Tuesday, September 20, 2016

जातिसूचक शब्दावली वाली रागनी के मामले में सपना डांसर को नहीं मिली राहत; होगी 'अरेस्ट'

एससीएसटी एक्ट के तहत दर्ज मामले में रागिनी गायिका सपना चौधरी को हाई कोर्ट से भी राहत नहीं मिल है। हाई कोर्ट ने सपना की गिरफ्तारी पर रोक की मांग को अस्वीकार करते हुए बहस के लिए सुनवाई 27 सितम्बर तक स्थगित कर दी। सुनवाई के दौरान सपना के वकील ने कोर्ट को बताया कि सपना ने जो रागिनी गाई थी वो
50 साल पुरानी हैं, इससे पहले भी यह रागनी कई गायक गा चुके है और किसी के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं हुआ। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सपना ने केवल रागिनी गाई है और उसका मकसद किसी की भावना को ठेस पहुंचाना नहीं था। इस बीच कोर्ट ने सुझाव दिया कि इस मामले में दोनों पक्ष आपस में बैठकर मामले को सुलझा लें तो बेहतर है। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को भी इस मामले में जवाब देने को कहा है।
इससे पूर्व गुड़गांव की जिला अदालत में दायर अग्रिम जमानत याचिका अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बलवंत सिंह की अदालत ने खारिज कर दी थी। गौरतलब है कि करीब 3 माह पूर्व सपना चौधरी ने सेक्टर 29 थाना क्षेत्र के चकरपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में रागिनी प्रस्तुत की थी। इसमें एक जाति विशेष पर टिप्पणी करने का आरोप लगाते हुए खांडसा गांव के सतपाल तंवर ने सेक्टर-29 पुलिस थाना में सपना व अन्य लोगों के खिलाफ एससीएसटी एक्ट के तहत एफआइआर दर्ज करवाई थी। 1इस मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए सपना चौधरी ने 2 सितम्बर को गुड़गांव जिला अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी। याचिका में सपना ने कहा कि यह रागिनी विभिन्न लोक गायकों द्वारा पिछले 4 दशकों से प्रस्तुत की जा रही है।
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साभारजागरण समाचार 
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