Sunday, July 31, 2016

लाइफ मैनेजमेंट: सही सोच से गंभीर स्थिति को भी बदला जा सकता है एक अवसर में

एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
इस गुरुवार से शुरू करके शनिवार की पूरी सुबह तक हमारे देश के कई शहरों में 'बरसाती' मुद्‌दों की ही खबरें रहीं। गुड़गांव का सहस्राब्दी शहर तो घुटनों के बल गया, क्योंकि राष्ट्रीय राजमार्ग-8 पर जलजमाव के कारण शहर की सड़कें दो दिन तक जाम रहीं। अधिकारियों को धारा 144 लागू कर स्कूलों को अनिश्चितकाल तक बंद करना पड़ा। हालत इतनी खराब थी कि हरियाणा के मुख्यमंत्री एमएल खट्‌टर स्थिति का जायजा लेने के लिए गुड़गांव जाना चाहते थे , लेकिन खराब मौसम के कारण उनका हेलिकॉप्टर उड़ान ही नहीं भर सका। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। देश के दूसरे छोर पर वह शहर- बेंगलुरू- जिस पर आईटी के सारे युवा फख्र करते हैं, छह फीट पानी के नीचे चला गया। रातभर लगातार बारिश होने के बाद आईटी सिटी के लोग बूंदाबांदी के बीच सुबह जागे। कई इलाकों के लोगों ने खुद को अपने घरों में घुटनों तक पानी में पाया। उनका फर्नीचर अन्य सामान पानी में डूब गया, वाहन कागज की कश्ती की तरह तैर रहे थे। उफनती नालियों से आती बदबू स्थिति को और विकट बना रही थी। झीलें और तालाब किनारे तोड़कर बह निकले और पानी रहवासी इलाकों में बहने लगा। यह पानी अपने साथ मछलियां लेकर आया, जो सड़कों की मुख्य यात्री हो गईं, जबकि गौण यात्री यानी लोग या तो मछली पकड़ रहे थे या अटके पड़े बचाव के लिए नौकाओं का इंतजार कर रहे थे। यह सारी अस्तव्यस्तता सिर्फ 41.8 मिमी वर्षा का नतीजा था। 
बारिश के हर मौसम में किसी भी शहर की यही कहानी होती है। जैसे शहर बढ़ने लगे जमीन मालिकों के लिए अपनी जमीन पैसे के लालच से गैर-कृषि कार्यों के लिए देने का आकर्षण बढ़ता गया। इससे उस शहर का चरित्र बदल जाता है और बाढ़ का कारण बनता है। दूसरी तरफ स्थानीय स्वशासन संस्थाएं तात्कालिक समाधान करके के कारण हमेशा प्रकृति के कोप के आगे नाकाम रहतीं हैं। किंतु 'सिम्पली सिटी एप' के संस्थापक कोयम्बटूर के एंड्रयू सैम जैसे उद्यमी लोगों के लिए तो ऐसे संकट नागरिक प्रशासन के लापरवाह रैवये को रेखांकित कर अपनी रचनात्मकता, व्यवसाय बुद्ध और अपने सामाजिक योगदान दिखाने का अवसर होते हैं। 
'सिम्पलिसिटी एप' नागरिकों की मदद करने वाला इन्फॉर्मेशन पोर्टल है, जहां नागरिक शहर की हर अच्छी, बुरी और घिनौनी खबरें तक पहुंचाते हैं। फिर एंड्रयू की टीम व्यक्तिगत रूप से जाकर सूचना के आधार पर सुधार करती है और फिर उन्हें शहर के अन्य लोगों के फायदे के लिए पोर्टल पर अपलोड करते हैं। गुड़गांव और बेंगलुरू की तरह जब बारिश कोयम्बटूर पर भी बरस रही थी इस 'एप' के कारण वहां के बाशिंदों को उतना भयानक अनुभव नहीं हुआ, क्योंकि पोर्टल पर सड़कों के गड्ढों और पानी भरे इलाकों के बारे में नवीनतम जानकारी देता रहा। पिछले साल जब चेन्नई में बाढ़ के कारण कई लोग मारे गए तो एड्रयू को इस पोर्टल का विचार आया। इस पोर्टल पर हर अच्छी-बुरी खबर अपलोड की जाती है। 
'सिम्पलिसिटी एप' ऐसा मंच है, जो लोगों को रियल टाइम इन्फॉर्मेशन के जरिये लोगों को आपस में जोड़ता है और उसका अपना सोशल नेटवर्क है, जो खास इस शहर के लोगों के लिए है। टीम ने 'सिटी सेंटर' नाम का एप सबसेक्शन के रूप में निर्मित किया है, जो शहर के भौगोलिक क्षेत्र में काम करता है, क्योंकि संकट के समय स्थानीय मित्र ही आपस में संपर्क करते हैं। इस पर कोई भी अपने विचार रख सकता है, फोटो डाल सकता है और अपने ग्रुप में संबंधित क्षेत्र की स्थिति की जानकारी देने वाला पहला व्यक्ति बन सकता है। जहां हर सेक्शन को विश्वसनीय बनाने के लिए उसकी पुष्टि की जाती है, उस पर काम किया जाता है फिर चाहे खून की जरूरत ही क्यों हो। कई बार रक्त की सूचना रोगी के ठीक होने के बाद भी चलती रहती है। सेहत के नुस्खे, वॉकिंग ट्रैक की उपलब्धता, शहर के बारे में कोई अतीत की मधुर स्मृति संबंधी लेख और अच्छे नागरिकों के बारे में कहानियां इस 'एप' के वेल्यू एड हैं। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com

साभार: भास्कर समाचार 
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