Saturday, June 6, 2015

घुटने की चोट को कभी न लें हलके में, हो सकती है बड़ी परेशानी

सबसे ज्यादा चोट घुटने में ही लगती है। यह शरीर का सबसे बड़ा जोड़ होता है, जो सबसे ज्यादा मजबूत भी होता है। यह हड्डी, कार्टिलेज, लिगामेंट्स और टेंडेन्स को मिलाकर बन होती है। इसलिए इसमें चोट लगने से एक नहीं, तीन हडि्डयां चोटिल होती हैं। जानते हैं, क्या होता है घुटने की चोट का असर और किन मामलों में ऑपरेशन है जरूरी: 
घुटने की आम चोटें: घुटने की चोट में फ्रैक्चर, डिसलोकेशन, मोच या लिगामेंट्स का टूटना आता है। कई चोटें घुटने के
साथ ही इससे जुड़ी अन्य चीजों पर भी लग जाती हैं। 
  • फ्रैक्चर: घुटने में सबसे ज्यादा फ्रैक्चर की जगह है कटोरी। चोट लगने पर जांघ की हड्डी और पिंडली की हड्डी जहां मिलती है और घुटने का जोड़ बनाती है, वह भी टूट सकती है। घुटने में अधिकांश फ्रैक्चर बहुत जोर से कुछ टकराने पर होते हैं।  
  • डिसलोकेशन: डिसलोकेशन तब होता है, जब घुटने की हडि्डयां अपने स्थान से थोड़ी खिसक गई हों, पूरी तरह या कुछ हद तक। उदाहरण के लिए जांघ की हड्डी एवं पिंडली की हड्डी खिसक सकती है। साथ ही, कटोरी भी अपने स्थान से खिसक जाती है। डिसलोकेशन व्यक्ति के घुटने में किसी तरह की असामान्यता के कारण हो सकता है। जिन लोगों के घुटने सामान्य हैं, उनके घुटनों में डिसलोकेशन बहुत जोर से गिरने या किसी सड़क दुर्घटना के कारण हो सकता है।  
  • एंटीरियर क्रिसुएट लिगामेंट में चोट: इस तरह की चोट अमूमन खेलने के दौरान होती है। फुटबॉल व बास्केटबॉल जैसे खेलों के दौरान इस लिगामेंट में चोट लगती है। कई बार तेजी से दौड़ते हुए दिशा बदलने या कूद जाने से यह लिगामेंट टूट जाता है। इस लिगामेंट में लगने वाली चोट से घुटने के साथ अन्य चीजों को नुकसान पहुंच सकता है, जैसे आर्टिक्यूलर कार्टिलेज, मेनिस्कस, कोई और लिगामेंट। एंटीरियर क्रुशिएट लिगामेंट (एसीएल) के टूटने पर किसी स्पेशलिस्ट से इलाज जरूरी हो जाता है।  
  • पोस्टीरियर क्रुशिएट लिगामेंट में चोट: जब घुटना मुड़ा हो और आगे से चोट लगती है तो पोस्टीरियर क्रुशिएट लिगामेंट (पीसीएल) पर चोट लगती है। इस तरह की चोट वाहन के टकराने या खेल के दौरान ही लगती है। पीसीएल लिगामेंट्स का टूटना आंशिक टूट माना जाता है। यह अपने आप ठीक भी हो सकता है।  
  • कोलेटरल लिगामेंट में चोट: इस तरह की चोट घुटने की हड्डी को अगल-बगल में मोड़ने के कारण हो सकती है। हालांकि, इस प्रकार की चोट कम ही लगती है।  
  • मेनिस्कल टूटना: यह खेल में चोट के कारण टूट सकता है। अमूमन यह चोट घुटने को मोड़ने के दौरान लगती है। यह आर्थराइटिस या अधिक उम्र होने के कारण भी टूटता है। कुर्सी से गलत तरीके से उठना भी इस चोट का कारण बन सकता है। उम्र के साथ मेनिस्कल कमजोर पड़ती जाती है।  
  • नसों में चोट: घुटने को जांघ से जोड़ने वाली क्वाड्रिसेप्स भी खिंच सकती है या टूट सकती है। बुढ़ापे में ये संभावना ज्यादा रहती है। अधिक खेल-कूद से भी ऐसी समस्या हो सकती है। गिरने या फिर घुटने से सीधे कुछ टकरा जाने से भी ये समस्या हो सकती है। 
