Sunday, October 9, 2016

गोल्डन टेम्पल प्लाजा: 208 करोड़ में 90 दिन में बदलेगा भारत के सबसे बड़े धार्मिक पर्यटन स्थल का 'रूप'

देश के सबसे बड़े धार्मिक पर्यटन स्थल में आपका स्वागत है। हम यहां पहुंचकर पैदल ही चलते हुए श्री अमृतसर साहिब के प्लाजा तक गए। इससे पहले कि हम आसपास के बदले माहौल में घुल-मिल पाते, चलते-चलते ही सुनने को मिला- दे आर ट्राइंग टु मेक इट लुक ओल्डर...। हमने गौर किया- वाकई लाल किलेनुमा विशालकाय स्ट्रक्चर नजर आता है। यहां पहले एमसी बिल्डिंग हुआ करती
थी, अब म्यूजियम बन रहा है। एमसी के दफ्तर छह महीने पहले शिफ्ट कर दिए गए हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सड़क पार इसके सामने भी एक किले जैसा गेट बनाया जा रहा है। इसके पीछे पुराना बाजार और तंग गलियां हैं। यहां किले की दीवार पर एक हिस्सा सफेद छोड़ दिया गया है, जहां दरबार साहिब से कीर्तन का लाइव टेलीकास्ट होगा। लोगों को प्लाजा समर्पित करने की तारीख 1 नवंबर रखी गई है, लेकिन यहां काम पूरा करने में अभी तीन महीने का समय और लग सकता है। 
हॉल गेट से करीब 200 मीटर चलते हैं तो संसद नजर आती है, साइज में छोटी लेकिन बिल्कुल नई दिल्ली जैसी ही। यहां अांबेडकर चौक है। संसद के स्ट्रक्चर के ऊपर संविधान की किताब और बाबा साहेब भीमराव अांबेडकर का बुत भी है। इसका डिजाइन तैयार करने वाले आर्किटेक्ट अनूप बरतरिया कहते हैं- इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यहां आने वाले हर पर्यटक को भारत के दर्शन हों। देश में पहली बार कहीं संसद के डिजाइन का चौक तैयार किया गया है। हमारी आजादी की लड़ाई में शहीद होने वाले आम लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए जलियांवाला चौक पर पहली बार ज्योति जलाई जाएगी। यहां से 150 मीटर आगे चलने पर सबसे बड़ा चौक नजर आता है- महाराजा रंजीत सिंह चौक, दूधिया रंग में। मार्बल के इस चौक पर हाथी, घोड़े, शेर उकेरे गए हैं। इस चौक के ऊपर घोड़े पर सवार हाथ में तलवार लिए महाराजा रंजीत सिंह का बुत लगना है। इससे थोड़े नीचे उनके दो जरनैल- हरि सिंह नलवा और अकाली फूला सिंह के बुत भी लगेंगे। यहीं सड़क के एक तरफ एक बहुमंजिला इमारत खड़ी हो गई है, जो फाइव स्टार होटल का आभास देती है।
यहसराय है, जहां नॉमिनल रेट्स पर 250 टूरिस्ट ठहर सकते हैं। इस पूरे रास्ते में पेवर ब्लॉक बिछा दिए गए हैं। सड़क के दोनों तरफ वैसा ही बाजार था, जैसा पुराने शहरों में होता है। दुकानें अब भी वहीं है, लेकिन इनकी खूबसूरती कई गुना बढ़ा दी गई है। दुकानों के बाहर रेडस्टोन से किले की शक्ल दी गई है। जो दुकानें आगे-पीछे बेतरतीब सी थीं, उन्हें एक लाइन में कर दिया गया है। पीडब्लूडी के चीफ इंजीनियर अरविंदर सिंह बताते हैं कि श्री दरबार साहिब से लेकर जलियांवाला बाग तक जितनी भी दुकानें थीं उन्हें एक जैसा रूप-रंग और नाम दिया गया है। सभी दुकानों के छज्जे बराबर कर दिए गए हैं। इस पूरे रास्ते पर आने वाले बाजारों पर गेट बनाए जा रहे हैं। एंट्री गेट से लेकर प्लाजा तक सड़क के दोनों ओर लैंपपोस्ट लगाए जा रहे हैं ताकि रात में इसकी आभा देखते ही बने। डिप्टी सीएम