Wednesday, October 1, 2014

गांधी के जीवन की दस बातें जो बन सकती हैं आपकी प्रेरणा

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महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। इस दिन को उनके सम्मान में विश्व भर में अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। महात्मा हिंदी के दो शब्दों महान+आत्मा से बना है। एक बार गांधी जी से जब यह पूछा गया कि आप विश्व को क्या संदेश देना चाहते हैं, तो उनका कहना था, "मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।" यहां महात्मा गांधी के जीवन से जुड़ी 10 वो बातें हैं जिनसे आप अपने जीवन में प्रेरणा ले सकते हैं। 

  1. खुद पर विश्वास करो: खुद पर विश्वास करें और इससे आप विश्व को हिला सकते हैं। मनुष्य अक्सर वही बनता है, जिस पर उसे विश्वास होता है। अगर आपको पहले ही यह विश्वास हो जाए कि मैं यह काम नहीं कर पाऊंगा तो इससे आपका आत्मविश्वास कम हो जाएगा, लेकिन जैसे आपको विश्वास होगा कि आप यह काम कर लेंगे तो आप उक्त काम को कर लेंगे, जबकि शुरुआत में इस काम को करने की आपमें क्षमता नहीं थी। महात्मा गांधी न तो बड़े वक्ता थे और न ही उनका शरीर देखने में बहुत सुंदर था। वे सादा जीवन जीते थे और हमेशा लाइमलाइट में आने से बचते थे। इसके बावजूद उनकी गिनती विश्व के गिने-चुने महापुरुषों में होती है। इसका मुख्य कारण यह है कि वे खुद पर विश्वास करते थे। उनका मानना था कि देश को आजाद कराने की उन पर एक बड़ी जिम्मेदारी है और उन्होंने इसे अपने विश्वास के दम पर पूरा किया। उन्हें पहले से भारत की आजादी में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में पता था, यही उनकी सफलता का राज रहा। खुद में विश्वास के कारण ही करोड़ों भारतीयों ने उन पर विश्वास किया। "हम सबके पास काफी क्षमता और जिम्मेदारी है। हम सभी इतिहास के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हमें इस पर इसलिए विश्वास नहीं होता है, क्योंकि हमें यह पता ही नहीं होता है कि हम विश्व पर अपना प्रभाव छोड़ सकते हैं।" 
  2. प्रतिरोध और दृढ़ निर्णय: “पहले वे आपकी उपेक्षा करेंगे। उसके बाद वे आप पर हंसेंगे और इसके बाद वे आपसे लड़ेंगे और अंतत: आपकी जीत होगी।” गांधी जी ने कहा था- भारत जैसे विशाल देश की आजादी की लड़ाई आसान काम नहीं है और वो भी अहिंसा के रास्ते और वो भी क्रूर ब्रिटिश सेना के खिलाफ। गांधी को कई बार पीटा गया और कई बार उन्हें अकेला ऐसी स्थिति में छोड़ दिया गया, जब उनके शरीर से खून बह रहा था और असहनीय दर्द हो रहा था। ऐसा प्रतीत होता था कि अगले दिन की सुबह वे जीवित नहीं बच पाएंगे, लेकिन प्रत्येक दिन उन्होंने उठकर परिस्थिति का डटकर मुकाबला किया। इस तरह से उन्होंने हर स्थिति में प्रतिरोध किया और अपने दृढ़ निर्णय के बूते विपरीत परिस्थितियों का सामना किया। “जब आप किसी अच्छे कार्य के लिए संघर्ष करते हैं और आपको पता है कि आप सही से कर रहे हैं, तो आपको विरोध का सामना करना पड़ेगा। विरोधी आपको हर तरह से परेशान करने की कोशिश करेंगे। आपको एहसास होगा कि आप अकेले संघर्ष कर रहे हैं और पूरी दुनिया आपके खिलाफ है। उस समय आपका धैर्य जवाब देता नजर आएगा, लेकिन आपको ऐसी स्थिति का सामना करना होगा और आपको अंतत: विजय मिलेगी।” 
