Saturday, March 28, 2015

जिला स्तर पर होगी स्कूलों की ऑडिट

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अभिभावकों से मोटी फीस वसूल कर मालदार हो रहे निजी स्कूलों पर शिकंजा कसने के लिए शिक्षा विभाग ने एक और फरमान जारी किया है। अब निजी स्कूलों को विभाग से हर तीन माह पर आडिट करानी होगी। इस आडिट में स्कूल के आय-व्यय से संबंधित दस्तावेज खंगाले जाएंगे। किस मद में स्कूल बच्चों से कितनी फीस वसूल रहा है और उसके एवज में दी जा
रही सुविधाओं पर कितना खर्च हो रहा है, इन सबका रिकार्ड जांचा जाएगा। साथ ही आडिट टीम शिक्षक-कर्मचारियों को दिए जा रहे वेतन बिल की भी जांच करेगी। आडिट कराने के लिए जिला स्तर पर सात सदस्यीय टीम गठित की गई है। यह टीम निजी स्कूलों की हर गतिविधियों पर निगरानी रखेगी। इसकी पहली बैठक जल्द ही होगी। मंडल स्तर पर आयुक्त की अध्यक्षता में भी एक कमेटी काम करेगी। आडिट न कराने और गड़बड़ी करने वाले स्कूलों पर विभाग सख्त कदम उठाएगा। निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रण के लिए शासन ने नियम-158 लागू कर रखा है। इसके तहत कोई भी स्कूल अपनी मर्जी से फीस नहीं बढ़ा सकता। एक ही विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चे से हर साल एडमिशन फीस भी नहीं ली जा सकती। इसके विपरीत निजी स्कूल लगातार मनमानी कर रहे हैं। नियमों को दरकिनार कर जब-तब विभिन्न मदों में फीस बढ़ा दी जा रही है। यही नहीं एडमिशन पैकेज के नाम पर अभिभावकों से मोटी धनराशि की उगाही की जा रही है। नया शिक्षण सत्र शुरू होने के बाद निजी स्कूलों में फीस वृद्धि का खेल फिर से शुरू हो गया है। इसे देखते हुए विभाग ने उन पर शिकंजा कसने को आडिट के निर्देश दिए हैं। उपायुक्त की अध्यक्षता में जिला स्तर पर गठित टीम ऐसे सभी एडेड, नॉन एडेड प्राइमरी, सेकेंडरी व सीनियर सेकेंडरी स्कूलों की ऑडिट होगी, जो सरकार से 5 प्रतिशत की भी मदद हासिल करते हैं।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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