Tuesday, October 4, 2016

कहाँ गया क़ानून, कहाँ गई सुरक्षा: पिछले दस साल में पांच गुना बढ़ी छेड़छाड़ की घटनाएं

कुरुक्षेत्र के गांव टीकरी में छेड़छाड़ के खिलाफ छात्राओं ने हौंसला दिखाते हुए पंचायत बुलवाई। इससे पहले रेवाड़ी के गांव सूमो-कतोपुरी की 50 छात्राओं ने छेड़छाड़ से परेशान होकर स्कूल से नाम कटवा लिया था। पिछले महीने जींद जिले के गांव धरौदी की एक छात्रा को मनचलों ने इतना परेशान कर दिया कि मजबूर पिता ने मौत
को गले लगा लिया। रोहतक में 10 वर्षीय पहलवान के साथ भी अश्लील हरकत हुई। ये तो हाल के कुछ उदाहरण हैं। सरकार के ही आंकड़े बताते हैं कि पिछले 10 सालों में छेड़छाड़ की घटनाएं पांच गुना तक बढ़ गई हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। वर्ष 2005 में छेड़छाड़ की 399 वारदातें दर्ज हुईं, वहीं 2015 में इनकी संख्या दो हजार के करीब पहुंच गई। 2016 में जुलाई तक ही एक हजार से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके हैं। यह तो वे मामले हैं, जिनमें बेटियों ने हिम्मत दिखाते हुए शिकायत पुलिस तक दी, जबकि इससे कहीं ज्यादा मामलों में शिकायत नहीं हो रही हैं। इन दस सालों में अनेक छात्राओं ने मनचलों से तंग होकर अपनी जिंदगी भी खत्म की है। 
पिछले महीने ही क्राइम के आंकड़े जारी कर सरकार ने दावा किया कि वर्ष 2005 से 2014 तक यानी कांग्रेस के कार्यकाल में छेड़छाड़ के मामलों में औसतन प्रतिवर्ष 32.3 फीसदी की दर से वृद्धि हुई। 2015 में यह दर 12.1 प्रतिशत रही। वर्ष 2016 में 31 जुलाई यह दर -8.2 फीसदी रही।

- आंकड़े सरकार ने जारी किए हैं। 
प्रदेश में छेड़छाड़ की घटनाएं लगातार होना गंभीर मामला है। आयोग भी इस मुद्दे पर गंभीरता से ही काम करना चाहता है, लेकिन प्रदेश सरकार आयोग को कोई सुविधा नहीं दे रही है। खुद की गाड़ी से ही इधर-उधर जाना पड़ रहा है। पेट्रोल तक के पैसे सरकार नहीं दे रही। स्टाफ भी नहीं है। - कमलेश पांचाल, चेयरपर्सन, महिला आयोग 
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साभार: भास्कर समाचार 
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