Sunday, September 18, 2016

ये हैं पहली कमर्शियल विडियो गेम के जनक; स्टीव जॉब्स कर चुके इनकी कंपनी में काम

इन्हें फादर ऑफ इलेक्ट्रॉनिक गेमिंग भी कहा जाता है। इस आंत्रप्रेन्योर और साइंटिस्ट को पहचाना जाता है इनकी कंपनी अटारी और चक चीज पीजा टाइम थियेटर के लिए। पिछले चार दशकों से अधिक समय में उन्होंने 27 कंपनियां शुरू कीं। इनमें - कैटलिस्ट टेक्नोलॉजी- पहला टेक्नोलॉजी इनक्यूबेटर। ईटेक- पहला कार नेविगेशन सिस्टम, जिसकी मैपिंग के आधार पर ही कार नेविगेशन सिस्टम आगे बढ़ रहा है। एंड्रोबोट-पर्सनल रोबोटिक कंपनी और बाय वीडियो
-पहला ऑनलाइन ऑर्डरिंग सिस्टम, जो कियोस्क के माध्यम से ऑर्डर और पे करने की सुविधा देता था। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इसके अलावा वे आईबीएम, सिस्को सिस्टम्स और यूएस डिजिटल कम्युनिकेशंस में कंसल्टेंट की भूमिका में भी रहे। फिलहाल वे अपनी नई कंपनी ब्रेनरश के लिए काम कर रहे हैं।
ये हैं - यूटा में 1943 में जन्मे नोलन बुशनल। उन्होंने यूटा यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर ग्राफिक्स की पढ़ाई की। इस दौरान लगून एम्यूजमेंट पार्क में नौकरी भी कर ली। 1970 में उन्होंने पहला कमर्शियल कंप्यूटराइज्ड वीडियो गेम बनाया- कंप्यूटर स्पेस। इसी गेम से बाद में पॉन्ग गेम बना। जब उन्होंने पॉन्ग के होम वर्जन को अपने दोस्तों और अन्य लोगों के सामने रखा था तो इसे काफी पसंद किया गया। लेकिन जब इसके कमर्शियल वर्जन को गेम शो में पेश किया गया तो इस मशीन का एक भी ऑर्डर उन्हें नहीं मिला। हालांकि बाद में यह काफी सफल हुआ। 
अटारी शुरू करने से पहले वे टेलीविजन ट्यूब रिपेयर करने का बिजनेस भी कर चुके थे। बाद में उन्होंने बताया - मुझे टीवी की समझ थी। मैं इलेक्ट्रिक इंजीनियर था और साथ ही एक एम्यूजमेंट पार्क में काम कर चुका था, इसलिए मुझे कॉइन ऑपरेटेड गेम बिजनेस की समझ थी। यह सारा अनुभव अटारी और पॉन्ग में काम आया। अटारी की सफलता में उनकी एक और खूबी काम आई। वो थी - टैलेंटेड और क्रिएटिव लोगों को हायर करने की क्षमता। इसलिए अटारी में स्टीव जॉब्स और स्टीव वोजनिक उनके कर्मचारी थे, जिन्होंने बाद में एपल कंपनी बनाई। वे कहते हैं - मैं हमेशा हर चीज से पहले व्यक्ति में जुनून तलाशता हूं। स्टीव जॉब्स के बारे में उन्होंने कहा कि वे कड़ी मेहनत करते थे। इतनी कि रात को दफ्तर में अपनी डेस्क के नीचे ही सो जाते थे। और सुबह उठकर वहीं काम करने लगते थे। वे अक्सर रात को घर ही नहीं जाते थे। 
1979 में नोलन ने अटारी कंपनी टाइम वॉर्नर को 28 मिलियन डॉलर में बेच दी। इसके बाद उन्होंने चक चीज एंटरटेनमेंट रेस्त्रां शुरू किए। यह पीजा पार्लर की चेन थी, जिसमें बच्चों के लिए वीडियोगेम की सुविधा भी थी। अटारी बेचे जाने के बारे में एक इंटरव्यू में उन्होंने कि - उन दिनों मैं अपनी पूरी क्षमता से काम कर रहा था। जितनी ज्यादा से ज्यादा मेहनत कर सकता था, कर रहा था। क्योंकि यही एक उपाय मेरे पास था। मेरे पास बहुत अच्छी टीम थी। लेकिन हम इतनी तेजी से तरक्की कर रहे थे कि मुझे लगा कि मेरे पास बहुत पैसा हो गया है। और मेरे साथी मेरी सभी समस्याओं का समाधान आगे भी करेंगे। 1983 में अटारी कंपनी बंद हो गई। बुशनल ने इसका कारण बताया- वार्नर ने इंजीनियरिंग पर आधारित कंपनी को मार्केटिंग बेस्ड कंपनी बना दिया था। इनोवेशन बंद हो गए थे। 
अपने ब्लॉग में उन्होंने लिखा है कि दरअसल कॉर्पोरेट कल्चर ने स्वाभाविक क्रिएटिविटी को खत्म कर दिया है। कॉर्पोरेट में जितना पॉलिटिकल माहौल होता है उतनी ही क्रिएटिविटी कम हो जाती है। इसीलिए तो सरकारें भी इनोवेशन में इतनी बुरी होती हैं। क्रिएटिविटी असल में जोखिम से जुड़ा मामला है। लेकिन जितना ज्यादा रिस्क होगा उतनी ही ताकत से नया करने से इंकार किया जाएगा। कंज्यूमर हमेशा नई चीजें चाहता है, लेकिन जोखिम और डर के कारण कंपनियां नया कुछ नहीं करतीं। 

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साभार: भास्कर समाचार 
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