Tuesday, September 6, 2016

महामहिम ने अध्यापकों को सम्मानित करने के साथ साथ शिक्षा व्यवस्था की बदहाल तस्वीर भी दिखाई

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को शिक्षक दिवस के मौके पर देशभर के शिक्षकों को ‘गुरु प्रणाम’ के रूप में अपना सर्वोच्च सम्मान भेंट किया। साथ ही शिक्षा की कड़वी हकीकत का सामना भी करवा दिया। शिक्षा प्रणाली में खामियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में नौवीं के 74 फीसद छात्र अपनी किताबें पढ़ने
तक में सक्षम नहीं हैं। राष्ट्रपति ने इस स्थिति को बदलने में शिक्षकों से आगे आने की अपील की। इस अवसर पर उन्होंने देशभर के 346 शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित भी किया।  यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। राष्ट्रपति सोमवार को अपने व्यस्त कार्यक्रम और भारी-भरकम जिम्मेदारियों को छोड़कर सामान्य शिक्षक की तरह क्लास रूम में मौजूद थे। राष्ट्रपति भवन के परिसर में कर्मचारियों के बच्चों के लिए बने दिल्ली सरकार के डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद सवरेदय स्कूल में उन्होंने बाकायदा 11वीं और 12वीं के छात्रों की इतिहास की लंबी क्लास ली। लगभग 80 छात्रों की मौजूदगी में उन्होंने स्वतंत्रता के बाद के भारत के इतिहास विषय पर छात्रों को व्याख्यान दिया। बाद में उनके सवालों के जवाब भी दिए। पिछले शिक्षक दिवस के मौके पर भी उन्होंने बच्चों को पढ़ाया था। इस आयोजन में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी मौजूद थे। 
शिक्षकों का योगदान अतुल्य: एक अन्य कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने देशभर के चुनिंदा शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया। इस मौके पर सभी शिक्षकों को ‘गुरु प्रणाम’ करते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों को आगे चलकर जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लायक बनाने के लिए शिक्षकों का योगदान अतुल्य है। साथ ही यह याद भी दिलाया कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर बहुत बदहाल है। उन्होंने कहा, सरकारी स्कूलों की हालत यह है कि नौवीं क्लास के 74 फीसद छात्र अपनी क्लास की किताब तक नहीं पढ़ सकते। छठी से नौवीं तक के छात्रों में से 46 फीसदी तो दूसरी क्लास तक की किताब नहीं पढ़ पा रहे। इस स्थिति को बदलने की चुनौती शिक्षकों पर है। शिक्षकों की अहमियत याद दिलाते हुए उन्होंने देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन (जिनके जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है) के प्रसिद्ध कथन का जिक्र किया, ‘आप राष्ट्र का निर्माण सिर्फ ईंट-पत्थरों से नहीं कर सकते। आपको युवाओं के मस्तिष्क को तरासना होगा।’
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभारजागरण समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.