Tuesday, May 31, 2016

आंदोलन से पहले सरकार तैयार: अब हिंसा या उपद्रव हुआ तो मिलेगी 'गोली'

फरवरी में हुई हिंसा से सबक लेते हुए इस बार खाकी कोई गलती नहीं करना चाहती है। यही कारण है उस समय के अधिकतर पुलिस अफसरों को बदल दिया गया है। नए पुलिस अफसरों को रोहतक में तैनाती दी गई है ताकि आंदोलन को हिंसक होने से बचाया जा सके। सोमवार को रोहतक के नौ ऐसे स्थानों पर नाके लगाए हैं, जो गांवों
से शहर को जोड़ते हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। ताकि पहले की तरह गांवों से आने वाली भीड़ शहर में न घुस सके। साफ है कि इस बार खाकी ने ऐसा चक्रव्यूह तैयार किया है, जिसे उपद्रवी तोड़ने में नाकम होंगे। शहर को गांवों से जोड़ने वाले नौ रास्तों पर पुलिस के द्वारा नाके लगाए गए है। बोहर, लाढौत रोड, जींद बाइपास, हिसार बाइपास, विश्वकर्मा चौक, सुनारिया चौक, झज्जर रोड, गोहाना रोड, आइएमटी चौक पर नाके लगाए गए है।
नाकों पर तैनात बीएसएफ के जवानों को आधुनिक हथियारों के साथ लैस किया गया है। एक जवान के पास दो हथियार है। पहला हथियार रबर की गोली चलाने वाला है तो दूसरा हथियार असली गोली चलाने वाला है। 14 फरवरी 2015 को सांपला से जाट आरक्षण को लेकर आंदोलन का बिगुल फूंका गया था। आंदोलन की कमान युवाओं के हाथ में थी। इसके बाद आंदोलन 16 फरवरी को शहर में पहुंच गया था और एमडीयू के छात्रों ने दिल्ली रोड को जाम कर दिया था। 17 फरवरी को शहर में अलग अलग स्थानों पर जाम लगा दिया था। 18 फरवरी को जाम का विरोध करते हुए कुछ लोग लघु सचिवालय में पहुंचे और जिला उपायुक्त को ज्ञापन दिया। यहां कचहरी के सामने बैठे वकीलों के साथ उनकी हाथापाई हुई। जिसके बाद आंदोलन शाम होते होते हिंसक हो गया था। छोटूराम चौक और अशोका चौक पर बाइकों को आग लगा दी गई। 19 और 20 व 21 फरवरी तक हिंसा चली। जिले के छह युवाओं की मौत भी हुई थी। आइजी आफिस पर गोली चली और नेकीराम कॉलेज में छात्रों पर लाठिया चार्ज भी हुआ था।
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साभारजागरण समाचार 
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