Saturday, November 5, 2016

19 महीने से कर रहे स्कूल पुस्तकों का इन्तजार, विभाग ने गुपचुप तरीके से किये आर्डर कैंसिल

19 माह से प्रदेश के हाई व सीनियर सेकेंडरी स्कूलों के मुखिया पुस्तक मेले में ऑर्डर दी गई पुस्तकों का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने गुपचुप तरीके से इनके ऑर्डर को रद करते हुए दी गई राशि
को वापस मंगवा लिया है। हैरत की बात यह है कि स्कूल मुखियाओं को आज तक इसकी जानकारी नहीं है। उनका कहना है कि जब ट्रेजरी के माध्यम से राशि संबंधित फर्म को दे दी गई तो ऑर्डर रद करने की जानकारी भी उनके पास भेजी जानी चाहिए थी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। 
साढ़े तीन करोड़ का था बजट: 2014-15 के लिए मार्च 2015 में कमिश्नरी स्तर पर प्रदेश में पुस्तक मेलों का आयोजन किया गया था। इससे लगभग साढ़े तीन करोड़ रुपये की पुस्तकों की खरीद की जानी थी। जींद जिले के लिए हिसार में पुस्तक मेला लगाया गया था। इसमें हाई व सीनियर सेकेंडरी स्कूलों के मुखियाओं ने पुस्तकों के आर्डर देने थे। इसके लिए 20,975 रुपये का बजट तय किया गया था। इसमें से दस हजार की राशि डीपीसी कार्यालय व 10975 रुपये की खरीद शिक्षा विभाग की ओर से की जानी थी। 
पुस्तकें खरीदकर जमा करवाया बिल: शिक्षा विभाग ने पुस्तकों की खरीद के लिए बजट स्कूल मुखियाओं को दे दिया था। उन्होंने भी हिसार जाकर पुस्तकों की खरीदकर उनका बिल ट्रेजरी में जमा करवा दिया था, ताकि समय पर पुस्तकें आ सकें। मगर 19 माह बाद भी पुस्तकें स्कूलों में नहीं पहुंची हैं। जब कुछ स्कूल मुखियाओं ने इसकी पड़ताल की तो सामने आया कि उन द्वारा किया गया पुस्तकों का ऑर्डर ही रद हो चुका है और जो राशि उन द्वारा फर्म के लिए जमा करवाई थी, वह भी निदेशालय के पास वापस जा चुकी है।
जानकारी तो दे देते: स्कूल मुखियाओं का कहना है कि जब किताबों की खरीद करवाकर ऑर्डर रद ही करना था तो उसकी सूचना भी दी जानी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
हिसार में लगे पुस्तक मेले में जो पुस्तकों की खरीद के ऑर्डर देकर स्कूलों की ओर से पेमेंट दी गई थी, उन्हें किताबें भेज दी गई थी, जबकि जिन स्कूलों की पेमेंट बाद में होनी थी, वह ऑर्डर विभाग ने रद कर पेमेंट वापस मंगवा ली थी। इसके बाद भी जिलास्तर पर पुस्तक मेला लगाया जा चुका है और उसकी किताबें स्कूलों को भेजी जा चुकी हैं। - अजीत श्योराण, जिला परियोजना संयोजक, एसएसए, जींद।
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साभारजागरण समाचार 
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