Tuesday, October 4, 2016

कोशिकाओं की 'सेल्फ ईटिंग' पर उपलब्धि हासिल करने वाले जापानी वैज्ञानिक योशीनोरी ओशूमी को चिकित्सा का 'नोबेल'

जापान के योशीनोरी ओशूमी को चिकित्सा क्षेत्र में योगदान के लिए 2016 का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। उन्होंने इस बात का पता लगाया है कि किस तरह शरीर के प्रतिरोधी तंत्र में कोशिकाओं का क्षरण होता है और कैसे वे अपने अवयवों को रीसाईकिल (फिर से इस्तेमाल) करती हैं। उनकी इस खोज से कैंसर, पार्किसन और टाइप-2 डायबिटीज जैसी बीमारियों को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी। स्वीडन के कैरोलिन्सका इंस्टीट्यूट स्थित नोबेल एसेंबली ने एक बयान जारी कर कहा कि उनकी खोजों ने संक्रमण और भुखमरी
के दौरान शरीर विज्ञान की कई प्रक्रियाओं को समझने का मार्ग प्रशस्त किया है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। कोशिकाओं के क्षरण संबंधी ओशूमी का कार्य इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि किस तरह की गड़बड़ियों से उक्त बीमारियां होती हैं। बयान के मुताबिक, कैंसर व स्नायु संबंधी बीमारियों समेत कई स्थितियों में स्वपोषण (सेल्फ ईटिंग) की प्रक्रिया होती है और स्वपोषित जीन्स में बदलावों के कारण ही ये बीमारियां होती हैं। हर साल दिए जाने वाले नोबेल पुरस्कारों में सबसे पहले चिकित्सा क्षेत्र के पुरस्कार की घोषणा होती है। डायनामाइट के आविष्कारक और व्यवसायी अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के मुताबिक 1901 में विज्ञान, साहित्य और शांति के क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल करने वालों को ये पुरस्कार देने की शुरुआत हुई थी। बता दें कि चिकित्सा क्षेत्र में यह पुरस्कार प्रदान करने वाला कैरोलिन्सका इंस्टीट्यूट इस साल उस समय विवादों में घिर गया था जब उसने एक विवादित सर्जन को नियुक्त किया था। हालांकि, सितंबर में स्वीडिश सरकार ने बोर्ड के कई सदस्यों को बर्खास्त कर दिया था।
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साभारजागरण समाचार 
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