Saturday, April 16, 2016

लाइफ मैनेजमेंट: आपको दुनिया से जोड़ सकता है शौक

एन रघुरामन (मैनेजमेंट फंडा)

32 साल के विजय अर्वामुधन एक्सिस बैंक में ऑडिटर हैं और मुंबई में अपने घर से रोज लोकल ट्रेन से यात्रा करते हैं। हर रोज रास्ते में वे कहीं, किसी स्टेशन पर उतर जाते हैं और आधा से एक घंटा इंतजार करते हैं। ऐसा करने वाले वे अकेले नहीं हैं। अलग-अलग कंपनियों में काम करने वाले 150 कर्मचारी ऐसा ही करते हैं। किसी प्लेटफॉर्म पर इंतजार करते हुए वे सामान्य यात्री की ही तरह नज़र आते हैं। उनकी ही तरह बर्ताव करते हुए। अखबार पढ़ते हुए, कुछ खाने-पीने की चीजें खरीदते हुए, किसी ट्रेन का इंतजार करते हुए, बार-बार घड़ी देखते हुए और साथी यात्रियों से सवाल करते हुए। प्लेटफार्म पर आए किसी नए यात्री के सवाल का धैर्य से जवाब देते हुए। ध्यान से देखने पर एक फर्क नजर आता है कि ये बीच-बीच में अपनी डायरी, लेपटॉप या पामटॉप में कुछ नोट करते रहते हैं। 
उनमें और अन्य यात्रियों में बड़ा फर्क यह है कि जब ट्रेन आती है तो ये ट्रेन में चढ़ते नहीं है। बस दूसरों को ट्रेन में चढ़ते देखते रहते हैं। बोर्डिंग की पूरी प्रक्रिया को नोट करते हैं। बोगी नंबर, ट्रेन नंबर, कितने लोग सवार हुए, उनके पास क्या सामान था और इसी तरह की कई जानकारियां वे ध्यान से लिख लेते हैं। इसके बाद नोट की गई जानकारी की तुलना करते हैं, एक घंटे पहले की जानकारी से। किसी सोमवार की जानकारी की साल के अन्य 51 सोमवार से तुलना करते हैं। हर सप्ताह की आपस में तुलना करते हैं और हर साल की पिछले साल से। फिर हर दशक की पिछले दशक से तुलना भी की जाती है। इसके अलावा भी कई दिलचस्प तुलनाएं होती हैं। फायदा यह होता है कि इस तरह की कई दिलचस्प जानकारियां भारतीय रेल को भी चाहिए होती हैं और ये लोग खुशी से इसे साझा करते हैं। 
ये हैं इंडियन रेलवे फैन क्लब के सदस्य। यह एसोसिएशन रेलवे के उन उत्साही यात्रियों का है जो इलेक्ट्रॉनिक डिस्कशन फोरम आईआरएफसीए के माध्यम से जुड़े हुए हैं। इसका नेटवर्क सिर्फ देश में बल्कि विदेश में भी है। इस हॉबी ग्रुप में 8000 से ज्यादा ग्लोबल सदस्य हैं। मुंबई में जहां ट्रेन सेवा लाइफ लाइन की तरह है, वहां ग्रुप के सदस्यों की संख्या 150 है। इनके द्वारा जुटाई गई जानकारियां दुनिया के किसी भी रेलवे के लिए काम की हो सकती हैं, जिसमें रेलवे संचालन की काफी बारीक जानकारियां शामिल होती हैं। इस फैन क्लब ने सुधार के लिए कई सुझाव दिए हैं। क्लब के विजय जैसे सदस्यों में ट्रेनों को लेकर इतना शौक है कि वे अलग-अलग स्टेशनों पर रुकते हैं और हर संभव डिटेल नोट करते हैं। अगर कोई उनसे बात करे तो उसे यह भी लग सकता है कि रेलवे बोर्ड के कोई बड़े सीनियर अधिकारी हैं। उनकी जानकारियां काफी व्यापक और परिपूर्ण होती हैं। जब भी जोनल रेलवे के अधिकारियों को पैटर्न की कोई गहरी जानकारी चाहिए होती है तो वे इन लोगों की मदद लेते हैं। इनका शौक ही ट्रेनों को समझना है। 
रिपेयर यार्ड इनसे कई तरह की जानकारियां लेता है, जैसे फटी हुई सीट, खराब पंखे, टूटी हुई चिटकनी और स्विच कहां है। इसी तरह की कई और जानकारियां इनसे मिलती हैं और यार्ड के लोग इन सदस्यों से हमेशा संपर्क में रहते हैं। ये लोग ग्लोबल स्तर पर भी संपर्क में रहते हैं और दुनिया के अन्य शहरों से तुलना करते हैं। रेलवे अधिकारियों को किसी खास समस्या से निपटने के लिए सलाह भी देते हैं। इन सदस्यों को रेलवे के किसी भी नए बदलाव की जानकारी होती है। सदस्य व्हाट्सएप पर एक-दूसरे से जानकरियां साझा करते रहते हैं। ये सदस्य रेलवे को एक्टीरियर और इंटीरियर के रंगों के बारे में भी सलाह देते हैं, जिनसे यह मौसम और परिस्थतियों के अनुसार लंबे समय तक टिके रह सकें। हर शहर के यात्रियों के व्यवहार का भी यह सदस्य अध्ययन करते हैं। 
फंडायह है कि रेलवेको देखने-समझने का छोटा-सा शौक भी यात्रियों के हित में काम सकता है। साथ ही यह रेलवे जैसे बड़े संगठन के लिए भी काफी काम का हो सकता है और आपको दुनिया से भी जोड़ सकता है। 

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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