सुखबीर बादल कहते हैं कि वर्ल्ड क्लास प्लाजा श्री दरबार साहिब, सिख धर्म की फिलॉसफी आदि समझने के लिए तैयार किया गया है। जो लोग अमृतसर में श्री दरबार साहिब में दर्शन के लिए आते हैं वे एक दिन से ज्यादा यहां नहीं ठहरते। हमारी कोशिश है कि अमृतसर में ऐसी चीजें हों जो उन्हें दो-तीन दिन तक रोक सकें। अटारी बॉर्डर पर होने वाली रिट्रीट सेरेमनी, जलियांवाला बाग ऐसे कई टूरिस्ट स्पॉट पर जाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है, ताकि इतनी भारी तादाद में आने वाले लोगों को कोई दिक्कत हो। किलेनुमा दीवारों के पीछे वही दशकों पुरानी दुकानें- पंजाबी जूती, सूट, गिफ्ट आइटम्स, मटका कुल्फी की... 
यहां से गुजरते वक्त कुछ-कुछ जयपुर के किलों और बाजार की याद आती है। रात 11 बजे भी पत्थर काटने की आवाजें सुनाई दे रही हैं। इसी काम में जुटे कारीगर ने बताया कि वह 8 महीने पहले जयपुर से ही आए हैं। इसका कंसेप्ट और डिजाइन भी जयपुर की सिंसियर आर्किटेक्ट कंपनी के अनूप बरतरिया ने तैयार किया है। 
इतनी रात को भी यहां श्रद्धालुओं और टूरिस्ट्स का आना-जाना लगा हुआ है, जो कोई नई बात नहीं है। नया यह है कि यहां कार-बाइक की नो एंट्री है। लोग पैदल ही आ-जा रहे हैं। आम सड़क की जगह पेवर ब्लॉक्स और टाइलों ने ले ली है। सड़क ज्यादा खुली-खुली महसूस होती है, क्योंकि यहां से रेहड़ी-फड़ीवालों को हटा दिया गया है। तभी इस बदलाव का स्वागत करता एक कमेंट सुनने को मिलता है- ऐनू वैटिकन सिटी बना रहे ने। मैं सोचता हूं- वैटिकन सिटी भले बने, लेकिन जिस तरह की सौंदर्यिकरण हो रही है, उस भावना में बिल्कुल सटीक बात कही गई है। यहीं, एक तरफ किलेनुमा गेट बन रहा है जहां से संकरे बाजार की ओर जा सकते हैं। इस गेट के एक पिर पर एक कारीगर स्टेन्सिल से डिजाइन बना रहा है। दूसरा कारीगर डिजाइन के मुताबिक पत्थर को काट रहा है। पत्थरों के कटने से उड़ने वाली धूल को थोड़ी-थोड़ी देर में डस्ट सकिंग मशीन से साफ किया जा रहा है। दरबार साहिब में मत्था टेककर लौट रहा एक शख्स दूसरे से कह रहा है- अभी तो बन ही रहा है, कम्प्लीट होने पर शानदार लगेगा। 
गोल्डन टेम्पल प्लाजा का काम 2 फेज में हुआ: 
  1. पहले फेज में 8250 वर्ग मीटर एरिया में मार्बल बिछाए गए और क्लॉक टावर एंट्रेंस के सामने एक फाउंटेन लगाया गया। इसे 2014 में पब्लिक के लिए ओपन कर दिया गया था। 
  2. दूसरा फेज- टाउन हॉल से लेकर प्लाजा तक की ब्यूटीफिकेशन और दरबार साहिब के बाहर बेसमेंट प्रोजेक्ट के तहत है, जो अक्टूबर तक पूरा होना है। बेसमेंट के नीचे चार हॉल बनाए जा रहे हैं, जो दरबार साहिब, सिखिज्म के बारे में ऑडियो-विजुअल, पेंटिंग-फोटोग्राफ, 3डी प्रेजेंटेशन के जरिये बताएंगे। 

रिसेप्शन हॉल जिसमें 500 टूरिस्ट समा सकते हैं: बैंक, एटीएम, रेलवे-फ्लाइट इन्क्वायरी विंडो, सूवेनियर शॉप, इंटरनेट कैफे, वॉशरूम, कॉन्फ्रेंस रूम जिसमें 100-150 लोगों के बैठने की व्यवस्था, दो वीवीआईपी लॉन्ज वीआईपी कार पार्किंग का इंतजाम

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साभार: भास्कर समाचार 
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