Tuesday, October 6, 2015

पंचायत चुनाव में योग्यता मामला: सरकार का जवाब तैयार, सरपंच है MLA से ज्यादा पावरफुल

हरियाणा के पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता लागू करने के पीछे सरकार ने ठोस तर्क तैयार कर लिए हैं। सरकार सुप्रीम कोर्ट में पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता के अपने फैसले को जारी रखने की मजबूत दलीलें पेश करेगी। सरकार मानती है कि सांसदों और विधायकों को कानून बनाने का अधिकार तो है, लेकिन सरपंच की तरह उन्हें किसी चेक पर हस्ताक्षर करने की शक्तियां नहीं हैं। ऐसे में सांसद-विधायक से कहीं अधिक सरपंच-पंच का पढ़ा लिखा होना जरूरी है। पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता लागू रहनी चाहिए अथवा इसे खत्म कर
दिया जाए, इस अहम मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में 7 अक्टूबर को सुनवाई होनी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को दूसरे राज्यों में नजीर के तौर पर पेश किया जाएगा और एमपी-एमएलए के लिए भी शैक्षणिक योग्यता लागू करने का रास्ता तैयार होगा। प्रदेश सरकार ने एडवोकेट जनरल बलदेव राज महाजन और एडिशनल एडवोकेट जनरल लोकेश सिंघल के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया है, जो 7 अक्टूबर को बहस के दौरान रिकार्ड पर आएगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल, विकास व पंचायत मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ तथा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव नवराज संधू के साथ लंबे विचार विमर्श के बाद यह जवाब तैयार किया गया है। भारत के अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा सरकार की तरफ से पंचायत चुनाव में शिक्षा की अनिवार्यता पर बहस करेंगे। सरकार सुप्रीम कोर्ट को बताने वाली है कि आदर्श गांव, भ्रष्टाचार रहित व्यवस्था, ग्राम सचिवालय, ई-पंचायत और इंटरनेट फ्रेंडली गांवों की सरकार पढ़े लिखे जनप्रतिनिधियों के बिना संभव नहीं है। निरक्षर व्यक्तियों से विकासशील व्यवस्था की कल्पना नहीं की जा सकती।
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साभारजागरण समाचार 

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