एनाटॉमी: शरीर का सबसे बड़ा जोड़ होने के कारण घुटने में चोट लगना आम बात होती है। यह चार चीजों से मिलकर बना होता है। हड्डी, कार्टिलेज, लिगामेंट्स और टेंडन्स। 
  • हडि्डयां: तीन हडि्डयों के मिलने से घुटना बनता है। जांघ की हड्डी (फीमर), पिंडली की हड्डी (टिबिया), कटोरी (पटेला) इनमें शामिल हैं।  
  • आर्टिकुलर कार्टिलेज: जांघ और पिंडली की हड्डी जहां खत्म होती है, वहां कटोरी के पीछे का स्थान आर्टिक्यूलर कार्टिलेज से ढका रहता है। इसकी सतह चिकनी होती है। इससे घुटने को मोड़ने अथवा सीधा करने में सहायता मिलती है।  
  • मेनिस्कस: पत्ती के आकार का मेनिस्कस कार्टिलेज जांघ की हड्डी एवं पिंडली की हड्डी के बीच शॉक एब्जॉर्बर की तरह काम करता है। यह कड़क रबर जैसा होता है और जोड़ को स्थिर रखने में मदद करता है।  
  • लिगामेंट्स: लिगामेंट्स के जरिये ही हड्डियां एक-दूसरे से जुड़ी रहती हैं। घुटने में चार प्रमुख लिगामेंट्स मजबूत रस्सी की तरह काम करते हैं। वे हड्डी को संभालकर रखते हैं। इससे घुटना स्थिर रहता है।  
चार लिगामेंट्स ऐसे हैं:
  • दो कोलेटरल लिगामेंट्स: ये घुटने के अगल- बगल में रहते हैं। कोलेटरल लिगामेंट घुटने के अंदर रहता है। लेटरल कोलेटरल लिगामेंट बाहर रहता है। ये घुटने की गति को नियंत्रित करते हैं, साथ ही किसी एबनॉर्मल मूवमेंट को रोकते हैं।  
  • दो क्रुशिएट लिगामेंट्स: ये घुटने के भीतर पाए जाते हैं। ये अंग्रेजी के शब्द ‘x’ के समान एक- दूसरे के ऊपर से निकलते हैं। एंटीरियर क्रुशिएट लिगामेंट (एसीएल) इसके साथ आगे की ओर एवं पोस्टीरियर क्रुशिएट लिगामेंट (पीसीएल) नीचे की ओर रहता है। क्रुशिएट लिगामेंट्स ही आगे और पीछे मोड़ने में मदद करता है।
टेंडन्स (नसें): इनके जरिये मांसपेशियां हडि्डयों से जुड़ी रहती हैं। नसों का एक मोटा गुच्छा रस्सी की तरह से कटोरी को मांसपेशियों से जांघ के आगे की ओर से जोड़ता है। कटोरी से पिंडली की हड्डी तक फैली हुई पिंडली की शिराएं होती हैं। 
उपचार: सबसे अहम है बर्फ रखना, आराम करना, क्रेप बैंडेज बांधना और घुटना तकिए जैसी किसी मुलायम चीज पर रखना। यदि घुटने से कुछ आवाज आती हो, बहुत दर्द हो रहा हो, घुटना हिला नहीं पा रहे हों या उसमें सूजन आ गई है तो तत्काल इलाज कराइए। 
ऑपरेशन कब जरूरी: यदि घुटने में मेनिस्कल फटा है तो सर्जरी जरूरी है। इसे की होल सर्जरी भी कहा जाता है। इस सर्जरी में छोटे इंस्ट्रूमेंट का प्रयोग होता है। यदि कोलेटरल लिगामेंट्स में चोट लगी है तो फिर ओपन सर्जरी ही करनी होती है। इसमें मरीज कुछ हफ्ते में ही चलने लग जाता है। नई टेक्नोलॉजी ने घुटने की चोट की पहचान आसान कर दी है। ऐसे में कई बार खिलाड़ी तय समय पर उपचार कराकर खेल के मैदान पर फिर लौट आते हैं। बिना ऑपरेशन वाले इलाज- कई बार घुटने की चोट में ऑपरेशन जरूरी नहीं होता। घुटना सीधा रखने के लिए कुछ बांध देना काफी होता है। ऐसा टूटी हड्डी या लिगामेंट्स को ठीक करने के लिए किया जाता है।


साभार: भास्कर समाचार
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