  3. क्षमा करना सीखें: “कमजोर लोग कभी क्षमा नहीं करते हैं। क्षमा करना मजबूत लोगों की विशेषता है।” महात्मा गांधी को जेल में डाला गया, सड़कों पर पीटा गया, कई लोगों ने उन्हें मारने की साजिश रची, लेकिन उन्होंने सभी को माफ कर दिया। उन्होंने उन सभी लोगों को माफ कर दिया, जिन्होंने उन्हें किसी न किसी तरह से परेशान किया था। “अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति को क्षमा करते हैं, जिसने आपको किसी न किसी तरह से परेशान किया था, तो इसका पॉजिटिव असर उस व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है। क्षमा करना महान लोगों का कार्य है। सामने वाला व्यक्ति आपके गुणों को जानने के बाद खुद (अपने नकारात्मक कार्यों) से शर्मिंदा महसूस करेगा। इस तरह से क्षमा करना एक स्वार्थ भरा कदम भी है। इसके अलावा, आपका रिलेशन और मजबूत हो जाएगा। इसलिए आप क्षमा करना सीखें।” 
  4. गलतियों से सीखें: “अपनी गलतियों से सबक लेना बिल्कुल झाड़ू की तरह है, जिससे सफाई के बाद कमरे की गंदगी एकदम से साफ हो जाती है और कमरा चमकने लगता है। मैं अपनी त्रुटियों को स्वीकार करके अपने आप को मजबूत मानता हूं।” महात्मा गांधी शुरू से ही सही नहीं थे। जब वे बच्चे थे, उन्होंने झूठ बोला था, चोरी की थी और छोटी-छोटी चीजों के लिए लड़ा करते थे। उनके हर कार्य की प्रशंसा पूरे विश्व में नहीं होती है। उनके कुछ कार्य की आलोचना तो अपने ही देश में भी होती है। उन्होंने पूरी जिंदगी में गलतियां की, लेकिन एक गलती को जिंदगी में फिर से कभी रिपीट नहीं किया। वे फेल हुए, लेकिन उन्होंने इससे सबक लिया और सफलता पाई। “हम सभी मनुष्य हैं और गलती करना हमारी जिंदगी का हिस्सा है। हम सभी को अपनी गलतियों पर विचार करके उनके कारणों को जानना चाहिए। अगर हम इन्हें जान लें तो हमें अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने से कोई नहीं रोक सकेगा। 
  5. चरित्र की मजबूती: “दुनिया में सात तरह के पाप हैं: बिना काम के धन, विवेक के बिना खुशी, चरित्र के बिना ज्ञान, नैतिकता के बिना धन, मानवता के बिना विज्ञान, बलिदान के बिना पूजा और सिद्धांत के बिना राजनीति।” महात्मा गांधी महान चरित्र वाले व्यक्ति थे। उन्होंने खुद को हमेशा भौतिकवादी इच्छाओं से दूर रखा। वे हमेशा सत्य और ईमानदारी के पक्ष में रहा करते थे। उन्होंने हिंसा की निंदा की। वे शादीशुदा थे लेकिन उन्होंने ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया और हमेशा शाकाहारी रहे। वह प्रसिद्ध व्यक्ति थे और उनके बारे में तब विश्व भर के अग्रणी समाचारपत्रों के पहले पन्ने पर लीड खबर प्रकाशित होती थी। इन सबके बावजूद वे हमेशा सादगी और अनुशासन का जीवन जीते थे। “अगर किसी को मौका दिया जाए तो कोई भी अपने आसपास के लोगों को बेवकूफ बना सकता है। लेकिन जिन लोगों की जिंदगी में अनुशासन, महान गुण और अपने लक्ष्य को पाने का नैतिक साहस है, वे एक दिन जरूर सफल होते हैं और अपने लक्ष्य को पाते हैं। दुनिया उन्हें सलाम करती है।” 
  6. प्यार करो, घृणा नहीं: “जब आपके समकक्ष कोई विरोधी आता है तो उससे प्यार से जीत लें।” यह एक ऐसा गुण है जिसे बहुत कम लोग ग्रहण कर पाते हैं या दूसरे शब्दों में कहें तो बहुत कम लोगों में ऐसा गुण होता है। यह ऐसा गुण है जो महान लोगों में पाया जाता है। यह बुद्ध, ईसा मसीह और अन्य महान धार्मिक नेताओं में पाया जाता है। गांधी ने इन लोगों से इस विचार को ग्रहण किया। “जब आप अपने विरोधी से लड़ाई करने की अपेक्षा मुस्कुराते हुए उसका सामना करते हैं, तो कुछ पल के लिए यह बेवकूफी भरा कदम लग सकता है। लेकिन यह आपके पक्ष में काम करेगा। आपको दो मोर्चे पर सफलता मिलती है - पहली सफलता इस संदर्भ में कि बगैर लड़ाई किए आपको जीत मिलती है और दूसरी सफलता कि आपको एक अच्छा दोस्त मिल जाता है जो जिंदगी में आपका हमेशा साथ देता है। इस तरह से चिरस्थायी संबंध बनाने में मदद मिलती है।” 
