Tuesday, May 5, 2015

आदेश: प्राइमरी के बच्चे नहीं निकालेंगे रैली

स्कूलों की तरफ से आए दिन जागरूकता रैलियां निकाली जाती हैं। बच्चों को हाथ में बैनर और तख्तियां देकर गांवों की गलियां से घुमाया जाता है। भीषण गर्मी में बच्चे हांफ जाते हैं। जबकि उन्हें यह पता तक नहीं होता कि जिस रैली में वे भाग ले रहे हैं, इसका मतलब क्या है। इस स्थिति के मद्देनजर फतेहाबाद के डीईओ कार्यालय ने
सभी स्कूलों को नई हिदायत जारी की है। स्कूलों को कहा गया है कि प्राइमरी के बच्चों से रैलियां न निकलवाएं। डीईओ कार्यालय ने सभी बीईओ के नाम पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि पहली से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों से रैलियां निकलवाना औपचारिकता तो हो सकती है, लेकिन तर्क संगत नहीं है। क्योंकि पर्यावरण संरक्षण, मतदान, जल संरक्षण, भ्रूण हत्या, नशाखोरी व सड़क सुरक्षा आदि प्रमुख विषय हैं, जिनको लेकर रैलियां आयोजित की जाती हैं। ये ऐसे विषय हैं, जो क, ख, ग.. सीखने वाले बच्चों की समझ से परे होते हैं। जागरूकता रैली के दो उद्देश्य होते हैं। एक तो ये कि बच्चे खुद जागरूक हों। दूसरा, वे रैली के बाद उस विषय के बारे में अपने अभिभावकों को बताएं। मगर बच्चों को तो अक्सर पता ही नहीं होता कि रैली क्यों निकाली जा रही है। उन्हें तो जैसा शिक्षक कहते हैं, वैसा करते हैं। अधिकारियों की राय ये भी है कि गर्मी छत के नीचे बैठे लोगों को सताती है। ऐसे में बच्चों को लू व तपती धूप में गलियों में घुमाना उचित नहीं है। क्योंकि सामान्यत जागरुकता रैली में एक से दो घंटे तक का समय लग जाता है। दो घंटे तक बच्चों को प्यासा घुमाना भी गलत है। इसलिए अधिकारियों ने कहा है कि प्राइमरी स्कूल के बच्चों से रैली न निकलवाई जाए। इसके लिए बेहतर है कि आठवीं से बाहरवीं तक के बच्चों को शामिल किया जाए। 

साभार: जागरण समाचार
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE . Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.