Monday, September 12, 2016

पिछली कक्षा की किताबें लेकर बनाया बुक बैंक, ताकि बस्ते का बोझ न उठाना पड़े बच्चों को

रामपुरबु शहर से 22 किमी दूूर पहाड़ी पर है सरकारी हाई स्कूल मझेवली। इस स्कूल में सात गांव के करीब 400 बच्चे पढ़ते हैं। इनमें से अधिकतर तीन किमी पैदल पहाड़ चढ़ कर स्कूल पढ़ने आते हैं। स्कूल के प्रिंसिपल प्रभु दयाल ठाकुर हैं। वे बताते हैं कि कुछ समय पहले मेरे सामने एक समस्या खड़ी हो गई थी। यह
पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। भारी बैग लादकर पहाड़ चढ़कर स्कूल आने वाले बच्चे बीमार होने लगे, कुछ बैग लादकर आने की वजह से स्कूल आने से कतराने लगे और कुछ ने तो पढ़ाई ही छोड़ दी। पढ़ाई छोड़ने से रोकना, मेरे लिए चुनौती बन गई। मैंने ऐसी व्यवस्था शुरू करने की सोची, जिससे बच्चों का स्कूल आने का उत्साह खत्म हो। फिर विचार आया कि क्यों लाइब्रेरी की तरह ही स्कूल में एक 'बुक बैंक' बनाया जाए। इससे बच्चों को पढ़ाई जाने वाली सभी किताबें यहीं मिल जाएंगी तो बैग लादकर नहीं आना पड़ेगा। उन्होंने बच्चों से ही पिछली कक्षा की किताबों को दान करने को कहा। इस बैंक में 3000 से भी ज्यादा किताबें जमा हो चुकी हैं। अब बच्चों कोे बैग में सिर्फ टिफिन लाना पड़ता है। प्रिंसिपल बताते हैं कि उनके स्कूल के सभी कमरों में दरवाजे और खिड़कियां भी नहीं हैं। अब वे डोनेशन के जरिए स्कूल का इनफ्रास्ट्रक्चर सुधारने की कोशिश करेंगे। 

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साभार: भास्कर समाचार 
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