Sunday, July 26, 2015

DU, NCERT और विश्व भारती में करोड़ों घोटाला: CAG ने किया खुलासा

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी कैग ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू), एनसीईआरटी और कोलकाता के विश्व भारती संस्थान में करोड़ों रुपये की गड़बड़ियों का खुलासा किया है। दिल्ली विश्वविद्यालय के सरस्वती कालेज ने अपने कर्मचारियों को सरकार की ओर से तय दर की बजाय ज्यादा दर से भविष्य निधि का भुगतान कर दिया। वहीं राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद यानी एनसीईआरटी अपने कैंपस में रेन वाटर
हारवेस्टिंग की व्यवस्था रखने के बावजूद दिल्ली जल बोर्ड से जल बिलों पर 10% की देय छूट हासिल नहीं कर सकी। कैग ने कोलकाता के विश्व भारती संस्थान में भी भ्रष्टाचार के बड़े मामले का खुलासा किया है। कैग ने कहा है कि एक पुस्तक के प्रकाशन में संस्थान ने प्रकाशक को 3.18 करोड़ का नाजायज फायदा पहुंचाने के लिए भुगतान की शर्तों में ही बदलाव कर दिया। इसके अलावा मेघालय के राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान में भी परियोजना के प्रबंधन के लिए सलाहकार एजेंसियों की सेवाओं के ठेके में 12 करोड़ रुपये से ज्यादा की अनियमितता पाई गई है। कैग की 2015 की रिपोर्ट में ज्यादातर शिक्षण संस्थानों में राज्य से लेकर केंद्र के अफसरों की लालफीताशाही और भ्रष्टाचार को उजागर किया गया है। ज्यादातर मामले यूपीए सरकार के शासनकाल से हैं। डीयू के सत्यवती कालेज ने अपने कर्मचारियों को केंद्रीय सरकार की तय दर की बजाए अपने कर्मचारियों को ब्याज की उच्च दरों से भुगतान किया। इसकी वजह से 83.30 लाख रुपये का अधिक भुगतान किया गया। यह मामला 2008-09 से 2010-11 का है। कैग ने विश्व भारती प्रकाशक को 3.18 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ पहुंचाने का दोषी पाया है। कैग का कहना है कि रविंद्र चित्रावली के प्रकाशक की चयन प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण थी। विश्व भारती ने प्रकाशक को 3.18 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए भुगतान शर्तों में बाद में बदलाव किया। कैग का कहना है कि विश्व भारती ने वित्तीय अनियमितताओं को इस तरह से अंजाम दिया जिससे रविंद्र नाथ टैगोर के सभी कला कार्यों को उचित स्तर पर उपलब्ध करने के उनके कथित उद्देश्य को विफल कर दिया। वहीं दिल्ली स्थित एनसीईआरटी रेन वाटर हारवेस्टिंग प्रणालियां रखने के बावजूद दिल्ली जल बोर्ड से जल बिलों पर 10 फीसदी की छूट हासिल करने में विफल रहा। इससे दिल्ली जल बोर्ड द्वारा जनवरी 2010 से फरवरी 2014 की अवधि के दौरान जारी किए पानी के बिलों पर 54.71 लाख रुपये का अनावश्यक भुगतान किया गया। 

साभार: अमर उजाला समाचार 
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