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फर्जी शिकायतों के चलते दहेज उत्पीड़न रोधी कानून के दुरुपयोग के बढ़ते
मामलों को देखते हुए सरकार ने अब इन पर लगाम लगाने के लिए कमर कस ली है। इस
कोशिश के तहत सरकार अब दहेज उत्पीड़न रोधी कानून में बदलाव करने जा रही
है। यह बदलाव होने पर दहेज प्रताड़ना रोधी कानून का दुरुपयोग बंद हो सकेगा।
इससे बेवजह किसी को जेल नहीं भेजा जा सकेगा। साथ ही इन मामलों में मुकदमे
के दौरान भी पति-पत्नी के बीच समझौते के जरिये समाधान
निकालने का विकल्प
मुहैया कराया जाएगा।
समझौता योग्य अपराध बनेगा: केंद्र सरकार के प्रस्ताव
के अनुसार भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धारा 498ए के तहत दहेज उत्पीड़न
को समझौता योग्य अपराध माना जाएगा। विधि आयोग व जस्टिस मलिमथ कमेटी के
सुझाव के अनुसार कोर्ट की सहमति से ऐसे मामलों में समझौता हो सकेगा।
धारा
498ए में संशोधन का नोट तैयार: गृह मंत्रलय के एक अधिकारी के अनुसार
केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए धारा 498ए में संशोधन का एक प्रारूप
नोट तैयार किया गया है। फिलहाल यह नोट मंत्रलय को सौंपा गया है, इसके आधार
पर मंत्रलय संशोधन विधेयक का प्रारूप तैयार कर मंत्रिमंडल को भेजेगा।
अभी
समझौते और जमानत की इजाजत नहीं: फिलहाल दहेज प्रताड़ना रोधी कानून गैर
जमानती है और इसमें समझौते की इजाजत नहीं है। इसमें आरोपी की तत्काल
गिरफ्तारी की जाती है। विवादित पक्षों के बीच पुनर्मिलन की कोई गुंजाइश
नहीं रहती है। पति या उसके परिजनों को तब तक दोषी माना जाता है, जब तक कि
वे निर्दोष साबित न कर दें।
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साभार: जागरण समाचार
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