Sunday, October 16, 2016

ग्लोबल वार्मिंग से पर्यावरण को बचाने आगे आए 197 देश, घटाएंगे HFC का इस्तेमाल

जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए भारत सहित 197 देशों ने ग्रीनहाउस गैस हाइड्रोफ्लूरोकार्बन्स (एचएफसी) का इस्तेमाल कम करने पर सहमति जताई है। 2045 तक सभी देशों ने एचएफसी का इस्तेमाल 80 से 85 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा है। शनिवार को रुआण्डा की राजधानी किगाली में इन देशों के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। यहां 'मॉन्ट्रियाल प्रोटोकॉल ऑन सबस्टेंसेस दैट डिप्लीट ओजोन लेयर' विषय पर चार दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इस करार के मुताबिक, सबसे पहले अमेरिका, यूरोप अन्य विकसित देश एचएफसी का इस्तेमाल कम करेंगे। वे इसकी शुरुआत 2019 से कर देंगे। 2011-13 को आधार वर्ष (जब से इसकी कमी की तुलना की जाएगी) मानकर उन्हें 2036 तक इसका इस्तेमाल 85 प्रतिशत कम करना है। इसके बाद चीन, जो एचएफसी का सबसे बड़ा उत्सर्जक है। वह 2020-22 को आधार वर्ष लेकर 2045 तक इसका इस्तेमाल 80 प्रतिशत कम करेगा। वहीं भारत उन विकासशील देशों की श्रेणी में है जिन्हें 2024-26 को आधार वर्ष लेकर 2045 तक 85 प्रतिशत इस्तेमाल कम करना है। यहां इसकी शुरुआत 2028 से होगी। ऐसा करके इस सदी के अंत तक वैश्विक तापमान को 0.5 डिग्री सेल्सियस तक कम करने का लक्ष्य रखा गया है। एचएफसी गर्मी को सोखने वाली ऐसी सुपर ग्रीनहाउस गैस है जो ओजोन परत को बर्बाद कर ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने में कार्बन डाई-ऑक्साइड से हजारों गुना ज्यादा प्रभावी है। इसका इस्तेमाल पूरी दुनिया में चीजों को ठंडा रखने यानी रेफ्रिजरेशन, एयरकंडिशनिंग जैसी चीजों में होता है। 
पिछले साल पेरिस में हमने धरती को जलवायु परिवर्तन को दुष्प्रभावों से सुरक्षित रखने का वादा किया था। आज इस करार के जरिए उस पर अमल कर रहे हैं। -इरिक सोलहेम, पर्यावरण प्रमुख, संयुक्त राष्ट्र 
विश्वएक परिवार है। इसका एक जिम्मेदार सदस्य होने के नाते हमने अपनी भूमिका निभाई और इस करार को समर्थन दिया। -अनिल माधव दवे, पर्यावरण मंत्री, भारत 

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साभार: भास्कर समाचार 
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