Monday, May 11, 2015

सक्सेस स्टोरी: प्राइवेट स्कूल की फीस नहीं भर सके तो सरकारी स्कूल में पढ़ कर बन गए टॉपर

प्राइवेट स्कूल की महंगी फीस भरने के लिए पैसे नहीं थे तो सरकारी स्कूल में दाखिला लेकर भी दो विद्यार्थियों ने अपनी प्रतिभा दुनिया को दिखा दी। यह कहानी 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले दो विद्यार्थियों के संघर्ष की है। इन दोनों छात्रों ने दिखा दिया कि प्राइवेट स्कूल में पढक़र ही नहीं बल्कि राजकीय स्कूल में पढ़कर और सीमित
संसाधनों में भी सफलता हासिल की जा सकती है। अम्बाला की विष्णु कॉलोनी में किराए के मकान में रहने वाले उदित सिंगला ने नॉन मेडिकल में 96.4 प्रतिशत और अंचला चौक वासी योगेश मक्कड़ ने 93.8 प्रतिशत अंक लेकर टॉप किया। दोनों ही विद्यार्थी एक ही क्लास में पढ़ते थे। इन  दोनों ही छात्रों ने प्राइवेट स्कूल से सरकारी स्कूल का रुख इसलिए किया क्योंकि प्राइवेट स्कूल की फीस भरने के लिए पैसे नहीं थे। उदित सिंगला और योगेश मक्कड़ ने कहा कि वे दोनों दोस्त हैं। दोनों इस बात को जान चुके हैं विद्यार्थियों के सपने पढऩे से ही पूरे हो सकते हैं। योगेश ने कहा कि वह पूरे मन से पढ़ाई करता है। कभी भी दबाव में आकर पढ़ाई नहीं की। पापा ऑटो चलाते हैं योगेश मक्कड़ ने बताया कि उनके पिता दिनेश कुमार ऑटो चलाते हैं। घर में इतने पैसे नहीं थे कि प्राइवेट स्कूल की भारी भरकम फीस भर सकूं। इससे पहले 10वीं कक्षा तक एक प्राइवेट स्कूल में था, जहां प्राचार्य ने फीस कम की हुई थी। 10वीं कक्षा में भी योगेश ने जिलेभर में तीसरा स्थान प्राप्त किया था। उसके बाद नए प्राचार्य ने फीस कम करने से मना कर दिया तो राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय थानेसर में कम फीस के कारण दाखिला ले लिया। योगेश ने कहा कि राजकीय स्कूलों के प्रति हमारी मानसिकता पूरी तरह से गलत है। राजकीय स्कूलों के शिक्षक प्राइवेट से बेहतर हैं। इसके चलते उन्होंने यह सफलता प्राप्त की। योगेश ने बताया कि वह आर्किटेक्ट बनना चाहता है। इसके लिए 12वीं कक्षा में फिजिक्स, केमिस्ट्री और गणित का होना
जरूरी है। अब वह अपने परिवार के लिए कुछ करना चाहता है। अपने बेटे की कामयाबी पर पिता दिनेश कुमार और मां मीना देवी की आंखों में खुशी के आंसू थे।
पिता नहीं थे मां ने संभाला: विष्णु कॉलोनी में किराए के मकान में रहने वाले उदित सिंगला ने बताया कि उनके पिता ज्ञानचंद सिंगला का देहांत 11 साल पहले हो गया था। उनके जाने के बाद उनकी मां सरोज सिंगला ने हिम्मत नहीं हारी और हम भाई बहनों को संभाला। उदित ने बताया कि उसने टयूशन नहीं ली और स्कूल के शिक्षकों से ही मदद ली। महंगी फीस के कारण उसने सरकारी स्कूल में दाखिला लिया। ताकि उसके परिवार को आर्थिक संकट का सामना ना करना पड़े। उन्होंने कहा कि वे आईआईटी करके इंजीनियर बनना चाहते हैं और इसके लिए जेईई की परीक्षा भी दी है। ताकि वह अपने परिवार को मजबूती दे सके। उदित ने कहा कि स्कूल भले ही कितना भी बेहतर क्यों ना हो लेकिन जब तक बच्चे में सीखने की ललक नहीं होगी तब तक कुछ नहीं हो सकता। उदित ने बताया कि उसके स्कूल शिक्षक अनिल गर्ग, वीना गुप्ता, मंजू, बीबी जिंदल और ईशा ने उनका पूरा सहयोग किया। 

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