Wednesday, June 1, 2016

लाइफ मैनेजमेंट: अपने भीतर छिपे बचपन को ख़त्म न कीजिए

एन रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
स्थान: टी-2, दुनिया के टॉप एयरपोर्ट में से एक पर सुबह 5.30 बजे। दूर से देखने पर चमकदार चेहरे और उजले परिधानों में लोग सुरक्षा जांच के दौरान ऐेसे नजर रहे थे जैसे गुलमोहर पेड़ के चारों तरफ पुष्प बिखरे हों। लोग फ्लाइट के इंतजार में थे। कई यात्रियों के पास से अलग-अलग भोजन की खुशबू रही थी। यह संकेत था कि दिन
की शुरुआत अच्छी हुई है। इन सब के बीच बच्चों का हंगामा भी था। ये यात्री तो हमेशा खुश ही रहते हैं। बच्चे खुशी से चिल्ला रहे थे और किसी को भी इस पर कोई ऐतराज नहीं था। पिछले शुक्रवार को कुल मिलाकर खुशनुमा अहसास था। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। गेट नंबर 51 तक पहुंचने तक सबकुछ सहज था, लेकिन तब पता चला कि फ्लाइट तकनीकी गड़बड़ी की वजह से तीन घंटे लेट है। बोर्डिंग का इंतजार कर रहे यात्री अचानक भड़कने लगे। इलेक्ट्रिक बोर्ड पर उड़ान के समय में परिवर्तन का संदेश था, लेकिन इसके बावजूद हर यात्री काउंटर की ओर जानकारी लेने जा रहा था। कुछ लोग वापस आकर अपनी सीट्स पर बैठ गए, क्योंकि बच्चे वहां अकेले थे, जबकि कुछ धीरे-धीरे लौटे। असंतुष्ट यात्रियों का समूह एकत्र होने लगा। शोर का स्तर बढ़ने लगा था। एक छोटी-सी चिंगारी से जिस तरह आग भड़क उठती है, एक यात्री की ऊंची आवाज ने वही काम किया। यात्री अपनी बीमार आंटी को देखना चाहता था। कई यात्रियों ने इस स्थिति का लाभ उठाया। एक ही मिनट में सब कुछ नियंत्रण से बाहर हो गया। नाराज यात्रियों ने अहमदाबाद के यात्रियों के छोटे पैसेज को ब्लॉक कर दिया। एयरलाइन ने सशस्त्र सीआरपीएफ के जवानों की मदद मांगी, जिसने यात्रियों को नियंत्रित किया। 
देरी के प्रति बच्चों का नज़रिया अलग ही था। उन्होंने अपने माता-पिता को एयरपोर्ट पर विंडो शॉपिंग के लिए राजी कर लिया। कुछ ने पायलेट गेम का आनंद लिया, जहां बच्चे बनावटी कॉकपिट में बैठकर विमान उड़ा सकते हैं। यहां से पूरी दुनिया स्क्रीन पर नजर आती है। कुछ ने खाने-पीने की बहुत-सी चीजें ले लीं, किसी ने नए स्लीपर, किसी ने नए कपड़े और खिलौने लिए। अधिकांश ने एयरपोर्ट के अंदर मौजूद हर चीज के साथ सेल्फी लेने का आनंद लिया, टीवी कॉमेडियन भारती के साथ भी सेल्फी ली, जो काम के सिलसिले में कहीं जा रही थीं। कई लोग इसके बावजूद भी काउंटर्स पर बने रहे, जबकि एयरलाइन स्टाफ बार-बार माफी मांग चुका था। उन लोगों में खालीपन का अहसास था। वो स्थिति को स्वीकार नहीं कर पा रहे थे, जो किसी के भी नियंत्रण में नहीं थी। उनके चेहरे पर दर्द का अहसास था। हर तरह के हंगामे और शेखी के बावजूद उनके चेहरों पर दुख था। धीरे-धीरे बहस मंद पड़ती गई, हालांकि उनकी आंखें अभी भी ध्यान आकर्षित करने के लिए संघर्ष कर रही थीं और अंत में असहायता का अहसास ही बचा। 
साठ यात्रियों के कड़े विरोध के बावजूद फ्लाइट फिर तय किए गए समय पर ही उड़ान भर सकी, लेकिन यात्रियों ने सोचा कि अगर वे ऐसा व्यवहार नहीं करते तो एयरलाइन फ्लाइट को और लेट कर देती। बोर्डिंग के समय थके हुए यात्री सो गए और बच्चों को आखिरी तीन कतारों में हंसी-ठिठौली करने के लिए छोड़ दिया गया। करीब 11 बजे इंदौर एयरपोर्ट पर विमान के पहुंचने पर क्रू ने फिर माफी मांगी। आने वाले यात्रियों के लिए एयरक्राफ्ट को कूल रखने के लिए यात्रियों से विंडो शिल्ड बंद करने का अनुरोध किया। कुछ नाराज यात्रियों ने बॉलिवुड स्टाइल में बदला लेने के लिए खिड़किया खुली छोड़ दीं, लेकिन बच्चों ने विमान से उतरने से पहले यह काम अपने हाथ में ले लिया। और एक-एक कर सारी खिड़िकयां बंद करने लगे। इन बच्चों को चालक दल ने इस मानवीय काम के लिए चॉकलेट्स का उपहार दिया। 
फंडा यह है कि कभी-कभी जब कुछ स्थानों पर परिस्थितियां नियंत्रण से बाहर जा रही हों - तो बेहतर है कि बच्चों की तरह बर्ताव किया जाए और उस स्थिति का आनंद लिया जाए। अपने भीतर छिपे बचपने को खत्म कर देना समझदारी नहीं है।

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.