Sunday, May 3, 2015

रिटायर्ड वैज्ञानिक और डॉक्टर देंगे अब विश्वविद्यालयों में सेवाएं

देशभर के विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए खुशखबरी है। उन्हें अब शीघ्र ही सेवानिवृत्त प्रतिष्ठित वैज्ञानिक, डॉक्टर, अधिवक्ता, सिविल सेवा के अधिकारी, इंजीनियर व दक्ष प्रोफेशनल लोग बेहतर शिक्षा का पाठ पढ़ाएंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी ने विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा और
देश में शोध की गुणवत्ता को सुधारने के लिए एक नई पहल की है। साथ ही सभी कुलपतियों को एक पत्र भेजकर निर्देश दिए है कि वे अपने-अपने विश्वविद्यालयों में एडजंक्ट फैकल्टी के तहत उक्त सेवानिवृत्त प्रोफेशनल लोगों की सेवा ले और रिसर्च, ट्रेनिंग और टीचिंग की क्वालिटी को बढ़ाए। पत्र के अनुसार सेवानिवृत्त प्रोफेशनलों को प्रथम चरण में विश्वविद्यालयों द्वारा एक निश्चित अवधि व मानदेय पर रखा जाएगा। इनकी नियुक्तियां एडजंक्ट फैकल्टी (सहायक फैकल्टी) के तहत होगी। यूजीसी द्वारा इसको लेकर नई गाइडलाइन भी जारी की गई है। इसकी के अनुरूप ही प्रोफेशनलों की नियुक्तियां होगी। अमूमन रिटायर्ड प्रोफेशनल का अनुभव अब उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और शोध का स्तर ऊंचा करेगा। पत्र के मिलते ही विश्वविद्यालयों और कॉलेजों ने इस ओर अपने कदम बढ़ाने शुरू कर दिए। बता दें कि पहले विवि में अब तक एडजंक्ट फैकल्टी की नियुक्ति में रिटायर्ड शिक्षकों को ही रखा जाता था। वहीं उच्च स्तरीय शोध न होने के कारण देश की टॉप दो सौ विश्वविद्यालय में भारत की हर बार जगह नहीं बन पाती है। आइआइटी और आइआइएम जैसे संस्थान भी अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाने में काफी पीछे नजर आते हैं।
भावी पीढ़ी को होगा फायदा: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सचिव डॉ. जसपाल एस संधू का कहना है कि देश में क्रिएटिव टेलेंट की कमी नहीं है। इसलिए ऐसे सभी विशेषज्ञों को एकेडमिक सिस्टम से जोड़ना चाहिए। इसे ध्यान में रखकर ही यूजीसी द्वारा यह निर्णय लिया गया और कुलपतियों को नई एडजंक्ट फैकल्टी की नियुक्ति के बारे में गाइडलाइन का पत्र भेजा गया है। उनका मानना है कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता का स्तर बढ़ेगा और शोध को बढ़ावा मिलेगा। प्रोफेशनल से पढ़ने का सीधा फायदा देश की भावी पीढ़ी को होगा।

साभार: जागरण समाचार

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