Sunday, October 16, 2016

गाय भैंस चराने वाली सुनीता 'तस्करी के धंधे' से बनी 'लेडी डॉन', लेकिन आखिरकार फंस गई पुलिस के जाल में

जोधपुर के ओसियां में एक ढाणी है- बानों के बास। यहां सुनीता विश्नोई कभी गाय-भैंस चराया करती थी। क्योंकि चौथी कक्षा फेल हो गई थी और पढ़ाई छोड़ चुकी थी। पिता किसान थे। लेकिन सुनीता का सपना था कि अमीरों की तरह महंगी कारों में सवारी हो और बंगलों में ऐशो-आराम की जिंदगी मिले। अच्छे कपड़ों के लिए
बचपन में गुल्लक में एक-एक रुपए जमा करने वाली इस सुनीता के घर में हाल ही में जब पुलिस ने दबिश दी तो चार मंजिला मकान की तलाशी लेने में पूरा एक दिन लग गया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मकान में बाथरूम से लेकर हर कमरे में ऐसी और विदेशी फर्नीचर लगा था। हाईटेक सिक्युरिटी लॉक लगे घर से पुलिस ने पांच लग्जरी कारें बरामद की। वहीं उसकी बैंक अकांउट में करोड़ों की प्रॉपर्टी मिलने का अंदेशा है। उसके इस बंगले की कीमत है तीन करोड़ रुपए। यह पूरा पैसा उसने कमाया डोडा तस्करी से। उसे मारवाड़ और मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी डोडा तस्कर कहा जाता है। उसका तस्करी नेटवर्क तीन राज्यों राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश में फैला है। 
राजूराम भादू से बाल विवाह के बाद 2001 में सुनीता का गोना हुआ। शादी के कुछ सालों में दो बेटे हो गए, लेकिन बेरोजगार पति के कारण तंगहाली में जीवन गुजर रहा था। शौक पूरे करने और बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाने के लिए 2010 में सुनीता पति को गांव से जोधपुर ले आई। शहर में किराए के मकान में रहने लगे। बेरोजगार पति नौकरी नहीं ढूंढ़ पाया तो कुछ रिश्तेदारों से पति के लिए नौकरी तलाशने का कहा। इसी दौरान एक रिश्तेदार ने राजूराम विश्नोई से मिलवाया। अनपढ़ होने के बावजूद राजूराम को महंगी कार में देख वह एक बार तो चौक गई, रिश्तेदार से पूछने पर पता लगा कि वह गुजरात में अवैध शराब का सबसे बड़ा तस्कर है। अमीर बनने का राजूराम का तरीका उसे जंच गया। उसने राजूराम से नजदीकी बढ़ाई। फिर धीरे-धीरे उसके काम करने के तरीके और नेटवर्क को समझने लगी। लेकिन राजूराम ने यह कहकर उसे काम देने से मना कर दिया कि महिला का तस्करी में कोई काम नहीं है। लेकिन एक बार शराब की डिलीवरी के लिए एस्कॉर्ट वाहन का ड्राइवर नहीं आया तो सुनीता ने कहा कि उसे कार चलाने का शौक है और वह एस्कॉर्ट कर देगी। इस तरह वह तस्करी के धंधे में शामिल हो गई। पहली बार में उसे 10 हजार की कमाई हुई। फिर सुनीता ने शराब से भरी गाड़ियों को नियमित रूप से एस्कॉर्ट करना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे राजूराम की पार्टनर बन गई। इधर तस्करों के घर पर आने-जाने से बदनामी होने लगी तो उसके ससुराल पक्ष ने उसके घर आना-जाना बंद कर दिया। 
इस पर सुमता ने अपने पति को ट्रैक्टर दिलवाकर बैंगलुरू भेज दिया और खुद पूरी तरह तस्करी के धंधे में उतर गई। सुनीता की कमाई महीने में 40 से 50 लाख रुपए तक होने लगी। जो परिवार पहले खिलाफ था, उसने सुनीता को मुखिया मान लिया और उसके काम में हाथ बंटाने लगे। 
राजुराम की पार्टनर बन गई- सुनीता तस्कर राजूराम विश्नोई को प्रेमजाल में फंसाकर पहले उसकी पार्टनर बनी और फिर दूसरे जिलों के तस्करों से संपर्क कर डोडा पोस्त, अफीम, शराब सप्लाई करने लगी। लेकिन इस बीच मांजू अन्य गिरोह ने उनकी शराब से भरी गाडिय़ां लूट ली। इससे गैंगवार हुआ और एक पुलिस अधिकारी पर फायरिंग करने के मामले में राजूराम को जेल जाना पड़ा। इसके बाद करीब 50 तस्करों के गिरोह की जिम्मेदारी सुमता पर गई और उसने इससे निपटने के लिए पुलिस अधिकारियों को अपने प्रेमजाल में फंसाया और दूसरे गिरोह की मुखबरी कर अधिकारियों से उन्हें जेल भिजवा कर उनके एरिया पर भी कब्जा जमा लिया। लेडी डॉन सुनीता ने पुलिस से बचने के लिए एक दर्जन चोरी की लग्जरी गाड़ियां मंगवाई। सभी कारों में जीपीएस सिस्टम लगवाए और उन्हें अपने एप से मोबाइल पर कनेक्ट कर, बेडरूम में ट्रैकर का सेटअप लगाया। तस्करी के लिए उसने मध्यप्रदेश के ड्राइवरों को लिया। वहीं एस्कॉर्ट के लिए अपने परिवार रिश्तेदारों को लगाया। लेकिन पुलिस ने डोडा पोस्त से भरी गाड़ी पकडऩे के बाद जीपीएस सिस्टम को ट्रेप कर उसे सुनीता को पकड़ लिया।
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साभार: भास्कर समाचार 
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