Friday, March 20, 2015

गणित का पेपर आया मुश्किल: संसद में भी उठा मुद्दा

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सीबीएसई 12वीं कक्षा के गणित के प्रश्नपत्र के बेहद कठिन होने की शिकायत के बीच बोर्ड ने कुछ स्कूल प्रिंसिपलों की बैठक बुलाई है। बोर्ड इस विषय के मूल्यांकन में कुछ छूट देने की संभावना पर भी विचार कर रहा है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक ‘इंप्रूव्मेंट एग्जाम’ भी एक उपाय हो सकता है, लेकिन इस पर अभी सहमति बनाने की जरूरत है। बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि प्रश्न पत्र के पैटर्न में कुछ बदलाव हुआ है और यह संभव है कि स्कूलों को इस बारे में ठीक ढंग से सूचित नहीं किया जा सका हो। बुधवार को गणित विषय के प्रश्नपत्र के बेहद कठिन होने के
कारण परीक्षा के बाद छात्र काफी निराश दिखे थे। शिक्षकों का भी मानना था कि इस प्रश्नपत्र के लिए काफी बेहतर समझ की जरूरत थी। एक अधिकारी ने कहा कि बोर्ड छात्रों को आश्वस्त करना चाहता है कि उन्हें किसी तरह से पीड़ित नहीं बनने दिया जाएगा। प्रिंसिपलों के साथ बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा होगी। उसमें सवालों की प्रकृति और उसकी जटिलता के बारे में चर्चा होगी। अधिकारी ने कहा कि परीक्षा के बाद मूल्यांकन समिति की बैठक होगी, जो छात्रों की शिकायत पर चर्चा करेगी। उसके बाद वह मूल्यांकन में किसी तरह की छूट देने के बारे में सुझाव देगी। हालांकि, कुछ शिक्षकों का कहना है कि सवाल परंपरागत पैटर्न से अलग थे, वे पाठ्यक्रम से बाहर के नहीं थे।

लोकसभा में उठा मुद्दा: गणित के कठिन प्रश्नपत्र का मुद्दा बृहस्पतिवार को लोकसभा में भी उठा। सदन में शून्यकाल में कांग्रेस सांसद केवी थॉमस ने यह मामला उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रश्नपत्र सेट करने का काम अनुभवी शिक्षक करें। कठिन प्रश्नपत्र और छात्रों को इसे हल करने में हुई कठिनाई को देखते हुए सरकार को उनके प्रति उदार दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। पेपर सेट करते समय इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि औसत छात्रों के लिए यह कठिन न हो। 
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साभार: अमर उजाला समाचार
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