Monday, October 5, 2015

हरियाणा में नहीं लागू होगी डीबीटी

हरियाणा की भाजपा सरकार सूबे में सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मूर्त रूप देने के लिए डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) लागू नहीं करेगी। वजह साफ है कि यदि सरकार इस योजना को शुरू करती है तो राज्य में हुए लाखों टन अनाज के भंडारण का कोई लाभ नहीं होगा। यानी भंडारण के तहत रखा गया अनाज सड़ने की कगार पर पहुंच जाएगा। इस प्रकार लाभार्थी योजना का अधिक लाभ नहीं ले पाएंगे। लिहाजा प्रदेश सरकार ने केंद्र के समक्ष अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। केंद्र सरकार ने राज्यों को यह अधिकार दिया था कि वे यह तय करें कि उनके राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत दिया जाने वाला अनाज जैसे दिया जाता है वैसे ही दिया जाए, या फिर डीबीटी के तहत उनके खाते में सीधी सब्सिडी पहुंचे। राज्य सरकार की ओर से अपने स्तर पर अध्ययन के बाद यह बात सामने आई है कि डीबीटी के तहत दी जाने वाली राशि राज्य के लाभार्थियों के हित में नहीं है। साथ ही प्रदेश के भंडारगृहों में एकत्र अनाज के खराब होने का भी खतरा है। हरियाणा सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत मंडियों से अनाज खरीदती है। सरकार मंडियों से खरीद नहीं बंद कर सकती। ऐसे में भंडार खड़ा होना लाजिमी है। गेहूं और केरोसिन को लेकर तो सरकार ने निर्णय कर लिया है, लेकिन चीनी को लेकर मंथन अभी जारी है। हालांकि चीनी के रेट भी अब पहले से कम हो चुके हैं। इस वर्ष हरियाणा सरकार ने 67 लाख मीट्रिक टन अनाज मंडियाें से खरीदा है। इस अनाज को सार्वजनिक वितरण प्रणाली केतहत ही बांटा जाएगा।
हरियाणा में करीब 11 लाख परिवार बीपीएल राशन कार्ड के तहत इसका लाभ ले रहे हैं। जबकि एपीएल और बीपीएल कार्ड धारकाें की कुल संख्या करीब 32 लाख है। 
राज्य में पहले की तरह ही बंटेगा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत अनाज: प्रदेश में एक माह में पांच किलो गेहूं प्रति व्यक्ति के हिसाब से दो रुपये प्रति किलो दिया जाता है। चीनी दो किलो के हिसाब से साढ़े तेरह रुपये के रेट पर दी जाती है। वहीं केरोसिन प्रत्येक परिवार को छह से सात लीटर 13.82 रुपये से लेेकर 14.61 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से दिया जा रहा है।
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साभारअमर उजाला समाचार 
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