Wednesday, June 1, 2016

करियर ज्ञान: दुग्ध क्षेत्र में बनाएं "क्रीमी करियर"

डेयरी इंडस्ट्री का स्वरूप अब पहले से काफी बदल गया है। दूध के अलावा, दही, बटर, पनीर, लस्सी, क्रीम या आइसक्रीम जैसे दुग्ध उत्पादों का बड़े पैमाने पर उत्पादन हो रहा है। डिमांड का आलम यह है कि भारत मीट के बाद दुग्ध से बने प्रोडक्ट का विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक देश बन चुका है। ऐसे में दुग्ध उत्पादन के लिए टेक्नोलॉजी और उच्च नस्ल वाले पशुओं पर काफी जोर है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। डेयरी टेक्नोलॉजिस्ट, डेयरी इंजीनियर या डेयरी साइंटिस्ट इस काम में इन दिनों बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। प्रोसेसिंग, मैन्युफैक्चरिंग, पैकेजिंग, स्टोरेज तथा1लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में जॉब की संभावनाएं भी ज्यादा बढ़ी हैं। 
जॉब अपॉर्चुनिटी: नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के अनुसार, इंडिया दूध और दूध से बने उत्पादों का सबसे बड़ा कंज्यूमर देश है। पूरी दुनिया में कुल दुग्ध उत्पादन का पांचवां हिस्सा भारत में उत्पन्न हो रहा है। यही कारण है कि पब्लिक सेक्टर के अलावा, मिल्क फूड इंडस्ट्री, डेयरी फार्म्स, कोऑपरेटिव सोसायटी, डेयरी इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरिंग फर्म्स तथा ब्रीडिंग सेक्टर में डेयरी टेक्नोलॉजिस्ट/ इंजीनियर्स, क्वालिटी कंट्रोलर, साइंटिस्ट, कंसल्टेंट के अलावा सुपरवाइजर, टेक्निशियन और डेयरी मैनेजर जैसे कई करियर ऑप्शंस मौजूद हैं। कृषि या डेयरी संस्थानों में आप असिस्टेंट प्रोफेसर या रिसर्चर बन सकते हैं। अगर नौकरी न करना चाहें, तो मिल्क प्लांट, क्रीमरी, आइसक्रीम यूनिट या मिल्क कलेक्शन सेंटर के रूप में खुद का व्यवसाय भी कर सकते हैं। 
कोर्स ऐंड क्वालिफिकेशन: देश के कई संस्थानों में डेयरी टेक्नोलॉजी या डेयरी साइंस में डिप्लोमा, डिग्री, पीजी डिग्री तथा पीएचडी कोर्स संचालित हो रहे हैं। फिजिक्स, केमिस्ट्री तथा बायोलॉजी से 12वीं में 60 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण स्टूडेंट वेटेरिनरी काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित ऑल इंडिया एंट्रेंस एग्जाम में शामिल होकर एनडीआरआइ समेत अन्य डेयरी इंस्टीट्यूट्स में दाखिला पा सकते हैं। बैचलर कोर्स की अवधि 4 वर्ष और पीजी कोर्स की अवधि 2 वर्ष है।
आकर्षक सैलरी पैकेज: डेयरी टेक्नोलॉजी या डेयरी साइंस के ग्रेजुएट्स को डेयरी इंडस्ट्री में शुरुआत से ही काफी अच्छी सैलरी मिलती है। डेयरी फूड कंपनीज में ऐसे प्रोफेशनल्स को शुरू में ही 30 से 40 हजार रुपये तक सैलरी आसानी से मिल जाती है। अनुभव बढ़ने पर वे डेढ़ से 2 लाख रुपये तक प्रति माह कमा सकते हैं।
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साभारजागरण समाचार 
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