  7. सत्य का साथ दें: “सत्य की हमेशा जीत होती है, यहां तक कि जब आपके पक्ष में कम लोग हों। एक तरह से सत्य को आत्मनिर्भर कह सकते हैं।” बहुत से लोगों को नहीं मालूम होगा कि आजादी के आंदोलन में भाग लेने से पहले गांधी जी एक वकील थे। ऐसा माना जाता है कि वकालत के पेश में बगैर झूठ बोले कुछ नहीं हो सकता है। लेकिन आपको आश्चर्य होगा कि महात्मा गांधी ने वकालत के पेशे में कभी भी झूठ का सहारा नहीं लिया। उन्होंने जिंदगी भर सच का साथ दिया और इसका प्रचार किया। वे हमेशा कहा करते थे कि सत्य सबसे शक्तिशाली हथियार है। “जब आप झूठ बोलते हैं तो थोड़े समय के लिए आपका उद्देश्य पूरा हो जाता है, लेकिन सच हमेशा के लिए रहता है। अगर आप हमेशा और हर किसी से सच बोलते हैं, तो ऐसी स्थिति में आपको कुछ भी याद रखने की जरूरत नहीं होती है, जबकि अगर आप झूठ बोलते हैं तो उसे इससे ज्यादा झूठ बोलना होता है। हमेशा सच्चाई की जीत होती है।” 
  8. वर्तमान में जिएं: “मैं भविष्य को नहीं देखना चाहता। मैं वर्तमान में रहना चाहता हूं। भविष्य पर भगवान ने मुझे कोई नियंत्रण नहीं दिया है।” गांधी वर्तमान में जीना चाहते थे और अपने हाथ में आए हर कार्य को समय रहते पूरा करना चाहते थे। वे न तो बीते हुए कल को लेकर चिंतित होते थे और न ही भविष्य में क्या होगा, इसे लेकर कोई चिंता करते थे। “वर्तमान पर ध्यान देने से आपको दो लाभ मिलेंगे। यह आपको बीते हुए कल और भविष्य की चिंताओं से मुक्त कर देगा और आपकी क्षमताओं में बढ़ोत्तरी करेगा, जिससे आप अपने लक्ष्य पर और अधिक फोकस कर सकेंगे। इस तरह से आप अपने प्राथमिकताओं को समय रहते निर्धारित कर सकेंगे और समय बर्बाद होने से बच जाएगा।” 
  9. पहला कदम उठाएं और अपने कार्य को हर हाल में पूरा करें: "लगभग हर काम जो आप करते हैं उसका कोई महत्व नहीं है, लेकिन आप इसे कर रहे हैं, यह मायने रखता है।” गांधी जी स्कूल और लंदन में वकालत की पढ़ाई करते हुए खुद टाल-मटोल की प्रवृत्ति का शिकार हुए थे। उसके बाद उन्होंने इससे सबक लेते हुए हर हाल में काम को पूरा करने का निश्चय किया। उन्हें मालूम हुआ कि हर कार्य जो वे करते हैं, वह महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन इसका परिणाम आगे चलकर महत्वपूर्ण रहा। “अगर आप किसी कार्य के संबंध में कुछ नहीं करते हैं, तो यह कभी पूरा नहीं होगा। भविष्य को अवकाश और आलस्य की दया पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए। अगर आप चाहते हैं कि कुछ हो तो सबसे पहले आप काम की शुरुआत करें और हर हाल में इसे पूरा करने की कोशिश करें।” 
  10. अहिंसा: “मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा ईश्वर है। अहिंसा उसे साकार करने का साधन है।” इसके अलावा, “आंख के बदले आंख जल्द ही पूरे विश्व को अंधा कर देगा।” महात्मा गांधी को पूरे विश्व में अहिंसा के लिए जाना जाता है। उन्होंने कभी भी हिंसा का समर्थन नहीं किया और अहिंसा का सहारा लेकर देश को आजादी दिलाई। उनकी याद में प्रति वर्ष पूरे विश्व में 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाया जाता है। अगर मानव एक-दूसरे का सहारा लेकर और बगैर हिंसा के अपनी समस्याओं को दूर करने का प्रयास करे तो ऐसे हजारों लोगों की जान बचाई जा सकती है, जो अक्सर युद्ध के कारण खत्म हो जाते हैं। “युद्ध से किसी मसले का हल नहीं होता है। युद्ध से आप उसे समाप्त कर सकते हैं।” 
गांधी का एक कथन आपको अपने लक्ष्य को पूरा करने में मदद कर सकता है: 
“आपका विश्वास आपके विचार में बदल जाता है। आपका विचार आपके शब्द बन जाते हैं। आपके शब्द आपके कार्य में बदल जाते हैं। आपके कार्य आपकी आदतों में शुमार हो जाते हैं और आपकी आदतें आपकी वैल्यू बन जाती है। आपकी वैल्यू आपका भाग्य बन जाता है।”
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साभार: भास्कर समाचार
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