Friday, October 7, 2016

रोहित वेमुला नहीं था दलित, मामले में स्मृति ईरानी और बंडारू दत्तात्रेय निर्दोष करार

हैदराबाद विश्वविद्यालय का शोध छात्र रोहित वेमुला दलित नहीं था। उसकी आत्महत्या के बाद मामले की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग ने कहा है कि उसके दलित होने की बात साबित नहीं हो सकी है। सूत्रों के अनुसार, जस्टिस एके रूपनवाल आयोग को इस बात का कोई प्रमाण नहीं मिला है, जिससे पता चले कि उसकी
मां वी राधिका ‘माला’ समुदाय से आती हैं। समझा जाता है कि आयोग ने कहा कि वेमुला की मां ‘माला’ समुदाय से होने का साक्ष्य देने के लिए बयान दे सकती थीं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। आयोग ने कहा कि वेमुला की मां को गोद लेने वाले परिवार ने उनको उनके माता-पिता के नाम नहीं बताए थे। इसलिए यह संभावना नहीं है कि उन्हें उनके वास्तविक माता-पिता की जाति बताई गई होगी।
इसके साथ ही न्यायिक आयोग ने केंद्रीय मंत्रियों स्मृति ईरानी और बंडारू दत्तात्रेय को निर्दोष करार दिया है। सूत्रों के अनुसार, रूपनवाल आयोग ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों को भी सभी आरोपों से बरी कर दिया है। इसका कहना है कि कुलपति और अन्य अधिकारी किसी तरह के राजनीतिक दबाव में काम नहीं कर रहे थे। वेमुला की आत्महत्या के समय स्मृति ईरानी केंद्र में मानव संसाधन विकास मंत्री थीं। मोदी सरकार में श्रम राज्य मंत्री बंडारू दत्तात्रेय हैदराबाद से सांसद हैं। आयोग का कहना है कि वेमुला ने निजी कारणों से आत्महत्या की थी।
वेमुला की आत्महत्या के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने जस्टिस एके रूपनवाल की अध्यक्षता में मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया था। इसने मंत्रलय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। 
उल्लेखनीय है कि वेमुला की आत्महत्या ने एक बड़े राजनीतिक विवाद का रूप ले लिया था। स्मृति और बंडारू ने इस मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिखा था। विरोधी दल और आंदोलनकारी छात्र इन दोनों मंत्रियों पर विश्वविद्यालय के कामकाज में दखल देने का आरोप लगा रहे थे।
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साभारजागरण समाचार 
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