Monday, October 10, 2016

अंग्रेजी अखबार का दावा: 2011 में भी हुआ था सर्जिकल स्ट्राइक, भारतीय कमांडो काट लाए थे तीन पाकिस्तानी सैनिकों के सिर

जुलाई 2011 में पाक सैनिकों ने 6 भारतीय जवानों को शहीद किया था। दो जवानों के सिर काटकर ले गए। बदले के लिए 'ऑपरेशन जिंजर' का प्लान बना। 7 टोही मिशनों ने टारगेट ढूंढे। पाकिस्तानी सेना की तीन चौकियां फाइनल हुईं। पुलिस चौकी, हिफाजत और लाश्दत। घात लगाने, सर्जिकल स्ट्राइक करने और निगरानी के लिए
अलग-अलग टीमें बनीं। ठीक दो महीने बाद 30 अगस्त को हमला करना तय हुआ। इस दिन मंगलवार था। कारगिल सहित पहले के सभी अभियानों में मंगलवार के दिन सेना को बड़ी कामयाबी मिलती रही है। अगले दिन ईद भी थी। यह दिन जानबूझकर चुना। क्योंकि पाकिस्तानी ऐसे समय में हमले की उम्मीद नहीं रखते। 
भारतीय सेना ने दो महीने बाद पीओके में घुसकर अपने इतिहास के सबसे घातक सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया। कार्रवाई में कम से कम 10 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए। कड़ा संदेश देने के लिए भारतीय कमांडो तीन सैनिकों के सिर भी काटकर साथ ले आए थे। 'ऑपरेशन जिंजर' के नाम से हुई इस कार्रवाई का खुलासा रविवार को एक अंग्रेजी अखबार ने किया। हालांकि, 2011 में सेना ने ऐसी किसी कार्रवाई से इनकार किया था। लेकिन, तब कुपवाड़ा स्थित 28 डिवीजन के प्रमुख रहे मेजर जनरल (रि.) एसके चक्रवर्ती ने ऑपरेशन जिंजर की पुष्टि की है। उन्होंने इससे ज्यादा जानकारी नहीं दी। ऑपरेशन में एक बारूदी सुरंग फटने से एक भारतीय कमांडो की उंगली भी उड़ गई थी। लेकिन वह अपने साथियों के साथ सुरक्षित तरीके से वापस लौट आया। 
वीडियो में दिखे ट्रॉफी की तरह सजाए गए सिर: सैनिकों के सिर कटने के कुछ दिन बाद ही घुसपैठ की कोशिश में मारे गए आतंकी से सेना को एक वीडियो क्लिप मिला। इसमें पाकिस्तानी सैनिक भारतीयों के कटे हुए सिरों को घेरे खड़े थे। इससे गुस्सा और बढ़ गया। बदला लेना तय हुआ। 
घात लगाकर 19 घंटे तक लॉन्चिंग पैड पर छिपे रहे कमांडो: कुल 25 सैनिकों ने हमले को अंजाम दिया। इनमें ज्यादातर पैरा कमांडो थे। 29 अगस्त की सुबह 3 बजे सभी सैनिक लॉन्चिंग पैड पर पहुंचे। हमले की ताक में रात 10 बजे तक छिपे रहे। इसके बाद एलओसी पार की। 30 अगस्त की सुबह चार बजे घात लगाने वाली टीम पुलिस चौकी के पास पहुंच गई। अगले एक घंटे में आसपास बारूदी सुरंगें बिछा दीं, ताकि नुकसान ज्यादा से ज्यादा हो। 
पहले माइन से उड़ाया, फिर ग्रेनेड फेंके, मरने पर काटे सिर: 30 अगस्त की सुबह 7 बजे सैनिकों ने एक जेसीओ के साथ चार पाक सैनिकों को चौकी की तरफ आते देखा। उनके पास पहुंचते ही बारूदी सुरंग उड़ा दी गईं। चारों गंभीर रूप से जख्मी हो गए। फिर भारतीय टुकड़ी ने ग्रेनेड फेंके फायरिंग की। एक पाकिस्तानी सैनिक नाले में कूदकर भाग गया। भारतीय कमांडो ने इसी बीच तीनों पाकिस्तानी सैनिकों के सिर काट डाला। उनके रैंक बिल्ले, हथियार और बाकी सामान भी निकाल लिया। शवों के नीचे प्रेशर आईईडी बिछाकर कमांडो पीछे हट गए। सूबेदार परवेज, हवलदार आफताब और नायक इमरान के सिर साथ ले आए। 
हमले के दौरान भागे दो सैनिकों को बैकअप टीम ने मारा : धमाके सुनकर दो अन्य पाक सैनिक चौकी से भाग गए थे। लेकिन थोड़ी दूर तैनात दूसरी भारतीय टीम ने उन्हें मार डाला। दो अन्य पाकिस्तानी फौजियों ने इस टुकड़ी को घेरने की कोशिश की, लेकिन कवर दे रही तीसरी भारतीय टुकड़ी ने इन्हें भी मिटा दिया। भारतीय सैनिकों ने लौटते वक्त देखा कि कुछ और पाक फौजी पुलिस चौकी की तरफ जा रहे हैं। जल्द ही वहां से धमाके सुनाई दिए। यानी शवों के नीचे लगी आईईडी फट चुकी थी। इस दौरान भी कम से कम तीन और पाकिस्तानी सैनिक मारे जाने का अनुमान है। 
और 2.30 बजे तक वापस लौट आईं सारी टीमें: ऑपरेशन कुल 45 मिनट चला था। भारतीय कमांडो ने 7.45 बजे ऑपरेशन पूरा कर एलओसी का रुख कर लिया। पहली टुकड़ी दोपहर 12 बजे और आखिरी 2.30 बजे वापस पहुंची। यानी भारतीय फौज कुल 48 घंटे तक दुश्मन की सीमा में रहे। हमले में कम से कम 10 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे। दो या तीन गंभीर रूप से घायल होने का भी सूत्रों ने अनुमान लगाया। 
सिरों को पहले दफनाया, फिर जलाकर किशनगंगा में बहाया: अखबार का दावा है कि कटे सिरों के फोटो लेने के बाद सेना ने उन्हें दफना दिया। लेकिन दो दिन बाद एक वरिष्ठ जनरल पहुंचे और सिरों क जलाकर उनकी राख किशनगंगा में बहाने के आदेश दिए, ताकि डीएनए का कोई सबूत बचे। सैनिकों ने ऐसा ही किया। 
30 जुलाई 2011 को 2 जवानों के काटे सिर: पाकिस्तानकी बॉर्डर एक्शन टीम (बैट) ने कुपवाड़ा के गुगलधर में राजपूत और कुमाऊं रेजिमेंट के 6 सैनिकों पर हमला किया। हमला बहुत ही बर्बर था। पाक सैनिकों ने भारतीय सेना के हवलदार जयपाल सिंह अधिकारी और लांस नायक देवेंद्र सिंह का सिर काट डाला। 'ट्रॉफी' के तौर पर दोनों सिर साथ ले गए। हमले में घायल 19 राजपूत के एक जवान की बाद में मौत हो गई। 

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साभार: भास्कर समाचार 
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