Tuesday, October 4, 2016

चीन से आया जीवाणु फैला रहा घातक बीमारी, पूर्वोत्तर राज्यों से शुरू हो रहा संक्रमण

चीन से आए जीवाणु भारत में टीबी जैसी खतरनाक बीमारी फैला रहे हैं। इस पर दवाएं भी बेअसर साबित हो रही हैं। सेंट्रल एशियन स्ट्रेन (सीएएस) जीनोटाइप के माइक्रोबैक्टीरियल जीवाणु टीबी होने का सबसे बड़ा कारण है। ईस्ट अफ्रीकन इंडियन (ईएआइ) जीनोटाइप स्ट्रेन और बीजिंग स्ट्रेन से भी टीबी का रोग होता है। ये बातें दिल्ली
एम्स के डॉक्टरों के शोध में सामने आई हैं। बीजिंग स्ट्रेन का संक्रमण पूवरेत्तर के राज्यों से होते हुए देशभर में फैल रहा है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। यह स्ट्रेन दवा प्रतिरोधी (ड्रग रेजिस्टेंस) व मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस (एमडीआर) टीबी का सबसे बड़ा कारण है। एमडीआर टीबी की ऐसी स्थिति होती है जब मरीजों पर दवाएं असर करना बंद कर देती हैं। 43.3 फीसद मामलों में दवा प्रतिरोधी टीबी का कारण बीजिंग स्ट्रेन पाया गया है। इसे एम्स में इस साल का सबसे बेहतरीन शोध चुना गया है। हाल ही में इसके शोधकर्ता क्लीनिकल माइक्रोबायोलॉजी और मोलीक्यूलर डिविजन के प्रमुख डॉ. सरमन सिंह को एम्स की तरफ से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने पुरस्कृत भी किया था। डॉ. सरमन सिंह ने कहा कि इस शोध में बीजिंग स्ट्रेन के बढ़ते खतरे का पता चला है। जहां यह पूवरेत्तर में जड़ें जमा चुका है, वहीं दिल्ली, पंजाब सहित उत्तर भारत में भी इससे खतरा बढ़ रहा है व दवा प्रतिरोधक टीबी के मामले बढ़ने की आशंका है। डॉ.सरमन ने कहा कि माइक्रोबैक्टिीरियम टीबी नामक जीवाणु के चलते टीबी की बीमारी होती है। इस जीवाणु के 75-80 जीनोटाइप होते हैं। इनकी जेनेटिक संरचना में अंतर होता है। किस क्षेत्र में किस जीनोटाइप के जीवाणु का प्रकोप अधिक है यह पता लगाने के लिए देश के नौ भौगोलिक क्षेत्रों दिल्ली, आगरा, पंजाब, मुंबई, नागपुर, हैदराबाद, चेन्नई, कोलकाता व असम से 628 मरीजों के सैंपल से अलग किए गए जीवाणुओं के स्ट्रेन (जीनोटाइप) का अध्ययन किया गया। शोध के दौरान 35.4 फीसद सैंपल में सीएएस, 24.2 फीसद में ईएआइ स्ट्रेन व 17.2 फीसद में बीजिंग स्ट्रेन पाए गए। डॉ. सिंह ने कहा कि शोध में यह भी पता चला कि ईएआइ स्ट्रेन ज्यादातर दक्षिण भारत तक सीमित है। इस स्ट्रेन से दवा प्रतिरोधी टीबी का खतरा बहुत कम रहता है। असल समस्या बीजिंग स्टेन के रूप में सामने आ रही है। यह चीन से विस्थापित होकर सीमावर्ती पूवरेत्तर के राज्यों तक पहुंचा है। यही वजह है कि असम व अरुणाचल प्रदेश में इसका संक्रमण अधिक है। असम में 65.6 फीसद लोगों में टीबी का कारण बीजिंग स्ट्रेन का संक्रमण है।
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साभारजागरण समाचार 
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