Wednesday, May 13, 2015

रिजल्ट सुधारना है तो विभाग की नीति में लचीलापन जरूरी

राज्य स्तर पर यह सामने आया है कि कहीं किसी विषय में गुरु बहुतायत में हैं तो कहीं शिष्य। खासकर गणित, विज्ञान व वाणिज्य में तो स्थिति अत्यंत ही चिंताजनक है। गुरु-शिष्यों के बीच असंतुलन की इस विकट परिस्थिति से खुद शिक्षा विभाग के आला अधिकारी भी इत्तिफाक रखते हैं। तभी तो पिछले दिनों फतेहाबाद आए विभागीय प्रधान सचिव एवं वित्तायुक्त टीसी गुप्ता ने यहां के अधिकारियों को लिखित तौर पर यह निर्देश
दे दिये कि वे स्थानीय स्तर पर रेशनेलाइजेशन करें। Post published at www.nareshjangra.blogspot.com आलाकमान के अनुमोदन से उत्साहित जिला प्रशासन व शिक्षा महकमा ने नीति में लचीलापन के संग बदलाव लाने का आग्रह सरकार से कर दिया है। अगर सरकार अपनी नीति में रिलैक्सेशन लाती है तो न केवल पहली बार स्थानीय स्तर पर रेशनेलाइजेशन के रास्ते खुलेंगे अपितु गुरु-शिष्यों की तादाद में असंतुलन की राज्यस्तरीय खाई पाटने में भी सहूलियत होगी। बेशक, इसका सेहरा फतेहाबाद जिले के सिर सजेगा। दरअसल, वाणिज्य एवं विज्ञान विषयों में विद्यार्थियों एवं लेक्चरर के बीच गहरा असंतुलन बना हुआ है। पिछले दिनों यहां के अतिरिक्त उपायुक्त राजेश जोगपाल एवं शिक्षा अधिकारी डॉ. यज्ञदत्त वर्मा ने इस विरोधाभास पर गहन मंथन किया। निष्कर्ष के तौर पर यह सामने आया कि अकेला फतेहाबाद जिले के सौ स्कूल ऐसे हैं जहां पढ़ाने वाले गुरुजी तो हैं मगर पढ़ने वाले शिष्य बिल्कुल नदारद हैं। इससे इतर, अनेक स्कूलों में पढ़ाने वाले लेक्चरर ही नहीं हैं। अतिरिक्त उपायुक्त राजेश जोगपाल बताते हैं कि इस असमानता को शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव टीसी गुप्ता के समक्ष रखा गया। उन्होंने इस गंभीर विषय पर संवेदनशील होते हुए लोकल लेवल पर रेशनेलाइजेशन की लिखित अनुशंसा कर दी। अब यहां नीतिगत पेंच फंस गया। पुरानी नीति के तहत लोकल स्तर पर रेशनेलाइजेशन की डगर आसान नहीं है। इस वजह से स्थानीय अधिकारियों ने पायलट नीति बनाकर गेंद सरकार के पाले में डाल दी है। अतिरिक्त उपायुक्त राजेश जोगपाल के मुताबिक नीति अप्रूवल के लिए भेजी गई है। अगर यह सरकार से पास हो जाती है तो लोकल स्तर पर ही रेशनेलाइजेशन को व्यापक फलक दिया जा सकेगा। इससे विद्यार्थियों को गुरुजी मिल जाएंगे और गुरुजी को विद्यार्थी। स्थानीय स्तर पर की गई पहल के तहत पूर्व में निर्धारित गई स्थानांतरण की पांच साल की समय-सीमा को लचीलापन देने की मांग की गई है। स्थानीय अधिकारियों को उम्मीद है कि यहां से भेजी गई नई रेशोलाइजेशन पॉलिसी की रूपरेखा को सरकार से हरी झंडी मिल जाएगी। सच तो यह कि शिक्षा विभाग ने एक-दो साल पहले ही बहुतायत लेक्चररों की नियुक्ति की है। अकेले फतेहाबाद जिले में 200-250 ऐसे लेक्चरर हैं। वर्षों से चली आ रही नीति के तहत पांच साल से पहले शिक्षकों का स्थानांतरण नहीं किया जा सकता है।

साभार: जागरण समाचार
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