Sunday, September 18, 2016

आलोचनाओं का सामना करने के तीन तरीके: कारण जानना भी अहम

आमतौर पर आलोचना के तीन कारण होते हैं। एक होता है- कंस्ट्रक्टिव फीडबैक। ये उन लोगों की तरफ से आता है जो आपको जानते हैं और आपका हित चाहते हैं। वे बताते हैं कि क्या गलतियां हो रही हैं। ऐसे लोगों से खुलकर बात की जा सकती है। और यह भी पूछा जा सकता है कि सुधार का कोई सुझाव है क्या। दूसरी आलोचना होती
है- के कारण। जब आप कुछ बड़ा कर रहे होते हैं तो कई लोगों को यह बर्दाश्त नहीं होता। वे बेवजह कमियां निकालते हैं, आलोचना करते हैं। इनसे निपटने का बेहतर तरीका है- इनसे बात करने से बचना। लेकिन कई बार ये परिवार के सदस्य होते हैं या दफ्तर में आपके साथी। ऐसे में उन्हें पूरी तरह नजरअंदाज करना संभव नहीं होता। जब भी ये लोग आलोचना की कोशिश करें तो आप विषय बदल दीजिए। फिर भी अगर सुनना ही पड़े तो इसे बहुत गंभरीता से लेने की जरूरत नहीं है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। तीसरी तरह की आलोचना उन लोगों की तरफ से आती है जो ना आपके शुभचिंतक होते हैं और ना ही तरक्की से जलते हैं। इनका काम होता है आलोचना करना। इन्हें इसमें आनंद आता है। ये आपसे बहस करना चाहते हैं। इसलिए इनसे बात करते समय सतर्क रहना जरूरी है। जब ये आलोचना कर रहे हों तो आप इनसे सहमत हो जाइए। इनकी आलोचना के जवाब में आप कह सकते हैं - हां आपका पॉइंट तो सही है। क्योंकि इनका आप कुछ नहीं कर सकते। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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