Thursday, September 8, 2016

हुडा मल्टीपल प्लॉट अलॉटमेंट मामले में हाई कोर्ट ने पूछा: क्या हरियाणा में अफसरों और वीआईपी के लिए अलग क़ानून है

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हुडा मल्टीपल प्लॉट अलॉटमेंट मामले में पिक एंड चूज की नीति अपनाने के आरोपों पर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए पूछा है कि क्या हरियाणा में वीआइपी और बड़े अधिकारियों के लिए अलग से कानून है? अभी तक क्या किसी बड़े अधिकारी या किसी वीआइपी पर मामला दर्ज किया गया है? मामले में प्रदेश सरकार की ओर से संतोषजनक जवाब न मिलने पर हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि यदि हरियाणा सरकार के वकीलों के पास इस बारे में जानकारी नहीं है तो वे कोर्ट में क्यों आते हैं? यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मामले में बुधवार को सुनवाई आरंभ होते ही याची की ओर से कहा गया कि अभी तक इस मामले में केवल आम लोगों को ही निशाना बनाया जा रहा है। इस पर हाईकोर्ट ने पूछा कि लगातार तीन साल से मामला कोर्ट में विचाराधीन है, बावजूद इसके अधिकारियों को बचाया क्यों जा रहा है? हुडा के अधिकारियों को बचाने के पीछे हरियाणा सरकार की मंशा क्या है? इस पर हरियाणा सरकार की ओर से कहा गया कि मामले में अभी तक 602 केस दर्ज किए गए हैं। इनमें से 19 अनट्रेस हैं और 81 को कैंसिल कर दिया गया है। वहीं 502 मामलों में जांच जारी है और कुछ मामलों में चालान पेश किए जा चुके हैं। इस पर याची ने आरोप लगाया कि अभी तक जो कार्रवाई की गई है वह पैसा वसूली का जरिया बनी है। लोगों को गिरफ्तारी का डर दिखाकर उनसे उगाही की जा रही है। इस दौरान हाईकोर्ट ने हुडा के मुख्य प्रशासक विकास गुप्ता से पूछा कि अभी तक सभी मामलों में केस क्यों नहीं दर्ज किया गया है? इस पर गुप्ता ने बताया कि कुल 2051 लोगों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था और अब इन मामलों में संबंधित थानों को एफआइआर दर्ज करने के लिए भेज दिया गया है। हाईकोर्ट ने कहा कि 3 साल बाद भी इस मामले में समय ही मांगा जा रहा है। हुडा के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है? हरियाणा सरकार को कितना समय चाहिए कार्रवाई को पूरा करने के लिए? वर्तमान स्थिति को देखते हुए लगता है कि कार्रवाई 2020 के बाद ही संभव हो पाएगी। इस दौरान हाईकोर्ट ने पूछा कि एजी क्यों नहीं आए हैं, तो काउंसिल ने बताया कि वे आवश्यक कार्य से बाहर हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि एजी की क्या कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है? साथ ही हुडा को फटकार लगाते हुए कहा कि हरियाणा में जब पेंशन के लिए कोई वृद्ध व्यक्ति आवेदन करता है तो उससे न जाने कितने दस्तावेजों से पुष्टि की जाती है तो प्लॉट अलॉटमेंट के मामलों में ऐसी जांच क्यों नहीं की जाती है? हाईकोर्ट ने कहा कि मामला गंभीर है और विस्तृत आदेश बाद में जारी किए जाएंगे।

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साभारजागरण समाचार 
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