Wednesday, September 3, 2014

छात्रों के खातों में न्यूनतम बैलेंस की शर्त ख़त्म, जीरो बैलेंस पर भी चालू रहेगा खाता

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बैंक खातों के बंद होने से संबंधित नियमों में भारतीय रिजर्व बैंक ने बदलाव किया है। बैंक ने यह स्पष्ट किया है कि किसी भी बैंक खाते को बंद (इनऑपरेटिव) नहीं माना जाएगा, यदि पिछले दो सालों के दौरान उसमें डिविडेंड जमा किया गया हो। इसके अलावा आरबीआई ने उन छात्रों को भी राहत दी है जिनके खाते सरकारी योजनाओं की राशि प्राप्त करने के लिए खोले जाते हैं। 
  • छात्रों के खातों के बारे में नोटिफिकेशन: इसके अलावा आरबीआई ने एक अन्य नोटिफिकेशन जारी करते हुए उन खातों के लिए राहत दी है जो सरकारी योजनाओं की राशि प्राप्त करने के लिए खोले जाते हैं। आरबीआई के नोटिफिकेशन में कहा गया है, बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्देशानुसार बैंक यह सुनिश्चित करें कि विभिन्न केंद्रीय/ राज्य सरकारों की छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत लाभ पाने वाले सभी छात्रों के खातों पर मिनिमम बैलेंस और टोटल क्रेडिट लिमिट जैसे प्रतिबंध न लगाए जाएं।  
  • क्यों जरूरी हुआ यह नोटिफिकेशन: इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने आरबीआई को यह जानकारी दी थी कि प्राइमरी, सेकेंडरी, हायर सेकेंडरी स्कूल और टेक्निकल इंस्टिट्यूशंस में पढ़ने वाले छात्रों के लिए खोले गए जीरो बैलेंस खातों में कुल जमा (टोटल क्रेडिट) पर बैंक एक सीमा तय कर देते हैं। ऐसे में जब छात्रवृत्ति की राशि जमा सीमा (क्रेडिट लिमिट) से ऊपर चली जाती है, तो बैंक उसमें राशि जमा करने की अनुमति नहीं देते और यह राशि सरकार को वापस हो जाती है। इसके अलावा कुछ मामलों में बैंकों ने छात्रों को बिना जानकारी दिए ऐसे जीरो बैलेंस खाते बंद कर दिए हैं। यही नहीं, कुछ ऐसे मामले भी जानकारी में आए हैं जहां बैंकों ने छात्रों के लिए जीरो बैलेंस खाते खोलने से इन्कार कर दिया है।  
  • डिविडेंड जमा होने पर नहीं बंद होगा खाता: भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने ताजा नोटिफिकेशन में कहा है, “चूंकि शेयरों से प्राप्त डिविडेंड किसी बचत खाते में उस ग्राहक की सहमति से ही क्रेडिट होता है, ऐसे में उस ट्रांजैक्शन को ग्राहक की ओर से ही किया गया ट्रांजैक्शन माना जाना चाहिए। ऐसे में जब तक उस बचत खाते में डिविडेंड आता रहे, तब तक उसे ऑपरेटिव खाता माना जाना चाहिए।” 
  • क्यों जारी हुआ नोटिफिकेशन: ध्यान रहे कि कोई बचत खाता तब बंद या डॉरमेंट मान लिया जाता है जब दो सालों तक उसमें कोई भी क्रेडिट या डेबिट न हो। ऐसे में कुछ बैंकर्स ने इस बारे में शंका जाहिर की थी कि यदि किसी खाते में केवल डिविडेंड ही क्रेडिट होता रहे, तो क्या उसे दो सालों के बाद बंद खाता माना लिया जाना चाहिए? आरबीआई ने इस शंका के समाधान के तौर पर यह स्पष्टीकरण दिया है।
साभार: भास्कर समाचार
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