Thursday, April 16, 2015

एंटीबायोटिक दवाएं करती हैं बहुत नुक्सान, जानिए कब और कैसे लें इन्हें

ब्रिटेन के नेशनल रिस्क रजिस्टर ऑफ सिविल इमरजेंसीज के अनुसार 'एंटीबायोटिक रेजिस्टेंट ब्लड इन्फेक्शन' करीब दो लाख लोगों को प्रभावित कर सकता है। इसमें से 40 फीसदी लोगों की मौत हो सकती है। जानते हैं एंटीबायोटिक दवाएं क्या हैं और यह कैसे जीवन को प्रभावित कर रही हैं।
 
 
प्रमुख एंटीबायोटिक्स के दुष्प्रभाव
  • पेनिसिलिन- लाल चकत्ते, डायरिया, पेट दर्द 
  • सेफालॉसपोरिन्स- बुखार, उल्टी, हायपर सेंसेटिविटी 
  • एमिनोग्लायकोसाइड्स- किडनी संबंधी समस्या, बहरापन 
  • कार्बापेनेम्स- उल्टी-दस्त, सिर दर्द 
  • ग्लायकोपेपटाइड्स- चक्कर आना, स्वाद परिवर्तन सिर दर्द 
  • मैकरोलाइड्स- पेट दर्द, डायरिया, खाने के प्रति अरुचि 
एंटीबायोटिक दवाएं किस स्थिति में हमारे लिए नुकसानदायी हैं? इन्हें कैसे इस्तेमाल किया जाए? इस बारे में बता रहे हैं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्युनोलॉजी (एनआईआई) से जुड़े डॉ. सत्यजीत रथ।
  • क्या एंटीबायोटिक दवाएं वाकई घातक हैं: एंटीबायोटिक दवाएं सेहत के लिए घातक नहीं हैं, लेकिन यह दो स्थितियों में नुकसानदायी हो जाती हैं। पहला तब जब आप इन्हें बिना जरूरत के सेवन करें और दूसरा इन्हें यदि आप लंबे समय तक इस्तेमाल करते रहें।  
  • इनके नुकसान से बचने का विकल्प क्या है: इनका इस्तेमाल सावधानीपूर्वक करें। बेहतर गुणवत्ता वाली दवाएं ही लें। एंटीबायोटिक दवाएं तभी लें, जब डॉक्टर ने इनकी सलाह दी हो। डॉक्टर द्वारा बताए डोज को पूरा करें। बची हुई दवाओं को नष्ट कर दें। इनका घर में रखे रहना भी नुकसानदेह हो सकता है।  
  • इनके क्या साइड-इफेक्ट्स हैं: डॉक्टर की सलाह से सेवन करें तो साइड-इफेक्ट्स नहीं हैं, लेकिन ये शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम कर देती हैं। एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग में भारतीयों को सबसे आगे माना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार हर भारतीय साल में करीब 11 बार एंटीबायोटिक दवाएं खाता है। बात सिर्फ एंटीबायोटिक दवाएं लेने भर से नहीं, बल्कि यह जानना भी जरूरी है कि क्या वाकई एंटीबायोटिक दवाएं हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक हैं? यदि सही मात्रा में और समझदारी के साथ इन्हें लिया जाए तो इनके खतरों से बचा जा सकता है, लेकिन अंधाधुंध तरीके से इन दवाओं का सेवन चिंताजनक है। साथ ही एक नई समस्या यह भी है कि लगातार एंटीबायोटिक दवाएं लेने से शरीर में इनके प्रति, तेजी से प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो रही है। परिणामस्वरूप, भारत में 75 फीसदी बीमारियों में डॉक्टरों को औसत से भी अधिक एंटीबायोटिक दवाएं देनी पड़ रही हैं। इन दवाओं के बढ़ते नुकसान पर डब्ल्यूएचओ भी चिंता जता चुका है। संगठन ने पहली बार 2011 में सभी देशों से अपील की थी कि सरकारें एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग पर लगाम लागाएं। यह घातक सिद्ध हो सकती हैं, लेकिन इनकी खपत और नुकसान बढ़ते ही जा रहे हैं। 
रिसर्च के अनुसार:
  • 90% फीसदी डॉक्टर मरीज को दवा देने के तीन दिन बाद उसके प्रभाव की जांच नहीं करते, जबकि माइक्रोबायोलॉजी के अनुसार डॉक्टरों को ऐसा करना चाहिए।  
  • 25 हजार लोगों की मृत्यु हर साल यूरोप में मल्टी रेजिस्टेंस बैक्टीरिया के कारण फैले संक्रमणों के कारण होती है।
  • 40 लाख लोग हर साल दुनिया में इसलिए मरते हैं, क्योंकि उन पर एंटीबायोटिक्स का असर नहीं होता। यह टीबी और मलेरिया जैसी बीमारियों से होने वाली मौतों से अधिक हैं।  
  • 76% खपत ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका में हो रही है दुनियाभर में होने वाली एंटीबायोटिक के खपत की।
कब लें एंटीबायोटिक: आमतौर पर इन्फेक्शन वायरस के कारण होते हैं। इनमें एंटीबायोटिक कारगर नहीं हैं। यहां तक कि हल्के बैक्टीरिया इन्फेक्शन से निपटने के लिए हमारा इम्यून सिस्टम सक्षम होता है। एंटीबायोटिक दवाएं कान, नाक, गले आदि के इन्फेक्शन से बचने में बहुत छोटी सी भूमिका निभाती हैं। इसलिए बहुत विशेष परिस्थितियों में ही एंटीबायोटिक्स लेनी चाहिए। 
अत्यधिक सेवन घातक: सर्दी, जुकाम या वायरल बुखार में ली जाने वाली एंटीबायोटिक्स कई घातक दुष्प्रभाव पैदा कर सकती हैं। यदि ऐसा बार-बार किया जाएगा, तो इससे शरीर में ऐसे बैक्टीरिया भी पैदा हो सकते हैं, जिन्हें मारना अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाएगा। इनके मनमाने इस्तेमाल से ऐसे बैक्टीरिया पैदा होंगे, जो एंटीबायोटिक्स दवाओं को निष्प्रभावी कर सकते हैं। यह स्थिति एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस कहलाती है। 
वायरस से नहीं लड़ती: एंटीबायोटिक, दवाओं का ही एक प्रकार है, जो रोगाणुओं के कारण पैदा होने वाले इन्फेक्शन को रोकने के लिए शरीर में प्रतिजैविक क्षमता विकसित करती है। इन दवाओं को एंटी-बेक्टीरियल्स भी कहा जाता है। एंटीबायोटिक दवाएं सिर्फ उन्हीं इन्फेक्शन से लड़ती हैं, जो बैक्टीरिया या पैरासाइट्स से पैदा होते हैं। यह वायरस से पैदा होने वाले इन्फेक्शन में इस्तेमाल नहीं होतीं। 
कैसे काम करती हैं: एंटीबायोटिक दवाएं इन्फेक्शन पैदा करने वाले रोगाणुओं को खत्म करती हैं। यह बैक्टीरिया और पैरासाइट की सेल वॉल की संरचना को तोड़कर उन्हें बढ़ने से रोकती हैं। एंटीबायोटिक शरीर में रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता पैदा करती हैं।
साभार: अमर उजाला समाचार
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