Thursday, September 15, 2016

हाई कोर्ट ने पूछा: क्यों न हो जाए गुडगाँव भूमि घोटाले की सीबीआई जाँच

गुरुग्राम में 1313 एकड़ भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया से बाहर करने के मामले में हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण का असली रिकाॅर्ड तलब किया है। कोर्ट ने भूमि मालिकों और बिल्डर्स के बीच में एग्रीमेंट टू सेल जीपीए की जानकारी दिए जाने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने इससे पहले इस मामले की सीबीआई जांच दिए जाने पर
हरियाणा सरकार से जवाब तलब किया था। कोर्ट ने पूछा था कि क्यों मामले की सीबीआई जांच दे दी जाए। सरकार की तरफ से कहा गया था कि जीपीए एग्रीमेंट टू सेल भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया की अधिसूचना जारी करने से पहले ही की जा चुकी थी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। याचियों की तरफ से इसका कड़ा विरोध किया गया। कहा गया कि रिकार्ड से छेड़छाड़ की गई है। 1400 एकड़ भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना दो जून 2009 को जारी की गई थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में कहा था कि प्राइवेट बिल्डर्स ने भूमि मालिकों को लालच देकर एग्रीमेंट टू सेल बना लिए और जीपीए हासिल कर ली। बाद में बिल्डर्स और डेवलपर्स ने स्टेट मशीनरी से मिलीभगत कर भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया से मुक्त करा ली। यही कारण रहा कि 1400 एकड़ में से 1313 एकड़ भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया से बाहर हो गई। 
याचिका में स्टेट मशीनरी पर उठाया था सवालगुरुग्राम निवासी राम बाबू 21 अन्यों की तरफ से याचिका दायर कर स्टेट मशीनरी पर सवाल उठाया गया कि भूमि अधिग्रहण मुक्त करना जनहित में था या फिर सरकार इसके जरिए प्राइवेट बिल्डर्स अथवा डेवलपर्स को लाभ पहुंचाना चाहती थी। दो जून 2009 को 1400 एकड़ भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी की गई। इसके बाद 31 मई 2010 को 800 एकड़ भूमि अधिग्रहण का फैसला लिया गया और अंत में 29 मई 2012 को महज 87 एकड़ भूमि ही अधिग्रहित की गई। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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