Wednesday, April 6, 2016

लाइफ मैनेजमेंट: वक्त से आगे सोचने का हमेशा मिलता है फायदा


एन रघुरामन (मैनेजमेंट फंडा)
इस साल के शुरू में जब राजधानी दिल्ली में ऑड और ईवन कार फॉर्मूले को प्रयोग के तौर पर शुरू किया गया तो हर कोई इसके सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष के बारे में बात कर रहा था। इस दौरान कुछ नगरीय प्रशासन और कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री प्रयोग को नजदीक से देख रहे थे। देखा जा रहा था कि इससे कैसे सड़कों पर वाहनों की सघनता, प्रदूषण और वाहनों की आवाजाही प्रभावित हो रही है। वहीं कई लोग इस नियम से बचने की तरकीबें सोच रहे थे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। कुछ लोग कार एक्सचेंज कर रहे थे। कुछ अपने जन्मदिन या मोबाइल नंबर के अनुसार सभी कारें एक ही नंबर की खरीदने की अपनी मूर्खता को कोस रहे थे। नियम के तहत यह तय कर दिया गया था कि किस दिन, किस नंबर की कार सड़क पर चल सकेगी। सम तारीखों में सिर्फ सम नंबर की कार और विषम तारीखों में सिर्फ विषम संख्या पर खत्म होने वाले नंबर की कारों को ही सड़कों पर चलने की इजाजत दी गई। जब दिल्ली में नए कार फॉर्मूले को लेकर बहस चल रही थी, 13 साल के अक्षत मित्तल ने एक वेबसाइट शुरू की, जिस पर लोग आने-जाने के लिए साथी तलाश सकते थे। 
इस प्लेटफॉर्म पर सोर्स, डेस्टिनेशन, टाइम और अन्य प्राथमिकताएं (जैसे जेंडर) कार का रजिस्ट्रेशन नंबर और कौन-सी कार है, ये जानकारी मौजूद होती। अगर किसी के पास अपनी कार नहीं हो या वह अपनी कार का इस्तेमाल नहीं करना चाहता तो रजिस्ट्रेशन नंबर और कार कौन-सी है, जैसी जानकारियां देना जरूरी नहीं था। एक बार साइट पर रजिस्ट्रेशन के बाद यूज़र को यह जानकारी मिल जाती कि किस के साथ वह कारपूल या शेयर कर यात्रा कर सकता है। www.odd-even.com पर प्लानिंग, मैचिंग, गणित, उम्र- जेंडर-प्रोफेशन की पसंद जैसे विकल्प मौजूद थे। नोएडा के एमिटी इंटरनेशनल स्कूल के कक्षा नौ के छात्र अक्षत ने यह सामाजिक हल पेश किया, जो काफी असरदार रहा और दिल्ली के यात्रियों के बीच काफी पसंद किया गया। यह आइडिया उनके दिमाग में यह देखकर आया कि उनके अपार्टमेंट के 140 फ्लैट्स में से 50 के रहवासी गुड़गांव में काम करते हैं और इन सभी की कार एक ही दिशा में जाती है, जबकि कॉलोनी के लोगों को इस बारे में पता ही नहीं है। अक्षत ने इसे एक अवसर के रूप में देखा और यह वेबसाइट बना दी। मंगलवार को जब यह खबर आई कि अक्षत अपनी कंपनी अन्य कारपूल एप Orahi.com को बेच रहे हैं तो इस बारे में सवालों की झड़ी लग गई। 
इस डील के बाद दिल्ली के अक्षत कंपनी के टैक्निकल एडवाइजरी बोर्ड में एक साल सलाहकर रहेंगे और ओराही के लिए मार्गदर्शन का काम करेंगे। इस बीच जब odd-even.com वेबसाइट पर कोई यात्री लॉग-इन करेगा तो उसे आगे की जानकारी के लिए ओराही पर री-डायरेक्ट कर दिया जाएगा। जब यह नियम पहली बार लागू हुआ था तो 30 हजार यूज़र ने इस सुविधा का इस्तेमाल किया था और ये लोग अभी भी इसका उपयोग कर रहे हैं, क्योंकि इसका नाम काफी कैची है और याद रखने में आसान भी। अब दूसरे दौर में जो 15 अप्रैल से प्रभावी हो रहा है, उम्मीद है कि और लोग भी इसमें शामिल हो जाएंगे। पहचान की प्रक्रिया पूरी होने के बाद यूज़र को ओराही पर री-डायरेक्ट कर दिया जाएगा। और ट्रांजेक्शन और भुगतान इंटरफेस वेब और एप पर किया जा सकेगा, जबकि odd-even.com पर यह ऑफलाइन रूट से होता था। घर से ऑफिस आने-जाने की सुविधा पर ध्यान लगा रही ओराही कंपनी ने हाल ही में इंडियन एंजल नेटवर्क (आईएएन) के जरिये 3.5 करोड़ रुपए का फंड जुटाया है। कंपनी इस साल की तीसरी तिमाही के अंत तक कॉलेज जाने वालों के लिए कारपूल प्लान लाने की योजना बना रही है। 
फंडा यह है कि समयसे पहले सोचने और विचार पर तुरंत ही अमल करने से बड़ा लाभ कमाया जा सकता है। भले ही लोकेशन, उम्र और स्मार्टनेस कुछ भी हो। मार्केट को पढ़ते रहिए और अपने डिलीवरी सिस्टम को बदलते रहिए। 

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com

साभार: भास्कर समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.