Saturday, October 22, 2016

पढ़ाने के बहाने पडोसी करता रहा 13 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म; विकलांग पिता को आठ महीने के गर्भ के बाद चला पता

एक 13 साल की बच्ची के साथ पड़ोसी ने दुष्कर्म किया। फरवरी-मार्च में। बच्ची को गर्भ ठहर गया। बच्ची की मां की मौत बचपन में ही हो चुकी थी। पिता विकलांग हैं। पिता से कहती कि पेट दुख रहा है, तो पिता पेट दर्द की दवाई दे देते। उन्हें पता ही नहीं चला कि बच्ची गर्भवती है। जब छह महीने हो गए, तो वह आंगनबाड़ी में चक्कर
खाकर गिर पड़ी। एक महिला ने जांच कराई, तब असलियत सामने आई। एक महीने पहले एफआईआर हुई और बुधवार को आरोपी राकेश साहू गिरफ्तार हुआ। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। घटना छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले की है। पढ़िए बच्ची की आपबीती:
लड़की के पिता ने बताया कि बच्ची को रायपुर के अस्पताल में रखने को कहा गया है। डॉक्टर कह रहे कि गर्भ आठ महीने का हो गया है इसलिए गर्भपात नहीं हो सकता। अब उसे जन्म देना ही होगा। बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष शताब्दी पांडेय ने कहा कि जिले की एसपी महिला हैं। विवेचना अधिकारी भी महिला हैं। इतना गंभीर विषय होने के बाद भी उन्होंने विवेचना एक महीने बाद की। हम पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश करेंगे। 
राकेश साहू को एक महीने बाद गिरफ्तार कियाआरोपी राकेश साहू (22) के खिलाफ 20 अगस्त को मामला दर्ज किया गया था। आरोपी महासमुंद जिले में पदस्थ महिला आरक्षक का भाई है। कहा जा रहा है कि किसी तरह मामले को इसी कारण टाला जा रहा था। लेकिन जब मामला बाल अधिकार संरक्षण आयोग पहुंचा, तो बुधवार को राकेश को गिरफ्तार किया गया। उधर, बच्ची को लेकर पुलिस प्रशासन के लोग रायपुर गए हैं। 
मां जिंदा होती तो जान जाती, मैं समझ ही नहीं पाया: बेटी के पिता बोले कि मैं समझ ही नहीं सका कि बेटी गर्भवती है। अगर उसकी मां होती, तो शायद यह दिन नहीं देखना पड़ता। बेटी दर्द में चीखती और चिल्लाती थी, तो मुझे लगता था कि कुछ उल्टा-सीधा खा गई होगी इसलिए पेट में दर्द हो रहा होगा। जब पूरे मामले का पता चला तो मैंने महासमुंद कोतवाली में एफआईआर करवाई। एक महीने तक तो पुलिस ने कुछ किया ही नहीं। 
क्या कहा बच्ची ने: मेरे बाबूजीचल-फिर नहीं सकते। मां बचपन में ही खत्म हो गई थी। कभी कोई काम होता तो मैं राकेश भैया (आरोपी) को कहती। राकेश भैया मुझे कहते थे कि तू मेरे घर जाया कर, मैं तुझे पढ़ाऊंगा। तुझे अच्छे नंबर दिलाउंगा। उनके कहने पर मैं चली जाती थी। इतना पैसा नहीं था कि कहीं और ट्यूशन पढ़ने जाती। तो उनके पास ही चली जाती थी। अपने घर में वो मुझे छूते थे और बहुत देर तक बातचीत किया करते थे। कई बार उन्होंने कहा कि देखो पढ़ाई कैसे करते हैं, मैं प्रैक्टिकल करके बताता हूं। लेकिन मुझे पता ही नहीं चला कि क्या हुआ और मेरा पेट दुखने लगा। उल्टियां होने लगीं। मैंने बाबूजी को इस बारे में बताया, तो उन्होंने कहा कि पेट दर्द की दवाई खा ले। मैंने खा ली। लेकिन उसके बाद भी मेरा पेट फूलने लगा। कुछ दिन पहले आंगनबाड़ी गई थी, तो वहां चक्कर गया। वहां की आंटी ने मुझे देखा तो पूछा कि पेट कैसे फूल रहा है। मैंने बताया कि पता नहीं। चक्कर आता है और पेट दुखता है। आंटी मुझे डॉक्टर के पास ले गई। उसके बाद बाबूजी को बताया। बाबूजी ने मुझे स्कूल जाने से रोक दिया। अब मैं स्कूल भी नहीं जाती। अब सब मुझे अस्पताल ले जाने की बातें कर रहे हैं। पर ये कोई नहीं बता रहा कि मुझे हुआ क्या है। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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