Sunday, October 23, 2016

राज ठाकरे की तीन शर्तों के साथ पाक कलाकारों वाली फ़िल्में रिलीज करने की अनुमति दी महाराष्ट्र सरकार ने

करण जौहर की फिल्म 'ऐ दिल है मुश्किल' का अब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) विरोध नहीं करेगी। यही नहीं, पाकिस्तानी कलाकारों वाली किसी अन्य फिल्म की रिलीज में भी रोड़ा नहीं अटकाएगी। इसके लिए प्रोड्यूसर्स को मनसे प्रमुख राज ठाकरे की तीन शर्तें माननी होंगी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। 

  1. जो निर्माता पाकिस्तानी कलाकारों को काम दे चुके हैं, वे आर्मी रिलीफ फंड में 5 करोड़ रु. देंगे। बतौर सबूत रक्षा मंत्री को चेक सौंपने की फोटो दिखानी पड़ेगी। 
  2. पाक कलाकारों वाली फिल्म की शुरुआत में सेना और शहीद सैनिकों के प्रति सम्मान जताने वाला संदेश देना होगा। करण की फिल्म में भी ऐसा दिखाया जाएगा। 
  3. कोई निर्माता आगे से पाक कलाकारों को काम नहीं देगा। गिल्ड यह प्रस्ताव पास करेगी। इसकी कॉपी सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और सीएम को भेजी जाएगी। 
मनसे के साथ प्रोड्यूसर्स की यह डील करवाई महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने। शनिवार सुबह फडणवीस के घर पर ठाकरे आैर फिल्म निर्माताओ की बैठक हुई। प्रोड्यूसर्स गिल्ड के अध्यक्ष मुकेश भट्ट ने सभी शर्तें मान ली हैं। उनके साथ करण जाैहर, सिद्धार्थ रॉय कपूर, साजिद नडियादवाला और फॉक्स स्टूडियो के विजय सिंह भी मौजूद थे। हालांकि, बाद में भट्‌ट ने कहा कि बैठक में रकम के आंकड़े पर कोई बात नहीं हुई है। हालांकि, सिनेमा ऑनर्स एग्जीबिटर्स एसोसिएशन अब भी चार राज्यों में करण जौहर की फिल्म दिखाने पर अड़ी है। पर मनसे ने फिल्म का विरोध वापस ले लिया है। 
राज ने अपने दामन में और दाग लगा लिया है। गुंडागर्दी के बाद अब वे वसूली करने वाले भी बन गए हैं। - सुहेल सेठ
राजतो ऐसा ही करते आए हैं। पर दुखद ये है कि इस बार महाराष्ट्र ने दुर्बल सीएम चुनकर दिया है। - अरुण शौरी
किस कानून के तहत शर्तें मानी? ऐसे में तो लोग पुलिस का नहीं राज का दरवाजा खटखटाएंगे - कुणाल साहनी
पैसे दे देने से कोई बात सही कैसे हो सकती है? राष्ट्रीयसंवेदनाओं को इस तरह नहीं भुनाना चाहिए। अगर कोई बात गलत है, तो गलत है। 5 करोड़ रुपए देने से वह सही कैसे हो जाएगी। -ब्रिगेडियर(रि.) खुशहाल ठाकुर, करगिल के हीरो 
मैं फिरौत की रकम पर नहीं जिया। देश में यह हो क्या रहा है? सेना को फिरौती का हिस्सा बना रहे। यह गलत तरीके से रकम हासिल करना है। -मनमोहन बहादुर, पूर्व एयर वाइस मार्शल 

ले. कर्नल का खुला खत, फोर्स के नाम पर ब्लैकमेलिंग क्यों: सेना किसी आंदोलन से नहीं जुड़ी है। फिल्म पर यह सौदेबाजी सेना के ध्येय वाक्य 'नेशन फर्स्ट' के खिलाफ है। क्या यह फोर्स के नाम पर ब्लैकमेलिंग नहीं है? क्या आपने सेना पर कीमत का एक टैग नहीं टांग दिया? सौदेबाजी कर सैनिकों का बलिदान कम नहीं कर दिया? मुंबई हमले के बाद आपने आमची मुंबई नारा छोड़ दिया। क्योंकि इस ऑपरेशन में शहीद होने वाला कोई भी मुंबई से नहीं था। सेना को राजनीति से दूर रखें। सरल शब्दों में आपको यही समझा सकता हूं। - ले. कर्नल विजय तोमर 
राष्ट्रीयता को पैसों में तौलने की कोशिश: एक मुख्यमंत्री की मध्यस्थता से एक फिल्म को एक सियासी पार्टी की हरी झंडी मिल गई। सरकार खुशी जता रही है। क्या ये हास्यास्पद नहीं है? क्या इतना गंभीर मसला था कि महाराष्ट्र के सीएम को घंटेभर सुलह का रास्ता तलाशने के लिए बैठना पड़े? इतनी गंभीरता तो सूखे पर भी नहीं दिखी? उत्तर भारतीयों की पिटाई पर नजर आई? फिर अब क्यों? शर्त रखी गई कि फिल्म से पहले शहीदों के सम्मान का 15 सेकंड का वीडियो दिखाना पड़ेगा। क्या शहीदों का सम्मान अब फरमान का मोहताज हो गया है? ये फरमान शहीदों का अपमान है! आर्मी फंड में 5 करोड़ देकर पाक कलाकारों की फिल्में दिखाने की शर्त क्या संदेश देती है? क्या राष्ट्रीयता को पैसे से तौला जा रहा है? मुख्यमंत्री फडणवीस के राज ठाकरे का 'राज' स्वीकार करने की वजह क्या है? कहीं इसके पीछे मुंबई के निकाय चुनाव तो नहीं हैं? भाजपा ये चुनाव अकेले लड़ेगी। तो क्या भाजपा मुंबई में शिवसेना के वर्चस्व को कमजोर करने के लिए राज को बढ़ावा दे रही है? जो भी हो, महाराष्ट्र की इस पहली भाजपा शासित सरकार ने एक गलत परिपाटी शुरू कर दी है। 

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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