Saturday, October 8, 2016

नेक्रोफीलिया बीमारी ने बनाया सुरेंद्र कोली को 'नरपिशाच': जानिए इस हैवानों के 'हैवान' का पूरा सच

नि‍ठारी कांड के मुख्‍य आरोपी सुरेंद्र कोली को कोर्ट ने शुक्रवार को फांसी की सजा सुनाई है। उसे नंदा देवी मर्डर केस में अपहरण, रेप, सबूत मिटाने के मामले में दोषी माना गया है। इस मामले ने 10 साल बाद एक बार फिर निठारी कांड की यादें ताजा कर दी हैं। नोएडा सेक्‍टर-31 के कोठी नंबर डी-5 के पीछे 29 दिसंबर, 2006 को कई बच्‍चि‍यों के नर कंकाल
मि‍ले थे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। निठारी के नरपिशाच के बारे में खुलासा हुआ था कि वह नपुंसक था और लड़कियों की हत्‍या के बाद सेक्‍स करता था। पढ़े निठारी के 'नरपिशाच' की कहानी:

  • मेडिकल परीक्षण में इस बात की पुष्टि हुई थी कि सुरेंद्र कोली नपुंसक है। उसकी शादी भी हुई, लेकिन नपुंसक होने की वजह से ही वह अपनी बीवी को घर पर छोड़कर बाहर रहता था।
  • वह पास के एक मेडिकल स्टोर से यौन उत्‍तेजना वाली दवाइयां खरीद लाता था। उनका सेवन करने के बाद वह इतना पागल हो जाता था कि‍ लड़के और लड़कि‍यों में फर्क नहीं कर पाता था।
  • घर के पास से गुजर रहे छोटे बच्‍चों को कि‍सी न कि‍सी बहाने बुलाकर जबरन कपड़े निकालने पर जब उसे पता चलता था कि वह लड़का है तब वह आगबबूला हो जाता था।
  • पोल खुलने की डर से लड़कों को मारकर शव के टुकड़े-टुकड़े कर रात होते ही धड़ को कोठी के पीछे, जबकि अन्य हिस्से को सामने नाले में बहा देता था।
  • साथ ही लड़कि‍यों की हत्‍या के बाद सेक्‍स करता था।
कोली पर नेक्रोफिलिया बीमारी का था असर: यह ऐसी बीमारी है जिसमें इंसान डेड बॉडी के साथ सेक्स करता है। उसे रेप के दौरान महिला के विरोध का डर रहता है। उसे लगता है कि‍ वह उसे संतुष्ट नहीं कर पाएगा। ऐसे में वह मानसिक रूप से विकृत हो जाता है और डेड बॉडी के साथ ही सेक्स करता है। ऐसा वह आत्म संतुष्टि‍ के लिए करता है। इसी बीमारी से कोली ग्रसि‍त था।
हाईकोर्ट ने फांसी की सजा को बदल दिया था उम्रकैद में: 
निठारी कांड के 'नरपिशाच' सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा में तब्दील कर दिया था। इस कांड का खुलासा 29 दिसंबर 2006 को नोएडा पुलिस ने इस मामले का खुलासा किया था।  इस मामले में नोएडा सेक्टर-31 स्थित डी-5 कोठी के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर और उनके घरेलू नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया गया था। दोनों पर आरोप था कि इन्होंने छोटे बच्चे-बच्चियों और महिलाओं को अगवा करके उनके साथ रेप कि‍या। बाद में उनकी हत्या कर उनके शरीर के टुकड़े घर के बाहर नाले में फेंक दिए।
तारीख-दर-तारीख नि‍ठारी कांड का पूरा सच:

