Wednesday, October 26, 2016

APAR में त्रुटियां: प्राध्यापकों को ही बना डाला रिपोर्टिंग अधिकारी

हरियाणा शिक्षा विभाग की ओर से जारी एपीएआर में प्राध्यापकों को ही रिपोर्टिग अधिकारी बना डाला। बताया जाता है कि इस बार प्रदेश के स्कूली प्राध्यापकों की एपीएआर में आत्म मूल्यांकन व वर्ष भर की गतिविधियों का
लेखा-जोखा के कॉलम ही गायब हो गए। वहीं एपीएआर में रिपोर्टिग अधिकारी के दो-दो कॉलम दे दिए गए। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। ऐसे में अधिकांश प्राध्यापकों ने स्वयं रिपोर्टिग अधिकारी के कॉलम भर दिए। 
ऐसे समझें इस गड़बड़ी को: आमतौर पर एपीएआर पांच भागों में बंटी होती है। प्रथम भाग आधारभूत सूचना का है। दूसरा भाग आत्म मूल्यांकन का है। मगर वर्तमान में जारी की गई एपीएआर में दिए गए निर्देश हास्यास्पद हैं कि कृपया भाग 2 की समीक्षा के उपरान्त अपने अंक दें। ध्यान देने योग्य है कि एपीएआर के भाग 2 को भरने के लिए भाग 2 की ही समीक्षा कैसे की जा सकती है। इसी प्रकार भाग 3 के बिन्दु संख्या 2 में भी यही लिखा गया है कि कृपया भाग 2 की समीक्षा के उपरान्त अपने अंक दें। वहीं इसके बिन्दु संख्या 1 में रिपोर्टिंग अधिकारी के लिए निर्देश है कि क्या आप इन प्रश्नों के आधार पर आत्म मूल्यांकन भाग में दिए गए उत्तरों से सहमत हैं। जब आत्म मूल्यांकन भाग में प्राध्यापक द्वारा उत्तर देने के लिए कोई स्थान ही नहीं है तो रिपोर्टिंग अधिकारी की सहमति और असहमति का प्रश्न ही कहां उठता है।
कॉलम दी नहीं और मांग ली जानकारी: राजकीय महाविद्यालय बौन्द कलां के हिन्दी के सहायक प्रोफेसर डॉ. सुरेन्द्र कुमार ने बताया कि इस एपीएआर के प्रारूप के अंत में फॉर्म भरने के लिए दिए गए सामान्य दिशा-निर्देशों में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि जिस अधिकारी की रिपोर्ट लिखी जानी है, उसे सर्वप्रथम अपने शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक कार्यों का विवरण 100 शब्दों में दिया जाना चाहिए। मगर प्रारूप में कार्यों के वर्णन के लिए कोई स्थान ही नहीं है तो वह उनका वर्णन कहां और कैसे करेगा।
एपीएआर में आत्मविश्लेषण का कॉलम गायब है। इस संबंध में विभाग के निदेशक को पत्र लिख दिया गया है। वे जैसे ही इस संबंध में आदेश देंगे, उसके अनुरूप ही कदम उठाया जाएगा। - सुरेश शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी।
दस लाख रुपये का लगेगा विभाग को चूना: प्रदेश में करीब 20 से 25 हजार स्कूल प्राध्यापक कार्य कर रहे हैं। प्रत्येक को करीब दो दर्जन पेजों की एपीएआर वितरित की गई हैं। एपीएआर प्रिंट करवाने पर कम से कम 20 रुपये भी खर्च आया होगा तो विभाग को करीब 5 लाख रुपये का चूना लगेगा। इसके साथ ही नए सिरे से प्रिटिंग करवाने पर इतना ही और खर्च होगा। इसमें ट्रांसपोर्टेशन तथा समय की बर्बादी अलग से। 
यह भी है त्रुटी: इस रिपोर्ट का भाग दो जब प्राध्यापक के द्वारा भरा जाना है तो इसमें रिपोर्टिग अधिकारी, समीक्षा अधिकारी और स्वीकारिता अधिकारी के कॉलम ही क्यों दिए गए हैं। इसमें एक कॉलम प्राध्यापक का भी होना चाहिए था। इसमें एक त्रुटि यह भी है कि स्वीकारिता अधिकारी को अंग्रेजी में रिव्यूइंग अथॉरिटी लिखा गया है, जबकि स्वीकारिता अधिकारी को एक्सेप्टिंग अथॉरिटी कहा जाता है।
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साभारजागरण समाचार 
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