Monday, May 11, 2015

AIPMT पेपर लीक मामला: वास्तव में पेपर हुआ लीक या थी साइबर साजिश?

ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट प्रकरण में पुलिस पेपर लीक होना मानकर जांच कर रही है। संकेत भी मिल रहे हैं कि इस गिरोह में प्रश्न हल करने के लिए विशेषज्ञ भी शामिल किए गए। अगर, यह सही है, तो कोई संशय नहीं कि आंसर-की नहीं, बल्कि प्रश्न-पत्र लीक हुआ है। मुख्य आरोपी को गिरफ्तार करने के साथ पुलिस के सामने चुनौती यह साबित करने की भी है कि प्रश्न-पत्र किस ढंग से लीक हुआ? कहीं, मामला साइबर साजिश रच
नकल का तो नहीं है? बता दें कि पुलिस चार आरोपियों को रिमांड पर लेकर जांच कर रही थी। पांचवां आरोपी कृष्ण उर्फ बोक भी रिमांड पर है। सूत्रों के मुताबिक कृष्ण ने पूछताछ में जानकारी दी है कि गिरोह में कई ऐसे विशेषज्ञ शामिल थे, जिन पर प्रश्नपत्र हल करने की जिम्मेदारी थी। अगर आरोपी की दी गई जानकारी सटीक है, तो अब पुलिस के सामने यह पता लगाना भी चुनौती बन गया है कि प्रश्नपत्र गिरोह तक कैसे पहुंचाया गया। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से विशेष उपकरण लगे अंत:वस्त्र बरामद किए थे। इन अंत:वस्त्रों में जो उपकरण लगे थे। उनसे छुपकर आपस में बात की जा सकती है और दूसरा फोटो व वीडियोग्राफी की जा सकती है। इससे यह आशंका होने लगी है कि कहीं परीक्षार्थियों या गिरोह से जुड़े किसी व्यक्ति पर प्रश्नपत्र की प्रति गिरोह तक पहुंचाने की जिम्मेदारी तो नहीं थी? क्योंकि ईयर फोन लगे उपकरण से प्रश्नपत्र पढ़कर सुनाया जा सकता है और डीवीआर वाच से प्रश्नपत्र की न केवल प्रति का फोटो खींचा जा सकता बल्कि उसकी वीडियो रिकार्डिग भी की जा सकती है।
आंसर-की मिल जाए तो दो घंटे भी काफी: इसमें कोई संशय नहीं कि गिरोह ने पीएमटी परीक्षा की प्रक्रिया का अध्यन करने के बाद गोरखधंधे की साजिश तैयार की थी। इसमें भी कोई संशय नहीं किसी केंद्र पर तैनात कर्मी से उनकी सांठगांठ रही हो, उसने परीक्षा के दौरान गिरोह तक किसी तरह प्रश्न-पत्र पहुंचा दिया हो। इसके बाद गिरोह में शामिल विशेषज्ञों ने उसकी उत्तर तालिका विशेष उपकरणों का इस्तेमाल कर परीक्षार्थियों तक पहुंचाई हो? अगर ऐसा भी हुआ है, तो मामला पेपर लीक का ही बनता है। वहीं, इस आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता गिरोह में शामिल किसी परीक्षार्थी ने विशेष उपकरण का इस्तेमाल कर परीक्षा कक्ष से प्रश्नपत्र गिरोह तक पहुंचाया हो और आरोपी विशेषज्ञों ने उसका हल इसी तरह परीक्षार्थियों तक पहुंचाया हो? अगर, यह जरिया अपनाया गया हो, तो मामला नकल का बनता है। 
सीबीएसई शुरू से लीक से झाड़ रहा है पल्ला: सीबीएसई शुरू से दो टूक जवाब दे रहा है। उसने साफ कहा था कि बोर्ड ने आंसर की तैयार ही नहीं की, तो लीक होने का सवाल नहीं पैदा होता। बोर्ड पेपर लीक की संभावनाओं से भी इंकार कर रहा है।
बड़ी मछलियों को बचाने की साजिश तो नहीं: इसमें भी कोई संशय नहीं पकड़ा गया आरोपी पुलिस को गुमराह कर गोरखधंधे में शामिल बड़ी मछलियों को बचाने व केस कमजोर करने की कोशिश कर रहा हो। हालांकि पुलिस संगीन मामले से जुड़े हर पहलू की गहनता से जांच कर रही है।
साभार: अमर उजाला समाचार
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