  • करीब 11 साल पहले 20 जून 2005 की दोपहर की बात है। 
  • एक 8 साल की बच्ची ज्योति खेलने के लिए निठारी के पानी टंकी के पास गई। 
  • इसके बाद से वह घर नहीं लौटी। ज्योति के परिजनों ने उसे काफी ढूंढा, लेकिन कोई सूचना नहीं मिली। 
  • इसके कुछ दिनों बाद ही छह साल का हर्ष भी पानी टंकी के पास से गायब हो गया। 
  • उसका भी कुछ पता नहीं चला। इस तरह लगातार बच्‍चों के गायब होने यह सिलसिला चलता रहा और बच्चे गायब होते रहे।
  • लोग अपने बच्चों को पानी टंकी के पास भेजने से डरने लगे, क्योंकि यहीं से बच्चे गायब हो जाते थे। 
  • इस तरह से एक दर्जन से ज्यादा बच्चे गायब हो गए। 
  • इसके बाद पुलिस को कुछ गहरी साजिश नजर आई। 
  • इसके बाद पुलिस की अलग-अलग टीमों ने एनसीआर के अलावा मुंबई, आगरा और बिहार के कई जिलों समेत देश भर में जगह-जगह चक्कर लगाए। 
  • इसके बावजूद भी कोई खास सुराग नहीं मिला, जबकि सुराग निठारी में मौजूद था।
इन बच्‍चि‍यों का हुआ था कत्लगायब होने के बाद इन बच्‍चि‍यों ज्योति, पुष्पा विश्वास, नंदा देवी, पायल, रचना, हर्ष, कु. निशा, रिम्पा हलधर, सतेंद्र, दीपाली, आरती, पायल, पिंकी सरकार, अंजली, सोनी, शेख रजा खान, बीना आदि‍ का कत्‍ल कर दि‍या गया।
  • जब 7 मई 2006 को पायल (21) के निठारी से गायब होने की सूचना मि‍ली तो पुलिस चौक गई। 
  • क्योंकि, इससे पहले निठारी से एक दर्जन से अधि‍क बच्चियां गायब हो चुकी थीं। 
  • ऐसे में पुलि‍स पूरी तरह जांच में जुट गई। वहीं, इस बारे में पायल के पिता नंदलाल लगातार पुलिस पर खोजबीन का दबाव बना रहे थे। 
  • पुलिस को जानकारी मिली कि पायल के पास एक मोबाइल फोन था। वह अब स्विच ऑफ आता है। इसलिए पुलिस ने उस नंबर की कॉल डिटेल निकलवाई।
  • कॉल डिटेल में मुंबई से लेकर तमाम जगहों के नंबर पर थे। 
  • पुलिस ने उन नंबरों की जांच की, लेकिन हर जगह से पुलिस खाली हाथ लौट आई। 
मोनिंदर सिंह पंधेर का निकला नंबर: 
  • एक खास नंबर पर कई इनकमिंग और आउट गोइंग कॉल देखकर पुलिस ने उस पर बातचीत की। 
  • वह नंबर मोनिंदर सिंह पंधेर का निकला।
  • पुलिस ने उससे पूछताछ की तो उसने यह बताकर पल्ला झाड़ लिया कि नौकरी के लिए वह आती रहती थी। 
  • चूंकि पंधेर की गिनती बड़े रईसजादों में होती थी। इसलिए पुलिस उससे कड़ाई से पूछताछ नहीं कर पाती थी। 
  • पायल का जब कहीं सुराग नहीं मिला, तब जांच टीम ने पंधेर का देसी अंदाज में नार्को टेस्ट करने के लिए पुलिस अधिकारियों से इजाजत मांगी। 
  • जांच में जुटे तत्कालीन सीओ दिनेश यादव ने इसकी इजाजत दे दी।
  • तीन दिसंबर 2006 को मोनिंदर सिंह पंधेर को सेक्टर-6 स्थित सीओ ऑफिस बुलाया गया। यहां पहले से ही पायल के पिता नंदलाल को भी बुलाया गया था। 
  • पंधेर के आने पर उसे एक कमरे में कैद कर लिया गया। जांच टीम ने उससे देसी नार्को टेस्ट के अंदाज में इंजेक्शन की जगह गालियों की डोज दी। पंधेर भी सकपका गया। आखिरकार उसने यह बात स्वीकार की कि पायल उसकी कोठी पर आती थी।
पंधेर ने किया खुलासा: 
  • पंधेर ने यह खुलासा किया कि पायल एक कॉलगर्ल थी। इसके बाद खुलासा हो गया।
  • 12 फरवरी 2009 को विशेष सीबीआई जज ने पंढेर और कोली को रेप और हत्या का दोषी ठहराया। 
  • वहीं, 13 फरवरी 2009 को निठारी में सिलसिलेवार 19 हत्याओं में से एक 14 वर्षीय रिम्पा हलदार के साथ रेप और उसकी हत्या के लिए विशेष अदालत ने पंढेर और कोली को मौत की सजा सुनाई।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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