Saturday, October 29, 2016

हाई कोर्ट में जजों की धीमी नियुक्ति प्रकिया पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार

उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की धीमी रफ्तार पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार इस तरह न्यायपालिका का कामकाज ठप नहीं कर सकती। न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (एमओपी) के फाइनल न होने
के आधार पर जजों की नियुक्तियां नहीं रोकी जा सकतीं। सरकार की दलील थी कि वह स्वयं जजों की नियुक्तियों को लेकर गंभीर है लेकिन देरी का एक कारण एमओपी का फाइनल न हो पाना भी है। कोर्ट और सरकार के ताजा रुख को देखते हुए जजों की नियुक्ति के मसले पर न्यायपालिका और सरकार के बीच फिर तनातनी बढ़ती नजर आ रही है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में लंबित एक जनहित याचिका में अदालतों में मुकदमों के ढेर और न्यायाधीशों के खाली पड़े पदों का मुद्दा उठाया गया है। मामले की सुनवाई स्वयं मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ कर रही है। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने प्रगति का ब्योरा देते हुए कहा कि 3 से 28 अक्टूबर तक हाई कोर्ट में 18 जजों की नियुक्ति के प्रस्ताव मंजूर हुए हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट के आठ में से दो प्रस्ताव मंजूर हुए हैं, कोलेजियम ने 4 फरवरी को इनकी सिफारिश की थी। इस पर कोर्ट ने पूछा कि बाकी छह का क्या हुआ? नौ महीने हो गए हैं सिफारिश किए हुए। अगर सरकार को कोलेजियम की ओर से भेजे नाम पर आपत्ति है तो वह उसे वापस भेजे लेकिन यह क्या कि सरकार उसे दबा कर बैठ गई। जस्टिस ठाकुर ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि बताएं कौन अधिकारी ये काम देख रहा है? हम तथ्य जानने के लिए सेकेट्री जस्टिस और सेकेट्री पीएमओ को कोर्ट में बुलाएंगे। अटॉर्नी जनरल ने बात संभालते हुए कहा कि सरकार खुद नियुक्तियों को लेकर गंभीर है लेकिन एमओपी फाइनल न हो पाने के कारण देरी हो रही है। एक साल होने वाला है अभी तक एमओपी फाइनल नहीं हुआ है। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, एमओपी पर काम हो रहा है। उसके लिए सरकार और कोलेजियम में सहमति जरूरी है। एक-दो मुद्दे हैं जिनमें अभी सहमति नहीं है। लेकिन इसके फाइनल न होने के आधार पर नियुक्तियां नहीं रोकी जा सकतीं। सरकार ने खुद कहा था कि एमओपी नियुक्तियों में रुकावट नहीं बनेगा। रोहतगी ने कोलेजियम व्यवस्था में सुधार पर कोर्ट के दिसंबर के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि उसमें नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की बात कही गई है। कुछ चीजें हैं जिसके लिए एमओपी का फाइनल होना जरूरी है। इसके बाद चीजें ज्यादा तेजी से बढ़ेंगी।
कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि दूसरे दौर में 30 सिफारिशें भेजी गईं थीं, जिसमें से सरकार ने 19 मंजूर की हैं। आइबी रिपोर्ट और बाकी प्रक्रिया पूरी होने में पहले ही चार से छह महीने लगते हैं, सबसे बाद में कोलेजियम सिफारिश करती है फिर सरकार को समय क्यों लगता है? यह किसी के अहम या प्रतिष्ठा का विषय नहीं है, यह संस्था के लिए है। उन्होंने उच्च न्यायालयों में रिक्तियों का ब्योरा देते हुए कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में 165 में से सिर्फ 77 जज काम कर रहे हैं। आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी यही हाल है। कर्नाटक में तो 68 में से 23 ही जज काम कर रहे हैं। वहां आधी अदालतों में ताला पड़ा है। कोर्ट का रुख देखते हुए अटॉर्नी जनरल ने सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया ताकि वे सरकार से निर्देश लेकर सूचित कर पाएं। कोर्ट ने इस अनुरोध पर सुनवाई 11 नवंबर तक टाल दी। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभारजागरण समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.