Sunday, October 9, 2016

प्राइवेट ट्यूशन पर खर्च के मामले में अब ग्रामीण बच्चे भी शहरी बच्चों को दे रहे टक्कर

देशमें प्राइवेट ट्यूशन लेने के मामले में अब ग्रामीण छात्र शहरी इलाकों के छात्रों से ज्यादा पीछे नहीं हंै। नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस के सबसे ताजा आंकड़े के अनुसार ग्रामीण छात्र पढ़ाई पर कुल खर्च का 14.1 फीसदी ट्यूशन पर खर्च करते हैं, जबकि शहरी इलाकों में यह आंकड़ा इनसे करीब दो फीसदी ज्यादा 16.5 फीसदी है। हालांकि रिपोर्ट में स्पष्ट नहीं है कि ये छात्र गांव में रहकर ही ट्यूशन ले रहे हैं या शहरों में आकर पढ़ाई कर रहे हैं। वैसे रिपोर्ट के अनुसार देश में 26 फीसदी छात्र प्राइवेट ट्यूशन लेते हैं। प्राइवेट कोचिंग का ट्रेंड जनरल स्ट्रीम के छात्रों के बीच ज्यादा
लोकप्रिय है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। टेक्निकल और प्रोफेशनल कोर्सेज़ करने वाले छात्रों में प्राइवेट ट्यूशन उतना लोकप्रिय नहीं है। 
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सरकारी शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई का खर्च प्राइवेट के मुकाबले काफी कम है। प्राइमरी स्तर पर सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले हर छात्र को साल में 1,111 रुपए खर्च करने होते हैं। वहीं प्राइवेट अनएडेड स्कूलों में इसके लिए करीब दस गुना ज्यादा 10,623 रुपए खर्च होते हैं। सेकंडरी स्तर पर प्राइवेट अनएडेड संस्थानों में खर्च तीन गुना ज्यादा है। यही नहीं देश में पिछले सात साल में बच्चों की पढ़ाई का खर्च दोगुना हो गया है। 2007 में जनरल एजुकेशन के लिए 2,461 रुपए खर्च होते थे। 2014 में यह रकम ढाई गुना से भी ज्यादा 6,788 रुपए हो गई। टेक्निकल/प्रोफेशनल और वोकेशनल कोर्सेस के मामले में यह इजाफा करीब दोगुना है। वहीं सबसे ज्यादा फीस मेडिकल कोर्सेज के लिए देनी पड़ती है। इसका असर ग्रामीण क्षेत्रों में भी है। ये कोर्सेज सरकारी के मुकाबले प्राइवेट संस्थानों से करना ज्यादा महंगा है।
देश के शहरी इलाकों में मेडिकल के लिए सरकारी संस्थानों में सालाना औसत खर्च 72,636 रुपए है। वहीं इंजीनियरिंग कोर्स के लिए सालाना करीब 43 हजार और मैनेजमेंट के लिए 46 हजार रुपए खर्च होते हैं। वैसे प्राइवेट और सरकारी कॉलेजों की फीस के अंतर को देखें तो सबसे बड़ा अंतर मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग कोर्सेज में है। प्राइवेट संस्थानों में फीस डेढ़ से दो गुना तक ज्यादा है। प्रोफेशनल कोर्सेस के लिए छात्र 70 से 75 फीसदी रकम केवल ट्यूशन फीस के लिए भरते हैं। 
प्राइवेट संस्थानों में 10 गुना तक ज्यादा खर्च: 
प्राइमरी स्तर पर यह अंतर दस गुना तक है। अपर प्राइमरी स्तर पर सरकारी में खर्च 1900 रु. है। प्राइवेट स्कूलों में यह करीब पांच गुना और प्राइवेट अनएडेड स्कूलों में सात गुना ज्यादा है। वहीं, सेकंडरी स्तर पर सरकारी संस्थानों में 3700 रु. की तुलना में प्राइवेट में 9300 रु. और प्राइवेट अनएडेड में 15 हजार 800 रु. पढ़ाई का सालाना खर्च आता है। 

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.