Saturday, July 25, 2015

हालात: कैथल के इन तीन स्कूलों में नहीं कोई टीचर, पढ़ा रहे क्लर्क, चपरासी

यहां स्कूल का भवन है, बच्चे भी हैं लेकिन नहीं हैं तो शिक्षक। कभी क्लर्क और कभी चपरासी ही इन्हें ‘ज्ञान’ बांट दे देते हैं। बहुत बार तो हाजिरी मात्र लगा बच्चों वापस घर भेज दिया जाता है। बच्चों की इच्छा है, वे चाहे खेलते रहें और छुट्टी के वक्त घर चले जाएं। पढ़-सुनकर हैरानी भले ही हो लेकिन कैथल जिले के तीन मिडिल स्कूलों में
हाल कुछ ऐसा ही है। इन स्कूलों में एक भी शिक्षक या शिक्षिका नहीं है। एडजस्टमेंट के नाम पर कभी दूसरे स्कूल से कोई शिक्षक आकर कक्षा ले लेता है तो कभी नहीं। कभी क्लर्क ही बच्चों को होमवर्क दे देता है तो कभी बच्चे स्कूल टाइम खेलकूद में ही बिता देते हैं।
  • कलायत के मेन बाजार स्थित गवर्नमेंट मिडिल स्कूल में छठी से आठवीं तक के 140 बच्चे हैं लेकिन शिक्षक एक भी नहीं है। है तो बस एक मुख्याध्यापक व चपरासी। मुख्याध्यापक रणधीर कहते हैं कि ‘हम तो बस बच्चों का हाजिरी लगाने और अन्य कागजी कामों तक उलङो रह जाते हैं। बच्चों को पढ़ाने का समय ही नहीं मिल पाता।’
  • इसी तरह चीका के माजरी गांव में स्थित गवर्नमेंट मिडिल स्कूल में 122 बच्चे हैं लेकिन स्टाफ के नाम पर बस एक चौकीदार है। न शिक्षक है, न ही मुख्याध्यापक। एडजस्टमेंट पर दूसरे स्कूलों के दो शिक्षक कभी आ जाते हैं तो कभी नहीं आ पाते।
  • राजौंद ब्लाक के सेरहदा गांव स्थित गवर्नमेंट मिडिल स्कूल में 183 बच्चे हैं लेकिन स्टाफ के नाम पर क्लर्क व एक चपरासी है। पिछले शैक्षिक सत्र तक क्लर्क महावीर सिंह ही बच्चों को होमवर्क वगैरह दे देते थे लेकिन अब उनके पास भी समय नहीं है। कहते हैं रिकॉर्ड में तो स्कूल में कोई भी शिक्षक नहीं है। अलबत्ता, एडजस्टमेंट अवश्य ही दो तीन शिक्षकों की लगा रखी है।
शिक्षकों की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण इन स्कूलों में साल दर साल बच्चे भी घटते जा रहे हैं। बाबत पूछने पर जिला शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार का कहना था कि सभी ब्लाकों के खंड शिक्षा अधिकारियों को स्थायी व्यवस्था नहीं होने तक अस्थायी व्यवस्था करने के निर्देश दिए हुए हैं। अगर फिर भी कहीं कोई परेशानी है तो दूसरे ब्लाक से शिक्षक को डेपूटेशन पर भेज दिया जाएगा। 
साभार: जागरण समाचार 
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