Monday, February 1, 2016

हरियाणा के विद्यार्थियों का 'साइंस फोबिया' दूर करेगी 'साइंस बस'

हरियाणाके स्कूलों में साइंस पढ़ रहे विद्यार्थियों के लिए यह एक अच्छी खबर है। साइंस के रंग-ढंग में सजी एक बस हर जिले में दौड़ती नजर आएगी। मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्‌टर 18 फरवरी को इस बस को चंडीगढ़ से रवाना करेंगे। मकसद सिर्फ एक है। विद्यार्थियों के दिमाग से साइंस के फोबिया को खत्म करना और उन्हें
किताबों से निकालकर लैब तक पहुंचाना है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। प्रदेश के रिटायर प्रधान सचिव एवं चुनाव आयुक्त रहे धर्मवीर सिंह की संस्था सोसायटी फॉर प्रमोटिंग साइंस एंड टैक्नालॉजी इन इंडिया पिछले तीन सालों से साइंस को लेकर बच्चों पर काम कर रही थी। स्कूलों में सेमिनार के माध्यम से यह पता लगाया जा रहा था कि साइंस को बच्चे किस नजर से देखते हैं। स्कूलों में इस विषय को लेकर क्या सुविधाएं हैं। तस्वीर सामने आई कि तमाम प्रयास के बावजूद इस विषय के मूलभाव को समझने की बजाय इसे स्टेटस सिंबल के तौर पर ज्यादा विद्यार्थियों से जोड़ा जा रहा है। गांवों के स्कूलों में तो विद्यार्थी लैब तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। इस स्थिति में जब विद्यार्थी इस विषय के साथ बड़ी कक्षाओं में आते हैं तो तनाव में घिर जाते हैं। कुंठा के मारे बीच में ही इस विषय को बदलकर अपने कैरियर का अच्छा खासा नुकसान कर डालते हैं। इन तमाम पहलुओं को ध्यान में रखते हुए यह तय हुआ कि सबसे पहले विद्यार्थियों को इस विषय के संदर्भ में सकारात्मक दृष्टिकोण से जोड़ना होगा। इसके लिए बजाय भाषणबाजी के सीधे उन्हें लैब तक पहुंचाया जाए। 
28 लाख की बस में होगी लैब: 
करीब 28 लाख रुपए की लागत से इस बस को चंडीगढ़ में ही तैयार किया गया है। सोसायटी फॉर एक्सीलेंस इन एजुकेशन नाम की संस्था भी इसमें अपना सहयोग कर रही है। इन संस्थाओं में आईआईटी दिल्ली जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के रिटायर प्रोफेसर भी जुड़े हुए हैं। बस के अंदर 10 लैपटॉप, टेलीस्कोप, माइक्रोस्कोप के साथ-साथ अनेक तरह के साइंस के उपकरण है। बस पूरी तरह चलने को तैयार है। 18 फरवरी को सीएम खट्‌टर इसे रवाना करेंगे। इससे पूर्व यह बस ट्रायल के तौर पर 7 फरवरी को गुड़गांव जिले के पटौदी हलका के गांव डाडावास पहुंचेगी। बस 10 से 15 दिन का ठहराव हर जिले में होगा ताकि हर स्कूल से साइंस के विद्यार्थी बस के अंदर बनी लैब के बारे में जान सके। 
दक्षिण भारत में किया गया था इस तरह का प्रयोग सोसायटीफॉर प्रमोटिंग संस्था के सचिव प्रो. कीया धर्मवीर विकल्प के कार्डिनेटर आईआईटीएन प्रदीप कुमार का कहना है कि सांइस बस का कल्चर प्रयोग के तौर पर दक्षिण भारत में शुरू किया गया था। उसके बाद इस तरह का प्रयोग अब हरियाणा में किया जा रहा है। इस बस को चलाने का मकसद सिर्फ एक है कि हम विद्यार्थियों को किताबों से निकालकर प्रयोगशाला में देखना चाहते हैं क्योंकि साइंस एक प्रेक्टिकल सिस्टम है। इसी पर ही फोकस होना चाहिए। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.