Thursday, August 13, 2015

2004 की एचसीएस भर्ती के खिलाफ याचिका दायर

हरियाणा में साल 2004 में चौटाला शासनकाल के दौरान 58 एचसीएस अधिकारियों की भर्ती प्रक्रिया से जुड़े 12 अभ्यर्थियों ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में अर्जी दाखिल की है। इसके माध्यम से अभ्यर्थियों ने उन्हें नियुक्ति पत्र जारी करने और मामले से संबंधित एकल बेंच का फैसला रद्द करने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा है कि जिन अभ्यर्थियों के खिलाफ विजिलेंस जांच में कुछ
सामने नहीं आया था, उन्हें नियुक्ति पत्र जारी किए जाने थे। बावजूद इसके भर्ती करने वालों पर गंभीर आरोप होने के कारण पूरी भर्ती पर संदेह जताते हुए याचिकाएं निरस्त कर दी गईं। मामले के अनुसार जनवरी 2004 में भर्ती के आवेदन मांगे गए थे। एचपीएससी ने 102 अभ्यर्थियों की मेरिट बनाकर सरकार को 58 अफसरों की नियुक्ति की सिफारिश की थी। इसी बीच चुनाव आचार संहिता लागू हो गई और नियुक्ति पत्र जारी नहीं हुए। असफल अभ्यर्थियों ने भर्ती में गड़बड़ी की आशंका जताते हुए याचिकाएं दायर की थीं। हाईकोर्ट ने विजिलेंस जांच का आदेश दिया था। जांच में सामने आया था कि एचपीएससी के चेयरमैन व सदस्यों ने भर्ती में अनियमितताएं एवं गैरकानूनी प्रक्रिया अपनाते हुए 102 में से 64 अभ्यर्थियों के अंक कटिंग अथवा छेड़छाड़ करके बढ़ाए हैं। विजिलेंस जांच के आधार पर सरकार ने भर्ती रद्द कर दी थी, हालांकि सफल अभ्यर्थियों ने इस कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित फैसला बताते हुए याचिकाएं दाखिल की थीं, लेकिन हाईकोर्ट ने यह याचिकाएं रद्द कर दी थीं। तब मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था, लेकिन भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी होने के कारण अपील मंजूर नहीं हुई। विजिलेंस जांच पर भरोसा जताया गया था। इसी बीच 12 अभ्यर्थियों ने याचिकाएं दायर कर कहा था कि उनके मामले में विजिलेंस जांच ने कोई अनियमितता नहीं पाई है, लिहाजा नियुक्ति पत्र जारी किए जाने चाहिए। इन 12 अभ्यर्थियों की भी याचिकाएं हाईकोर्ट ने इसी साल रद्द कर दी थीं। कहा था कि नियुक्ति करने वाली अथॉरिटी एचपीएससी के चेयरमैन और सदस्यों पर गंभीर आरोप लगे हैं। साथ ही विजिलेंस जांच में बड़े स्तर पर अनियमितताएं सामने आई हैं। फैसले में यह भी कहा था कि महज एचपीएससी की ओर से नामों की सिफारिश के आधार पर नियुक्ति पत्र का दावा नहीं किया जा सकता। अब अपील में इन 12 उम्मीदवारों ने एडवोकेट अमनप्रीत सिंह बारा के माध्यम से कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि जिनके खिलाफ जांच में अनियमितताएं सामने नहीं आई हैं, उनके बारे विचार किया जा सकता है। सुनवाई 10 सितंबर को होगी। 


साभार: अमर उजाला समाचार 

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