आरक्षण व्यवस्था संविधान के मूल
ढांचे को प्रभावित करने वाली और संविधान की भावना को ठेस पहुंचाने वाली नहीं है। हिसार निवासी वकील सुजान सिंह सांगवान ने संविधान में संशोधन कर राज्य सरकारों को जाति और धर्म के आधार पर आरक्षण का लाभ देने की शक्ति को खारिज करने की मांग की है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। संविधान के अनुसार किसी भी नागरिक से जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता। ऐसे में यह संविधान की मूल भावना को ठेस पहुंचाता है। याची ने कहा कि अभी तक आरक्षण को लेकर जितने भी आंदोलन हुए हैं और उसमें जितना भी नुकसान हुआ है उसके लिए आरक्षण के लिए बनाया गया कानून ही जिम्मेदार है। अच्छे और प्रगतिशील देश की निशानी एक कानून, एक संविधान और एक ध्वज होता है। ऐसे मेंं आरक्षण के प्रावधान को समाप्त किया जाना चाहिए। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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